यूनियन की भारी जीत, मज़दूरों को मिलेगा कोरोना बोनस या हफ़्ते में सिर्फ चार दिन काम
जर्मनी की सबसे बड़ी औद्योगिक यूनियन और मालिकों के बीच मंगलवार को एक ऐतिहासिक समझौता हुआ जिसके अनुसार, श्रमिकों को एक बार एकमुश्त “कोरोना बोनस” दिया जाएगा और अगले साल से अतिरिक्त वार्षिक भुगतान भी किया जाएगा।
जर्मनी के सबसे अधिक आबादी वाले उत्तरी राइन-वेस्टफेलिया राज्य में कंपनियों और आईजी मेटाल यूनियन के बीच यह समझौता हुआ।
यूनियन और मैनेजमेंट के बीच 2.3 प्रतिशत वेतन वृद्धि पर सहमति हुई है जिसे या तो एकमुश्क दिया जाएगा या हफ़्ते में सिर्फ चार दिन की ड्यूटी करके क्षतिपूर्ति की जाएगी।
रायटर्स के मुताबिक, जर्मनी में मेटल और इंजीनियरिंग के कामों में कुल 39 लाख मज़दूर लगे हैं और इस समझौते का असर इस व्यापक आबादी पर होगा।
इस समझौते के अंतर्गत प्रत्येक कर्मचारी को जून में 500 यूरो (42,980 रुपये) “कोरोना बोनस” दिया जाएगा और ट्रेनी को 300 (25,788 रुपये) यूरो मिलेगा।
आईजी मेटल यूनियन के अनुसार, इस समझौते से मिलने वाली राशि श्रमिकों के वेतन में 2.3% की वृद्धि के बराबर है, जो आमतौर पर जुलाई में तकनीकी रूप से प्रभावी होती है, लेकिन अगले फरवरी तक इसका भुगतान नहीं किया जाएगा। फरवरी में श्रमिकों को “परिवर्तन बोनस” के रूप में मिलेगा जोकि उनके मासिक वेतन का 18.4 % के बराबर है।
यूनियन ने कहा कि बोनस वार्षिक रूप से स्थिर रहेगा, जो 2023 में मिलने वाले मासिक वेतन का 27.6% है।
संकट के समय में, कंपनियां नौकरियों को बचाने के लिए “परिवर्तन बोनस” की गणना खाली समय की भरपाई के लिए कर सकेंगी – इस तरह उन्हें बिना वेतन काटे काम करने के समय में कटौती करने की अनुमति होगी।
ऐसी स्थिति में सप्ताह में 4 दिन का कार्य दिवस होने की संभावना होगी।
काफ़ी नापतोल के बाद हुआ यह समझौता पिछली 1 जनवरी से लागू होगा और सितंबर 2022 के अंत तक प्रभावी रहेगा उसके उपरांत यूनियन भविष्य के लिए वेतन वृद्धि को लेकर बातचीत कर सकती है।
पिछले साल जर्मनी का सकल घरेलू उत्पाद 4.9% कम हो गया। इसने एक दशक से चले आ रहे विकास पर लगा दिया। 2009 के वित्तीय संकट के बाद से यह सबसे बड़ी गिरावट थी।
हालांकि, जर्मनी की अर्थव्यवस्था, जो कि यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, ने 19-देशों वाले यूरोज़ोन में कई अन्यों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया क्योंकि जर्मनी की अर्थव्यवस्था में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का ज्यादा योगदान है जो महामारी के दौरान सेवाओं की तुलना में कम प्रभावित हुई।
गौरतलब हो कि जर्मनी में अधिकारियों ने कोरोना संकट के दौरान उद्योगों में कोई तालाबंदी नहीं की।
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