हरियाणा के ऑटो उद्योग में बढ़ी बेचैनी, रुके हुए मज़दूर असमंजस में
हरियाण के मानेसर औद्योगिक केंद्र में कंपनियों के मेंटेनेस रखरखाव से ज्यादा समय तक बंद रहने से आसपास के गांवों में रहने वाले मजदूर बैचेन हो रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार पूरे कंपनी के हालात को करीब से देख रहे कंपनी के अधिकारी और यूनियन लीडर कहते हैं, ”पिछले साल की तुलना में मजदूर अभी तक रुके हुए हैं।
हालांकि यदि परिस्थितियों में सुधार नहीं होता है और बंदी अगले 2-3 सप्ताह तक जारी रहती है तो यह स्थिति बदल भी सकती है।”
इनका कहना है कि यदि बड़े निर्माताओं को आपूर्ति करने वाले छोटे विक्रेता मजदूरों की छंटनी शुरू करते हैं तो यूपी, बिहार, ओडिशा और झारखंड के मजदूरों का पलायन शुरू हो जाएगा।
मानेसर स्थित एक बड़े ऑटोमोबाइल निर्माता के सीनियर अधिकारी ने बताया कि कई कंपनियों ने अपना मेंटेनस शटडाउन बढ़ाया था और सोमवार से काम करने का फैसला लिया था।
हालांकि, अगर कोरोना की परिस्थितियों में सुधार नहीं होता है और शटडाउन 2-3 हफ्ते और बढ़ जाता है तो छोटे विक्रेताओं के साथ काम करने वाले ठेका मजदूर अपनी नौकरी खोना शुरू कर देंगे। दरअसल बड़ी कंपनियां लागत उठाने में सक्षम हो सकती हैं लेकिन छोटी कंपनियों के लिए यह कठिन होगा।
मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड में काम करने वाले कुलदीप बताते हैं, ”दूसरे राज्यों के मजदूरों को यह कहा गया है कि वे वापस नहीं जाएं और वे अभी तक नहीं गए हैं। हालांकि अगर शटडाउन 2-3 हफ्ते और बढ़ जाता है तो इससे दिक्कत हो सकती है। मजदूर व्याकुल होकर अपने गांवों की तरफ जाना शुरू कर सकते हैं।”
मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि शोरूम बंद हैं, डिमांड कम हैं। जब तक की पूरा माहौल सही नहीं हो जाता है हम अपनी पूरी क्षमता के साथ काम शुरू करने के बारे में नहीं सोच सकते हैं।
इसका साफ मतलब है कि अगले 4-6 हफ्ते मजदूरों की आवश्यकता में गिरावट होगी जो कॉन्ट्रेक्ट मजदूरों के लिए मुसीबत बन सकता है।
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