हसदेव अरण्यः सूख जाएगी हसदेव और अरपा नदी, हाथी और दुर्लभ पशु पक्षियों का जीवन ख़तरे में
By संदीप राउज़ी
“हसदेव अरण्य दुनिया के सबसे घने जंगलों में से एक है, इसके विनाश से कई नदियां सूख जाएंगी, कई दुर्लभ पशु पक्षी, तितलियों का अस्तित्व खतरे में है। हसदेव नदी पर बांगुर बांध बना है जिसकी वजह से एक बड़े इलाके में सिंचाई होती है और इसीलिए छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है, इस बांध का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।”
तीन दशकों से छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता करने वाले और जानी मानी पत्रिका ‘भूमकाल समाचार’ के संपादक एवं वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला जब ये कहते हैं तो उनके चेहरे की शिकन और गाढ़ी हो जाती है।
छत्तीसगढ़ के जंगल, आदिवासी, छत्तीसगढ़ संस्कृति को बहुत बारीकी से समझने वाले कुछ चंद पत्रकारों में से एक कमल शुक्ला हसदेव में पेड़ों की कटाई को किसी आपदा से कम नहीं करार देते हैं।
गौरतलब है कि 15 दिन पहले रात के अंधेरे में हसदेव अरण्य के 300 पेड़ काट दिए गए थे। 30 मई की रात में फिर से पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई और करीब ढाई सौ पेड़ काट डाले गए।
पहले भी स्थानीय आदिवासियों ने भारी विरोध कर कटाई रुकवाई थी और लकड़ी जब्त कर वहां दिन रात धरना लगा दिया था। इस बार भी जब आदिवासी जनता ने घेरा डाला तब जाकर कटाई रुकी है।
कमल शुक्ला कहते हैं, ‘इस घने जंगल से कई नदियां निकलती हैं। अगर इसका विनाश होता है तो हसदेव नदी, अरपा नदी समेत कई नदियां सूख जाएंगी। पेड़ों की कटाई सिर्फ सरगुजा या छत्तीसगढ़ या भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की पारिस्थितिकी संतुलन को छेड़ने जैसा है।’
इन्हीं घने जंगलों में बड़ी संख्या में हाथी पाए जाते हैं और यह उनके सुरक्षित ठिकानों में से एक है।
- अडानी की कंपनी के लिए काटे जा रहे लाखों पेड़, हसदेव अरण्य को बचाने की आवाज तेज
- बस्तर में आदिवासी इलाकों पर ड्रोन से हवाई हमले, सरकार का इनकार, पत्रकारों ने दिखाए सबूत
अडानी के लिए लाखों पेड़ों की बलि
मीडिया में जो खबर आ रही है उसके मुताबिक जिस जगह अडानी को कोल ब्लॉक अलॉट किए गए हैं, वहां कुल ढाई लाख पेड़ काटे जाने हैं।
लेकिन कमल शुक्ला का कहना है कि कम से कम यहां 10 लाख पेड़ काटे जाएंगे, क्योंकि जो छोटे पेड़ हैं उनकी तो सरकार गिनती भी नहीं कर रही।
जबसे अडानी को कोल ब्लॉक मिला है, इन जंगलों की कटाई को लेकर छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी भूपेश बघेल सरकार इन पेड़ों को किसी भी कीमत पर काटने पर तुली हुई है।
दरअसल छत्तीसगढ़ और राजस्थान सरकार में एक करार हुआ है, जिसके तहत छत्तीसगढ़ के इस कोयला खदान से राजस्थान के बिजली घरों को कोयले की आपूर्ति की जाएगी।
कमल कहते हैं, “सरगुजा में आठ कोल ब्लॉक हैं जिनमें से सात अडानी को आवंटित किए गए हैं। यही नहीं बैलेडिला पहाड़ी के 13 नंबर डिपॉज़िट को फर्जी ग्राम सभा बुलाकर अडानी के हवाले कर दिया गया था। भारी विरोध के चलते वो अभी रुका है। इसमें 100 मृतकों के फर्जी हस्ताक्षर किए गए थे।”
यही नहीं सरकारी खदानों में भी अडानी को देने की चोरी छिपे कोशिशें जारी हैं।
कांग्रेस और भाजपा
कमल शुक्ला कहते हैं कि इस समय दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार है और दोनों सरकारों ने मिलकर ठान लिया है कि अडानी की खदान चालू कराई जाए। केंद्र की मोदी सरकार के बारे में पहले से सर्वविदित है।
हसदेव जंगल छत्तीसगढ़ के उत्तरी कोरबा, दक्षिणी सरगुजा और सूरजपुर जिले के बीच में स्थित है।
लगभग 1,70,000 हेक्टेयर में फैला यह जंगल अपनी जैव विविधता के लिए जाना जाता है।
वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की साल 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, हसदेव अरण्य गोंड, लोहार और ओरांव जैसी आदिवासी जातियों के 10 हजार लोगों का घर है।
यहां 82 तरह के पक्षी, दुर्लभ प्रजाति की तितलियां और 167 प्रकार की वनस्पतियां पाई जाती हैं। इनमें से 18 वनस्पतियों अपने अस्तित्व के खतरे से जूझ रही हैं।
कमल शुक्ला कहते हैं कि “जहां जहां आदिवासी हैं, जंगल बचा हुआ है। ये आदिवासी बहुत कम ज़रूरत के साथ प्रकृति के रक्षक हैं। ये आदिवासियों के साथ ही झगड़ा नहीं है, बल्कि पूरी प्रकृति के साथ झगड़ा कर रहे हैं आप। पूरी प्रकृति को नष्ट करने की तैयारी है ये। इसका खामियाजा आने वाली पीढ़ियां भुगतेंगी।”
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)