पेट्रोल पर लूट-3: हवाई जहाज का पेट्रोल 22.54 रु. में, बाइक का पेट्रोल 83 रुपये
By एसवी सिंह
दुनिया में कच्चे तेल के दामों में आ रही अभूतपूर्व गिरावट के मद्देनज़र सरकार ने हवाई ज़हाज़ में उपयोग होने वाले पेट्रोल के दामों में 23% की कमी की।
आज स्थिति ये है कि हवाई ज़हाज़ में इस्तेमाल होने वाला पेट्रोल क़रीब 22.54 रुपये प्रति लीटर में उपलब्ध है जबकि स्कूटर मोटर साइकिल में इस्तेमाल होने वाले पेट्रोल के दाम दाम दिल्ली में 83 रुपये और राजस्थान में 87 रुपये है।
ग़रीब लोग पेट्रोल के दाम अमीरों के मुकाबले 350% अधिक, मतलब साढ़े तीन गुना ज्यादा चुका रहे हैं।
इतनी चिन्ता करते हैं मोदी जी ‘मेरे प्यारे ग़रीब भाइयो बहनों’ की!! मौजूदा सरकार का हवाई यात्रा करने वालों से कुछ विशेष ही प्रेम है।
ये पिछले महीनों में भी ज़ाहिर हुआ था जब अपने रोज़गार गँवा चुके विस्थापित मज़दूर भूखे बेहाल देश के एक कोने से दूसरे कोने तक पैदल यात्रा कर रहे थे और रस्ते में भूख से या फिर दुर्घटनाओं में मर रहे थे।
और उनके लिए रेलगाड़ियाँ मयस्सर नहीं थीं उसी वक़्त मोदी सरकार विदेशों में फंसे अमीरों को लाने के लिए विशेष विमानों की व्यवस्था की जा रही थी।
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पेट्रोल उपकर (सेस)
पेट्रोल-डीज़ल-गैस के दामों के रूप में हो रही खुली लूट की जब कोई दखल नहीं ले रहा है।
लोग प्रतिकार में सड़कों पर उतर अपनी ताक़त दिखाने की बजाए इन झटकों को बिना कुलबुलाए सहन करते जा रहे हैं तब केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारें भी बहती गंगा में हाथ धोने का अवसर भला क्यों छोड़ें।
बकरे को हलाल करने के लिए वे भी अपनी छुरी निकालकर और कर ठोकते जा रहे हैं। किसी भी कर या दूसरी किसी वसूली के साथ ही पेट्रोल उपकर (सेस) लगाकर अपने ख़जाने भर रहे हैं।
उदाहरणार्थ, हरियाणा सरकार 19,000 रुपये के बिजली बिल में रु 955 पेट्रोल उपकर वसूल रहे हैं।
मानो देश में लूट की राष्ट्रीय खुली प्रतियोगिता चल रही है!!
रसोई गैस की अभूतपूर्व गति से बढ़ती क़ीमतें
2014 में जब ये स्वयं घोषित एवं प्रचारित ‘देशभक्त’ सरकार सत्ता में आई थी तब रसोई गैस का एक सिलिंडर दिल्ली में रु 220 में आता था।
जिसे बहुत मंहगा बताकर और ग़रीब गृहणियों पर अन्यायकारक बताकर भाजपा ने देश भर में सिर पर गैस का खाली सिलिंडर रखकर प्रदर्शन किए थे। आज भी वो वीडियो देखे जा सकते हैं।
आज वही सिलिंडर रु 858.50 में आ रहा है और ये अन्यायकारक नहीं माना जा रहा क्योंकि कहीं कोई आन्दोलन प्रतिरोध होता नज़र नहीं आता।
गैस के दाम पिछले 6 सालों में कुल कितनी बार बढाए गए हैं, गिनती करना मुश्किल है।
हर बार गैस सिलिंडर की कीमत पिछले महीने से ज्यादा ही पाई जाती है। (क्रमशः)
(यथार्थ पत्रिका से साभार।)
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