रिलायंस में हड़ताल के केस में MEEU के 5 मज़दूर नेताओं को UAPA में 3 साल बाद ज़मानत

रिलायंस में हड़ताल के केस में MEEU के 5 मज़दूर नेताओं को UAPA में 3 साल बाद ज़मानत

मुंबई इलेक्ट्रिक इम्‍पलॉयीज़ यूनियन के उन पांच मज़दूर नेताओं को तीन साल बाद ज़मानत मिल गयी है जिन्‍हें भीमा कोरेगांव हिंसा के बाद यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था। इन पर कोई भी आरोप साबित नहीं हुआ है।

ये सभी रिलायंस के कर्मचारी थे। राजद्रोह के आरोपों की पुष्टि नहीं होने के बावजूद महाराष्‍ट्र सरकार ने अब भी सैकड़ों लोगों को दूसरी धाराओं में जेल में रखा हुआ है।

इन सभी पर आरोप था कि इन्‍होंने 19 दिसंबर 2017 को रिलायंस के सभी कर्मचारियों की ओर से एक हड़ताल का आयोजन किया जिसमें एक कर्मचारी की मौत हो गयी थी क्‍योंकि उसे ईएसआइ के तहत इलाज की सुविधा नहीं मिली थी।

इसके बाद उन पर एक आतंकवादी को पनाह देने और एक प्रतिबंधित संगठन के लिए फंड जुटाने के अतिरिक्‍त चार्ज लगाये गये थे।

यूनियन ने गिरफ्तार कार्यकर्ताओं के साथ एकजुटता में एक परचा जारी किया है जिसमें बताया गया है कि पिछली जमानत 10 मई को सैदुलु सिंगपंगा की हुई थी।

उनके अलावा शंकर गुंडे, रवि मारपल्‍ली, बाबू शंकर और सत्‍यनारायण करेला हैं जिन्हें ज़मानत मिली है। इस मुकदमे की सुनवाई अभी चलती रहेगी।

सिंगपंगा के आवेदन पर ज़मानत का फैसला बंबई उच्‍च न्‍यायालय में जस्टिस भारती डांगरे ने 5 मई को दिया था जो 5 फरवरी 2018 से जेल में थे। सिंगपंगा यूनियन में तिलक नगर इकाई के सचिव हैं।

उनसे पहले चार कर्मचारियों की बेल 2019 से 2020 के बीच हो चुकी थी। इन कर्मचारियों का मुकदमा एडवोकेट संदीप पासबोले लड़ रहे थे और एडवोकेट सूज़न अब्राहम व एडवोकेट आरिफ़ सिद्दीकी उनका सहयोग कर रहे थे।

इससे पहले एडवोकेट अरुण फरेरा इनका केस लड़ रहे थे जो खुद भीमा कोरेगांव मामले में यूएपीए के अंतर्गत गिरफ्तार कर लिए गये और अब तक जेल में हैं।

जनपथ से साभार

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)

Workers Unity Team

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.