लेबर कोड के ख़िलाफ़ 23 सितम्बर को विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन
मज़दूर विरोधी लेबर कोड और कृषि अध्यादेशों के ख़िलाफ़ केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों ने 23 सितम्बर को विरोध दिवस मनाने का आह्वान किया है।
बयान में कहा गया है कि देश भर में कोरोना महामारी बगैर किसी रोकटोक के छलांग मारकर बढ़ रही है। जनता कष्ट सह रही है और गरीब, खासकर मजदूर और गरीब किसान सबसे अधिक पीड़ा भुगत रहे हैं।
प्रतिदिन कोरोना के करीब एक लाख नए मामले आने लगे हैं और इसके साथ हमारा देश अक्टूबर माह की शुरुआत तक दुनिया का सबसे अधिक प्रभावित देश बनने की ओर बढ़ रहा है। कुछ अध्ययनों में बताया गया है कि प्रत्येक चार में एक भारतीय संक्रमित है।
सरकार ने अर्थव्यवस्था को भी चौपट कर डाला है। अप्रैल से जून की तिमाही में भारत की जीडीपी में लगभग 24% की गिरावट आई है, जो दुनिया के किसी भी देश की अपेक्षा सबसे बड़ी गिरावट है। जीडीपी में इस गिरावट की मार भी गरीबों पर ही पड़ रही है।
जहां अप्रैल के बाद अम्बानी की संपत्ति में 35% की वृद्धि हुई है, वहीं अप्रैल से अगस्त के अंत तक सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1.89 करोड़ नौकरियां खत्म हो चुकी हैं जबकि लॉकडाउन से पहले ही बेरोजगारी पिछले 45 वर्षों में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थी और अर्थव्यवस्था गिर रही थी|
ऐसे समय में, सरकार द्वारा मजदूरों पर और अधिक हमला करने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार द्वारा लॉकडाउन से पूर्व ही श्रम कानूनों में मजदूर-विरोधी बदलाव लाकर मजदूरों पर हमला करने की कोशिश की गई थी।
कोरोना काल में कई राज्यों द्वारा, मुख्य रूप से भाजपा शासित राज्यों द्वारा मजदूर-विरोधी कदम उठाये गए, जैसे कि मज़दूरों से बगैर ओवरटाइम दिए 12 घंटे प्रतिदिन काम करवाना और मजदूरों के अधिकारों को निलंबित करना।
अब संसद सत्र आहूत किया गया है और संभवतः इस सत्र में औद्योगिक संबंध संहिता व सामाजिक सुरक्षा संहिता, व्यावसायिक सुरक्षा संहिता, स्वास्थ्य और कार्यस्थल परिस्थितियों को बिना किसी बहस के पारित किया जाएगा।
इन संहिताओं के जरिए ठेका प्रथा को मजबूत किया जाएगा। मालिकों को फिक्स्ड टर्म कॉन्ट्रैक्ट (नियत अवधि अनुबंध) के नाम पर मजदूरों को काम पर रखने और निकालने (हायर एंड फायर) की सुविधा होगी। यूनियन बनाने के अधिकार में भारी कटौती होगी तथा मजदूरों के अन्य कई अधिकार हमले की जद में आ जाएंगे।
इसके साथ ही, सरकार कई प्रतिष्ठानों का निजीकरण भी करने जा रही है। बीपीसीएल, एचपीसीएल और आईओसी जैसी तेल कंपनियां निजीकरण की कतार में हैं। आयुध कारखानों का निजीकरण किया जाना है।
भारतीय रेलवे और एयर इंडिया का निजीकरण किया जाएगा और कई सारे बैंकों और बीमा कंपनियों के निजीकरण की संभावना है।
इससे न केवल इनमें कार्यरत मजदूरों के अधिकार प्रभावित होंगे, बल्कि इससे देश की सुरक्षा, आर्थिक और सामरिक स्थिति भी खतरे में पड़ जाएगी।
सरकार ने किसान विरोधी तीन अध्यादेशों को भी पारित कर दिया है| इन किसान विरोधी व राष्ट्रविरोधी अध्यादेशों के खिलाफ चल रहे जबरदस्त किसान आंदोलन को हम सलाम करते हैं|
इस परिस्थिति में केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों ने 23 सितम्बर को विरोध दिवस मनाने का आह्वान किया है। बेशक, केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा लॉकडाउन के समय से ही सरकार के खिलाफ सक्रियता से विरोध किया जा रहा है।
लेकिन यह स्पष्ट है कि मजदूरों के इन विरोध प्रदर्शनों के प्रति सरकार बहरी बनी हुई है और सरकार को सुनाने के लिए कहीं ज्यादा जोरदार कार्रवाई करने की जरूरत है।
- मजदूर-विरोधी नई श्रम संहिताएं लाना बन्द किया जाए।
- देशभर में मजदूरों के लिए उचित न्यूनतम वेतन घोषित किया जाए|
- महामारी के दौरान काम से निकाले गए मज़दूरों के खातों में 10-10 हज़ार रुपये डाले जाएँ।
- सभी मजदूरों को लॉकडाउन की अवधि का पूरा वेतन दिया जाए।
- स्थाई प्रकृति के सभी कामों में ठेका प्रथा खत्म किया जाए।
- निजीकरण और नई शिक्षा नीति जैसी जन-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीतियों को रद्द किया जाए।
- जीडीपी का5 प्रतिशत जनस्वास्थ्य के लिए संरक्षित किया जाए।
- इस महामारी के दौरान काम कर रहे हर श्रमिक का50 लाख का बीमा किया किया जाए |
- सभी मजदूरों को भविष्य निधि का पूरा भुगतान किया जाए।
- सभी मजदूरों और पेंशनभोगियों को महंगाई भत्ते का पूरा भुगतान किया जाए।
- कोरोना महामारी के बोझ को मजदूरों और मेहनतकशों की पीठ पर लादना बन्द किया जाए।
जारी बयान पर एआईसीसीटीयू के राजीव डिमरी, आईएफटीयू के प्रदीप, एनटीयूआई के गौतम मोदी, टीयूसीआई के संजय सिंघवी, एआईएफटीयू-एन के विजय कुमार, एआईडब्ल्यूसी के ओ पी सिन्हा, ईसीएल टीएसएयू के उमेश दुशाद, जीएमयू,बिहार के अशोक, आईएफटीयू एस. वेंकटेश्वर राव, आईएफटीयू सर्वहारा के कन्हाई बरनवाल, आईएमके से नगेंद्र, आईएमके पंजाब से सुरेन्द्र, जेएसएम हरियाणा की सुदेश कुमारी, केएसएस के वरद राजेंद्र, एमएसके से के के.सिंह, एमएसके से मुकुल, एनडीएलएफ के एस पलानीसमी, एसडब्ल्यूसीसी पश्चिमी बंगाल से अमिताभ भट्टाचार्य ने हस्ताक्षर किए हैं।
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