जम्मू कश्मीर में बिना जांच के ही सरकारी कर्मचारी को बर्खास्त करने का काला कानून, यूनियनों ने किया विरोध

जम्मू कश्मीर में बिना जांच के ही सरकारी कर्मचारी को बर्खास्त करने का काला कानून, यूनियनों ने किया विरोध

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने एक स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) का गठन किया है, जो ऐसे सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी जिन पर ‘राज्य की सुरक्षा‘ के खिलाफ गतिविधियों में शामिल होने का शक है।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, एसटीएफ के गठन का आदेश संविधान के आर्टिकल 311(2) (सी) के तहत दिया गया है।

यह आर्टिकल प्रशासन को अधिकार देता है कि वह किसी भी कर्मचारी को बिना जांच का गठन किए राज्य की सुरक्षा के आधार पर हटा सकता है।

आर्टिकल 311(2) कहता है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी सिर्फ जांच के बाद ही हटाया जा सकता है या उसका ओहदा कम किया जा सकता है।

लेकिन सब-सेक्शन सी कहता है, “ये क्लॉज वहां लागू नहीं होगा, जहां राष्ट्रपति या राज्यपाल संतुष्ट हैं कि राज्य की सुरक्षा के लिए जांच जरूरी नहीं है।”

आदेश में कहा गया है कि एसटीएफ का काम ऐसे कर्मचारियों का रिकॉर्ड बनाना होगा जिन पर ‘आर्टिकल 311(2) (सी) के तहत कार्रवाई‘ हो सकती है और उन्हें सरकार की तरफ से गठित एक कमेटी को रेफर करना होगा।

इसके अलावा एसटीएफ टेरर मॉनिटरिंग ग्रुप के साथ काम करके ऐसे कर्मचारियों की पहचान करेगी और इस संबंध में बाकी एजेंसियों और विभागों की मदद लेगी।

इसकी अध्यक्षता जम्मू-कश्मीर सीआईडी के एडिशनल डीजीपी करेंगे और इसमें आईजी जम्मू-कश्मीर के अलावा कानून, न्याय और संसदीय मामलों का एक प्रतिनिधि और कर्मचारी के विभाग का एक प्रतिनिधि शामिल होगा।

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के स्टेट सेक्रेटरी और पूर्व विधायक मोहम्मद यूसुफ तारिगामी इस आदेश की अलोचना करते हुए कहते हैं, ‘‘ये मनमानी है, ये काला कानून है और जम्मू कश्मीर में काम करने वाले लाखों कर्मचारियों के ख़िलाफ़ है।‘‘

उन्होंने कहा, ‘‘पहले से ही यहां कानून में कई प्रावधान मौजूद हैं, जो उन कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार देते हैं जो अपनी ड्यूटी का उल्लंघन करते हैं। इस हवाले से नया ऑर्डर जारी करने की क्या जरूरत है?‘‘

यूसुफ तारिगामी आगे कहते हैं, “इस तरह का ऑर्डर सरकार और अधिकारियों को ये मौका देगा कि वो अपने मातहत कर्मचारयों को दबा कर रखें। कर्मचारी के खिलाफ किसी जाँच के बिना कार्रवाई करना या नौकरी से बर्खास्त करना इंसाफ के नियमों के खिलाफ है।”

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Workers Unity Team

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