रिको कंपनी ने धरूहेंडा प्लांट से 118 मज़दूरों को काम से किया बेदखल, 22 मई को 119 परमानेंट मज़दूरों को किया था लेऑफ़
हरियाणा के धरूहेंडा में स्थति ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनी रिको ने 118 मज़दूरों को अवैध तरीके से काम से निकाल दिया है। इस कंपनी ने पहले 22 मई को एक नोटिस जारी कर 119 परमानेंट वर्करों को लेऑफ़ कर दिया था। पर अब खबर आरही है कि 118 मज़दूरों को काम से बेदखल कर दिया है।
कंपनी के इस गैर जिम्मेदाराना हरकत से गुस्साए मज़दूर रोजाना 2 घंटे कंपनी के गेट के सामने इंसाफ के लिए प्रदर्शन करते हैं।
रिको मज़दूर संघ के नेता राजकुमार ने वर्कर्स यूनिटी को बाताय कि, “पहले 119 परमानेंट मज़दूरों को लेऑफ़ के नाम पर घर बैठा दिया था, अब हमें हमेशा के लिए बेरोज़गार कर दिया है। आखिर प्रबंधन ने इस तरह की हरकत क्यों की इस बात की कोई जानकारी हमें नहीं दी गई है। लेकिन इंसाफ की ये लड़ाई हम लड़ते रहेंगे।”
आप को बता दे कि 22 मई को एक नोटिस जारी कर 119 परमानेंट वर्करों को लेऑफ़ दे दिया गया था। नोटिस में कहा गया था कि ये ले ऑफ़ औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के तहत किया जा रहा है।
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कोरोना के बहाने कंपनियां परमानेंट मज़दूरों को काम से निकाल रही हैं।
आरबीआई के अनुमान के मुताबिक लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था शून्य से भी नीचे जा चुकी है और बाज़ार में मांग शून्य हो गई है।
ऐसे में पहले का स्टॉक बड़े पैमाने पर मौजूद होने कारण नए उत्पादन की उतनी ज़रूरत नहीं रह गई है। इसलिए कंपनियां अपने अस्थाई मज़दूरों से पीछा छुड़ा रही हैं।
मज़दूरों के बीच काम करने वाले ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता श्यामबीर शुक्ला ने कहा कि, “लॉकडाउन के पहले ही छंटनी और तालाबंदी का दौर इस इलाके में चल रहा था। अब कोरोना के बहाने कंपनियां परमानेंट मज़दूरों को भी बाहर का रास्ता दिखाने पर अमादा हैं”।
वर्कर्स यूनिटी को पिछले दो हफ़्ते से ऐसी ख़बरें मिलने लगी थीं कि कंपनियां मज़दूरों को गैरक़ानूनी तरीक़े से निकाल रही हैं। कई मज़दूरों कर्मचारियों ने इसकी लिखित शिकायत वर्कर्स यूनिटी को भेजी हैं
22 मई को देश की दस सबसे बड़ी ट्रेड यूनियनों ने राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस का आयोजन कर श्रम क़ानूनों को ख़त्म किए जाने का विरोध किया था।
लेकिन जिस पैमाने पर छंटनी की शुरुआत हुई है उसे देखकर लगता है कि आने वाला दिन मज़दूरों के लिए बहुत आसान नहीं रहने वाला।
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