मोदी सरकार के लिए एक और बुरी ख़बर, विनाशकारी नीतियों के ख़िलाफ़ व्यापक संघर्ष की तैयारी
कोरोना से निपटने में बुरी तरह असफल होने का कारण चौतरफा तीखी आलोचना से घिरी मोदी सरकार के लिए एक और बुरी ख़बर है। बीते पांच महीने से दिल्ली के बॉर्डर पर धरना दे रहे संयुक्त किसान मोर्चे और देश की दस बड़ी ट्रेड यूनियनों के मंच ने साथ आकर अब संयुक्त रूप से लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है।
बीते 28 अप्रैल 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा के साथ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के मंच की संयुक्त बैठक में सर्वसम्मति से जन-विरोधी, किसान-विरोधी, मजदूर-विरोधी मोदी सरकार की विनाशकारी नीतियों के खिलाफ संघर्षों को आगे बढ़ाने और एकजुट करने का संकल्प लिया गया।
मजदूरों-किसानों की सयुंक्त बैठक में कहा गया कि देश में दो मुख्य उत्पादक ताकतों – किसानों व मजदूरों- के संघर्ष की एकजुटता के मजबूत बंधन केंद्र सरकार की विनाशकारी नीतियों के खिलाफ लड़ रहा है।
मोर्चे और ट्रेड यूनियनों के संयुक्त बयान में कहा गया है कि सरकार शोषणकारी नीतियां हर क्षेत्र में ला रही है। जैसे – राष्ट्रीय स्तर की स्वदेशी विनिर्माण क्षमता खत्म कर शोषणकारी कृषि कानूनो के माध्यम से अर्थव्यवस्था को बर्बाद किया जा रहा है।
सभी उद्योगों, सेवाओं, प्राकृतिक संसाधनों, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में निजीकरण किया जा रहा है। ठीक इसी समय में मजदूरों पर भी गुलामी या दासप्रथा की स्थितियों को लागू किया जा रहा है। यह लेबर कोड के अधिनियमन के माध्यम से व लोकतांत्रिक अधिकारों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, असहमति के अधिकार आदि पर अंकुश लगाने के साथ फासीवादी इरादे से लागू किये जा रहे हैं।
कोविड महामारी की दूसरी लहर को संबोधित करने में सरकार की क्रूर असंवेदनशीलता में इस तरह की विनाशकारी और बर्बर नीतियां आसानी से दिखाई देती हैं, जिससे पूरे देश में कई रोके जा सकने वाले मौतें हुई है। यह निजीकरण के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में पैदा हुई अव्यवस्था का नतीजा है। यही नहीं, मोदी सरकार की वैक्सीनशन नीति भी मुनाफाखोरी को बढ़ावा देती है जो लोगों की जान की कीमत लगा रही है।
बैठक में सरकार की ऐसी बर्बर नीति की निंदा की गई जो महामारी की चुनौती को पूरा करने में विफल रही है और वर्तमान वैक्सीनशन नीति को वापस कराने और सभी के लिए मुफ्त टीकाकरण सुनिश्चित करने की मांग की है।
बैठक ने मई दिवस को संयुक्त रूप से श्रमिकों, किसानों और लोगों की मांगों और अधिकारों को उजागर करके मनाने का फैसला लिया गया। यह भी तय किया गया कि ये कार्यक्रम देश भर में अधिक से अधिक स्थानों पर संभव हो सके।
मजदूरो-किसानों की सयुंक्त बैठक ने आगे बढ़ने और सभी लोगों के अधिकारों और आजीविका के मुद्दों पर देशव्यापी एकजुट संघर्ष को तेज करने का निर्णय लिया और निम्नलिखित मांगें रखी:
1. लेबर कोड, कृषि कानून और बिजली संशोधन विधेयक वापस लिया जाए।
2. शोषणकारी वैक्सीन नीति को वापस ले और सभी के लिए मुफ्त टीकाकरण सुनिश्चित करें।
3. सुनिश्चित खरीद के साथ सभी कृषि उपज के लिए C2 + 50% की दर पर एमएसपी सुनिश्चित करें।
4. निजीकरण / विनिवेश और निगमीकरण कदम बंद किया जाए।
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