मजदूर भूखे बैठे रहे, 500 खाने के पैकेट शहर का चक्कर काटते रहे

मजदूर भूखे बैठे रहे, 500 खाने के पैकेट शहर का चक्कर काटते रहे

By आशीष सक्सेना

उत्तरप्रदेश में मजदूरों की खैरखबर लेने का हिसाब कैसे चल रहा है, इसका खासा दिलचस्प वाकया 22 मई को हुआ। देर शाम खाने के पैकेट मजदूरों को मुहैया कराने के लिए समाजसेवी निकले लेकिन उनको बांटने की इजाजत तक नहीं मिल सकी। फिर किसी तरह उन्होंने ये पैकेट जहां-तहां खपाए।

बरेली शहर में शास्त्रीनगर के रहने वाले स्वतंत्र पत्रकार व सेंचुरी पेपर मिल के रिटायर्ड कर्मचारी एके सक्सेना ने दूरदराज से आने वाले मजदूरों को खाना मुहैया कराने की कोशिश शुरू की है। ट्रेनों से बरेली पहुंचने वाले मजदूरों को उन्होंने खाना मुहैया कराने के लिए दिनभर दौड़धूप करके हलवाई लगाकर खाना बनवाया और फिर उनके पैकेट तैयार कराए।

शाम के समय 500 पैकेट एक ई-रिक्शा पर लादकर वे अपनी टीम के तीन लोगों के साथ रेलवे जंक्शन पहुंचे। उससे पहले तहसीलदार सदर को फोन करके इजाजत मांगी। तहसीलदार ने बात राजस्व निरीक्षक पर टाल दी। राजस्व निरीक्षक ने भी जब फोन नहीं उठाया तो चारों लोग खाने के पैकेट के साथ एडीएम प्रशासन के सामने पहुंचे, जहां वर्कर्स यूनिटी प्रतिनिधि से उनकी मुलाकात हुई।

वर्कर्स यूनिटी की ओर से उन्हें एसडीएम सदर का नंबर दिया गया, जिसे लगाया तो कॉल रिसीव नहीं हुई। फिर एडीएम सिटी का नंबर दिया, उस पर भी कॉल रिसीव नहीं हुई। इसके बाद डीएम और फिर कमिश्रर का नंबर दिया गया, उन्होंने भी कॉल रिसीव नहीं की। इसके बाद वर्कर्स यूनिटी की ओर से उनका फेसबुक लाइव किया गया।

बाद में ये समाजसेवी पास ही में डीएम आवास पहुंचे, कि शायद वहां से इजाजत मिल जाए। लेकिन वहां तैनात सिपाही ने उनको तवज्जो नहीं दी। मायूस होकर वे सैटेलाइट बस अड्डे की ओर रवाना हुए, जहां ट्रेनों से आए या अपने साधनों या फिर पैदल मजदूर अक्सर पहुंच रहे हैं।

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इससे पहले चौकी चौराहे पर तैनात पुलिस ने उन्हें रोका तो उन्होंने खाना बांटने की बात कहकर पुलिस को 25 पैकेट दे दिए, फिर आगे चौकी या चौराहों पर तैनात पुलिस को कुछ पैकेट बांटे। सैटेलाइट बस स्टेशन पर जो भी लोग मिले, सभी को खाने के पैकेट दे दिए, भले ही वे स्थानीय लोग रहे हों।

कुछ पैकेट वर्कर्स यूनिटी के माध्यम से झुग्गियों में रह रहे लोगों तक पहुंचा दिए गए। यह घटनाक्रम शाम आठ बजे शुरू हुआ और रात को 11 बजे तक चला। इस बीच कई ट्रेनों से मजदूर बरेली पहुंचे और भूखे प्यासे जहां-तहां बैठे रहे। उनके बंदोबस्त की जिम्मेदारी प्रशासन ने ले रखी है।

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ashish saxena