भूख से तड़पते बच्चों के लिए आदिवासी महिलाओं ने अनाज से भरे ट्रक पर बोला धावा
झारखंड में दुमका जिले के शिकारीपाड़ा क्षेत्र के सरसडंगाल गांव की महिलाओं ने 21 अप्रैल को दुमका -रामपुरहाट से गुजर रहे अनाज से लदे ट्रकों पर धावा बोलकर लूटने का प्रयास किया। अनाज की कुछ बोरियां जबरन ट्रकों से उतार भी लीं।
एफसीआई गोदाम से अनाज हंशापत्थर गांव के डीलर के यहां ले जाया जा रहा था। महिलाओं के धावा बोलने की सूचना मिलते ही शिकारीपाड़ा थाना प्रभारी वकार हुसैन और अंचल अधिकारी अमृता कुमारी दलबल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने आक्रोशित महिलाओं को समझाकर शांत किया और उतारे गए अनाज को फिर से ट्रक पर लोड करवाकर रवाना किया गया।
आक्रोशित महिलाओं ने अंचलाधिकारी और थाना प्रभारी को अपनी व्यथा सुनायी। धना मरांडी व किरण टूडू ने कहा, ”सरकार की ओर से आपदा राहत कोष में जो फंड दिया गया है, उससे भी आज तक चावल नहीं नसीब हुआ है। बच्चे भूख से तड़प रहे हैं, घर में खाने को नहीं है, सरकार किसको राशन दे रही है आखिर..”
ये नौबत तब है, जब झारखंड सरकार ने घोषणा की है कि प्रदेश में लगभग 58 लाख राशन कार्डधारकों के अलावा उन सात लाख लोगों को भी राशन मिलेगा, जिन्होंने कार्ड के लिए आवेदन किया है।
झारखंड कोविड-19 रिपोर्ट कार्ड में 20 अप्रैल तक घोषित किया है कि लॉकडाउन के दौरान लगभग 65 लाख परिवारों के बीच 2 लाख 65 हजार मीट्रिक टन अनाज बांटा जा चुका है।
इसके अलावा पूरे राज्य में 6628 मुख्यमंत्री दीदी किचन, 380 पुलिस थानों में कम्युनिटी किचन व 900 मुख्यमंत्री दाल-भात केन्द्र में रोजाना 12 लाख से ज्यादा लोगों को भोजन कराया जा रहा है।
लॉकडाउन के दौरान झारखंड में भूख से मौत
– रामगढ़ जिला के गोला प्रखंड अंतर्गत संग्रामपुर गांव में 1 अप्रैल को 72 वर्षीय उपासी देवी की मौत हो गई, उनके पुत्र जोगन नायक का कहना था कि मेरी माँ की मौत भूख से हुई है। लेकिन प्रशासन ने इसे नकार दिया। मालूम हो कि इस वृद्ध महिला का राशन कार्ड रद्द हो गया था, जिस कारण इसे राशन भी नहीं मिला था। इन्होंने अंतिम बार अपना राशन मई 2017 में ही उठाया था।
– गढ़वा जिला के भण्डरिया प्रखंड के कुरून गांव में 2 अप्रैल को लगभग 70 वर्षीय सोमारिया देवी की मृत्यु हो गई, इनके पति लच्छू लोहरा का कहना था कि मेरी पत्नी की मौत भूख से हुई है। लेकिन प्रशासन ने इसे भी नकार दिया।
– सरायकेला-खरसावां जिला के चौका थानान्तर्गत पदोडीह निवासी 51 वर्षीय मजदूर शिवचरण की मौत 20 अप्रैल को हो गई, इनके परिजनों का कहना था कि लॉकडाउन के कारण इनको काम नहीं मिल रहा था और ये बेरोजगार हो गये थे। इनका राशन कार्ड भी महिला विकास समिति, गुंजाडीह की संचालिका ने रख लिया था और राशन कार्ड देने के एवज में इनसे पैसा मांगा जा रहा था। फलस्वरूप इन्हें राशन भी नहीं मिल सका और इनकी मौत भूख से हो गई।
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