90 रुपए में एक टन माल ढुलाई करना पड़ता है, दिहाड़ी पर मज़बूर श्री राम इंजिनीयर्स के मज़दूर की दास्ता
वर्कर्स यूनिटी के रिपोर्टस ऑन व्हील्स के दुसरे पड़ाव में हम मानेसर आईएमटी के देवी लाल पार्क में उन मज़दूरों से मिलने पहुंचे थे जिन्हें कंपनी ने गैरक़ानूनी तरीके से काम से निकाल दिया था।
इसी दौरान हमारी मुलाकात श्री राम इंजिनीयर्स में पिछले पांच सालों से काम कर रहे भुपेंद्र कुमार नाम के एक दलित मज़दूर से हुई इन्हें भी बाकी मज़दूरों की तरह कंपनी ने आर्थिक तंगी का हवाला देकर काम से निकाल दिया है।
भुपेंद्र कुमार हरियाणा के रहने वाले हैं। इनेक परिवार में 2 बेटियां, 1 बेटा और इनकी पत्नी हैं।
नौकरी हाथ से चले जाने के बाद भुपेंद्र परिवार का पेट पालने के लिए दिहाड़ी करने पर मज़बूर हो गए हैं।
भुपेंद्र ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि, “मेरे पास खेती नहीं हैं। रहने के लिए एक कमरे का घर है। रोज़गार न होने के नाते मैं दिहाड़ी करने के लिए गया। 1 टन उठाने के बाद सेठ मुझे 90 रुपए देता था। वो भी समय पर नहीं मिलता था।”
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बच्चों की छूट गई पढ़ाई
उन्होंने ने आगे कहा, “1 टन को उठाने में 2 घंटे लगते थे। इसतरह मैं दिन भर में 300 रुपए कमा लेता था। लेकिन शाम होते – होते कभी मेरे पैर में चोट आ जाती है तो कभी हाथ कट जाता है।”
आंखों में आंसु लेकर वे कहते हैं, “खून पसीना एक करने के बाद मुझे इतना पैसा नहीं मिलता था, जिससे मैं अपने परिवार को दो समय का खाना खिला पाऊ। पैसों की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई छूट गई है।”
भुपेंद्र बताते हैं, “लॉकडाउन के कारण बच्चों की पढ़ाई ऑनलाई हो रही है, पर मेरे पास इतना पैसा नहीं है जिससे मैं एक स्मार्ट फ़ोन खरदू और इंटरनेट के बारे में सोच भी नहीं सकता हूं।”
श्री राम इजिनीयर्स से निकाले गए मज़दूर काम पर वापस लेने के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इसमें भुपेंद्र कुमार भी शामिल हैं।
भुपेंद्र कुमार कहते हैं, “अगर कंपनी ने 1 महीने के भीतर काम पर वापस नहीं लिया तो मैं अपने गांव चला जाउंगा क्योंकि वहा जाकर दूसरों के खेतों में मज़दूरी कर के दो वक्त का खाना तो मिल ही जाएगा।”
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