इंटरार्क: मज़दूर किसान महापंचायत में बड़ा ऐलान, 18 नवम्बर को किसान अपने ट्राली और ट्रैक्टर के साथ कंपनी गेट पर देंगे धरना
उत्तराखंड के किच्छा में स्थित इंटरार्क बिल्डिंग मैटीरियल्स प्राईवेट लि. के गेट पर मज़दूर किसान महापंचायत संपन्न हुई। SKM ने मज़दूरों के लम्बे संघर्ष को अपना समर्थन दिया।
किसान मज़दूर महा पंचायत का हिस्सा बने SKM के वरिष्ठ नेता राकेश टिकैत ने ऐलान किया है कि अगर प्रबंधन मज़दूरों के साथ आगामी 18 नवम्बर तक कोई समझौता नहीं करता है, तो सभी किसान अपनी ट्राली और ट्रैक्टर के साथ कंपनी गेट पर धरना देंगे।
उनका कहना है कि इस दौरान न कोई माल अंदर जाएगा और न बाहर आएगा। यदि इससे कोई अव्यवस्था होती है, तो प्रशासन जिम्मेदार होगा।
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इंटरार्क मज़दूर यूनियन के प्रधान दलजीत ने कहा कि आज से आर-पार की लड़ाई का ऐलान हो चुका है। 14 महीनों से लगातार मज़दूरों का संघर्ष जारी है। अब प्रशासन को निर्णय करना है कि वो किसका पक्ष लेगा?
आप को बता दें कि आज महापंचायत ने एक मज़दूर किसान कमेटी का गठन किया गया है जिसमें ट्रेड यूनियनों के सदस्य, किसान यूनियन के सदस्य और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं को शामिल किया गया है।
कार्यक्रम में मंच से भाषण के दौरान राकेश टिकैत ने कहा कि अभी प्रशासन आये और मज़दूर किसान कमेटी के सदस्यों की प्रबंधन से बात करवाये। लेकिन जब कमेटी के सदस्य प्रबंधन के अधिकारियों से बात करने गए, तो वहां मौजूद पुलिस प्रशासन ने उनको रोक दिया और कहा कि प्रबंधन अभी बात करने के लिए तैयार नहीं है।
वहीं इंटरार्क प्रबंधन का कहना है कि हम केवल उन मज़दूर नेताओं से ही बात करेंगे, जो पहले इंटरार्क में काम कर चुके हैं।
आधे घंटे की जद्दोजहद के बाद किसी ने मज़दूर कमेटी के सभी सदस्यों को दोबारा मंच पर बुला लिया गया उसके बाद बैठक में इस बात का निर्णय लिए गया। प्रबंधन को केवल 18 नवंबर तक का समय दिया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि इंटरार्क बिल्डिंग मैटीरियल्स प्राईवेट लिमिटेड के किच्छा और पंतनगर प्लांट में पिछले 4 साल से वेतन समझौते और अन्य मामलों को लेकर मज़दूरों और प्रबंधन के बीच तनाव का माहौल है।
इस सम्बन्ध में कई मामले श्रम कोर्ट और हाई कोर्ट तक गए हैं। अच्छी बात यह है कि ज्यादातर मामलों में मज़दूरों की ही जीत हुई है।
अब मज़दूरों की मांग है कि जो फैसले न्यायालय में हो चुके हैं उसको प्रशासन तत्काल लागू करवाए। मज़दूरों का आरोप है प्रशासन प्रबंधन के साथ मिलीभगत कर के मशीनों को बाहर निकलवा रहा है। स्थाई मज़दूरों की छटनियाँ कर ठेका मज़दूरों को काम दे रहा है।
प्रबंधन के अधिकारियों ने अभी तक झूठे आरोप लगाकर लगभग 95 मज़दूरों को बाहर कर दिया गया है। उनकी जगह ठेका मज़दूरों को भर्ती कर लिया है, जो मज़दूर अधिनियम का पूरी तरह से उल्लंघन है।
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इंटरार्क मज़दूर संगठन का कहना है कि पिछले 7 सितम्बर से इंटरार्क के दोनों प्लांटों के सभी मज़दूर सामूहिक हड़ताल पर बैठ गए हैं। उनका कहना है कि सभी मज़दूरों 18 नवंबर तक और इंतज़ार करने को तैयार हैं।
यदि उस समय तक प्रबंधन मज़दूरों की मांगों को नहीं मान लेता है, तो मज़दूर और किसान संगठन मिल कर अपनी पूरी ताकत के साथ किच्छा प्लांट के गेट पर इकट्ठा होंगे और कंपनी के गेट पर टाला लगाएंगे। जिसके बाद न तो प्रोडक्शन मटेरियल को बाहर जाने देंगे और न अंदर आने देंगे।
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(स्टोरी संपादित शशिकला सिंह)
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