भारी दबाव के बाद मारुति में 1 मई से तीनों प्लांटों में शट डाउन, वर्करों के खाने का इंतज़ाम फैक्ट्री में

भारी दबाव के बाद मारुति में 1 मई से तीनों प्लांटों में शट डाउन, वर्करों के खाने का इंतज़ाम फैक्ट्री में

कोरोना से कई वर्करों की जान जाने के बाद देश की अग्रणी वाहन निर्माता कंपनी मारुति ने हरियाणा में स्थित अपने तीनों प्लांटों में एक मई से 9 मई तक शट डाउन घोषित किया है।

इस दौरान कैजुअल, ट्रेनी, अप्रेंटिस, टेंपरेरी वर्करों के दोनों टाइम के खाने और इलाज की व्यवस्था कंपनी में ही की गई है। वहां वर्करों को ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर का इंतज़ाम किया गया है।

मारुति की इस घोषणा के बाद इसकी वेंडर कंपनियों में भी आने वाले समय में शट डाउन होने की संभावना है क्योंकि गुड़गांव मानेसर में मारुति एक बड़ी कंपनी है जिसके लिए पार्ट्स का उत्पादन कई छोटी कंपनियां करती हैं।

ऐसी ही एक वेंडर कंपनी बेलसोनिका में भी एक मई से नौ मई के बीच शटडाउन घोषित किया गया है। बेलसोनिका यूनियन के प्रतिनिधित अजीत सिंह ने बताया कि शटडाउन के दौरान टेंपरेरी वर्करों क्या होगा, अभी स्पष्ट नहीं है।

मारुति तीनों प्लांटों की यूनियों के संयुक्त मंच मारुति सुजुकी मज़दूर संघ (एमएसएमएस) ने एक बयान जारी कर कहा है कि तीनों यूनियनों ने लगातार प्रबंधन को इन विषम परिस्थितियों के प्रति अगाह किया और साथियों  की सुरक्षा की सुरक्षा की खातिर कुछ दिन के लिए उत्पादन रोकने की सलाह दी। काफी बातचीत करने के बाद  जून में होने वाले हमारे शटडाउन को प्रीपोन यानी पहले करने का निर्णय लिया गया है।

एमएसएमएस प्रधान राजेश कुमार ने बताया कि, तीनों प्लांटों में एक मई से नौ मई तक कंपनी का उत्पादन शट डाउन गतिविधियों के लिए रोक दिया गया है। इसमें कुछ साथियों को काम के हिसाब से लेकिन उनकी खुद की इच्छा से बुलाया जाएगा।

इस फैसले के साथ ही तीनों प्लांटों में कैंटीन और डिस्पेंसरी की सुविधा पूर्ण रूप से चलती रहेगी और प्लांट के आसपास रहने वाले कैजुअल, टीडब्ल्यू, अपरेंटिस और स्टूडेंट ट्रेनी वर्करों के लिए लंच और डिनर की सुविधा जारी रहेगी। प्लांट में डिस्पेंसरी और अतिरिक्त एंबुलेंस सुविधा उपलब्ध रहेगी।

bellsonica shutdown notice

ऑक्सीजन मशीनों की व्यवस्था

राजेश कुमार ने कहा कि मारुति परिवार में इस वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से कई दुखद संदेश मिले हैं। अब इस महामारी ने बहुत ही खतरनाक रूप ले लिया है जिससे पूरा देश जूझ रहा है और मेडिकल तंत्र इस दबाव के कारण बिल्कुल असक्षम नजर आ रहा है।

उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब हॉस्पिटल्स में बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, दवाइयां हर चीज की कमी दिखाई दे रही है जिसकी वजह से हर वर्कर में दहशत का माहौल है, कोविड-19 की चेन तोड़ना बहुत ज़रूरी हो गया है।

उनके अनुसार, जबतक वर्करों को इस बात का भरोसा नहीं होता कि उनके बीमार पड़ने की स्थिति में अस्पताल, बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर उपलब्ध होगा, तबतक लोगों में घबराहट बनी रहेगी। इसीलिए कंपनी प्रबंधन आने वाले समय की गंभीरता को समझते हुए इस समय का सदुपयोग अपनी मेडिकल सुविधाओं को और मजबूत करने और अपने सभी साथियों की सुरक्षा को और सुनिश्चित करने में करेगा।

एक वर्कर ने नाम ज़ाहिर करने की शर्त पर बताया कि मारुति के एमडी केनिची आयुकावा पर मज़दूरों और यूनियनों की ओर से कई दिनों से भारी दबाव था और इस बावत कई दौर की बैठकें भी हुईं।

मारुति काल प्लांट मानेसर की यूनियन के प्रधान अजमेर यादव ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि यूनियन की सलाह पर कंपनी ने मारुति वर्करों के लिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर (हवा से ऑक्सीजन बनाने वाली मशीन) का इंतज़ाम किया है। अभी तक 10 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन जरूरतमंद साथियों को उपलब्ध करवाई गई हैं और जल्द ही 28 मशीन और उपलब्ध होंगी।

अजमेर ने बताया कि इस भयावह त्रासदी में वर्करों के बीच पैनिक पैदा हो रहा था और लोग मेंटली तैयार रहें, इसलिए एक ब्रेक ज़रूरी था।

उन्होंने बताया कि  कैजुअल, डीबल्यू, अप्रेंटिस, ट्रेनी वर्करों के खाने का इंतज़ाम कंपनी में ही किया गया है। कैंटीन चालू रहेगी। फैक्ट्री में कोविड-19 की टेस्टिंग कराई जाएगी और अगर किसी को कोरोना के लक्षण दिखते हैं तो उसे क्वारंटीन करेन की भी व्यवस्था की गई है।

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अजमेर का कहना था कि इन व्यवस्थाओं को करने के कारण ही इतना समय लगा। इस फैसले से पहले टेंपरेरी वर्करों की सुविधाओं का ख्याल रखा गया। इसके साथ ही 10 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीनें ले ली गई हैं। इसके अलावा 20 मशीनें ब्रिटेन से आ रही हैं। तीन जापान और पांच दुबई से ये मशीनें ऑर्डर की गई हैं।

उन्होंने कहा कि आने वाले दो हफ़्ते में 50 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की व्यवस्था हो जाएगी। ये व्यवस्था इसलिए की गई है क्योंकि इससे बीमार व्यक्ति को घर पर भी उपलब्ध कराया जा सके और ज़रूरत पड़े तो समाज की भी मदद की जा सके। बाद में भी इसका इस्तेमाल मेडिकल समस्याओं में किया जा सके।

कंंपनी की ओर से गुड़गांव में एक हॉस्पीटल को लेने की बात हो रही है, जिसमें 25 ऑक्सीजन से लैस बेड की व्यवस्था हो, ताकि विपरीत परिस्थिति में तत्काल मदद पहुंचाई जा सके। लेकिन अजमेर ने बताया कि प्लांट में ही 40-50 बेड का एक केयर सेंटर डेवलप किया जा रहा है, हालांकि वहां ऑक्सीजन की अभी व्यवस्था नहीं हो पा रही है।

उल्लेखनीय है कि गुड़गांव-मानेसर के ऑटो सेक्टर में कई कंपनियों में कोरोना से हो रही मौतों को लेकर काफ़ी घबराहट है। शटडाउन घोषित करने वाली सबसे पहली कंपनी हीरो थी जिसने पूरे देश में अपने प्लांटों को 22 अप्रैल से एक मई तक बंद करने का फैसला किया था।

मज़ूर वर्ग में दहशत

सुजुकी बाइक में भी एक वर्कर की कोरोना से मौत होने के बाद 28 अप्रैल से ही शटडाउन घोषित कर दिया गया था। इस बार मज़दूर वर्ग के लिए सरकार की ओर से कोई सुविधा की घोषणा नहीं की गई है, बल्कि उलटे मोदी सरकार उद्योगों को लगातार चलाने की बात कर रही है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर लगातार कह रहे हैं कि मज़दूरों को डरने की ज़रूरत नहीं, वे उत्पादन में लगे रहें, लेकिन चरमरा चुकी सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर अब किसी को भरोसा नहीं हो रहा।

बीते 16 अप्रैल को खट्टर ने कहा था कि ‘श्रमिकों से आग्रह है कि वे निश्चिंत होकर अपने कार्य में लगे रहें, किसी प्रकार से घबराने की जरूरत नहीं है। किसी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं आने दी जाएगी, हरियाणा सरकार आपके साथ खड़ी है।’

दिलचस्प ये है कि यही खट्टर अभी कुछ दिन पहले महामारी की गंभीरता को देखते हुए किसानों से बॉर्डर्स खाली करने को कहा था।

ट्रेड यूनियन एक्टिविस्ट श्यामबीर का कहना है कि मज़दूर वर्ग के  प्रति बेपरवाही का बीजेपी का रवैया खट्टर के बयान से ज़ाहिर है। बीजेपी की सरकार मज़दूरों की ज़िंदगी की चिंता नहीं है। ये क्या दिखाता है?

गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों से कोरोना के कारण मज़दूरों की मौतों का मामला वर्कर्स यूनिटी लगातार उठाता रहा है। इस महामारी के दौर में भी कंपनियों के शट डाउन न किए जाने पर हमने लगातार सवाल खड़ा किया है।

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Workers Unity Team

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