सत्यम ऑटो में चार साल के लिए 11,900 रु. का वेतन समझौता, ठेका मज़दूरों को डबल ओवर टाइम का आश्वासन
हरियाणा के मानेसर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित सत्यम ऑटो में मज़दूरों और प्रबंधन में समझौता हो गया है। वेतन वृद्धि का समझौता अगले चार साल के लिए हुआ है।
मालूम हो कि सत्यम ऑटो के मज़दूर कंपनी प्रबंधन द्वारा उनके वेतन समझौते संबंधी मामलों को पिछले कई महीनों से लगातार लटकाए जाने की वजह से बीते एक मार्च को कंपनी के अंदर ही हड़ताल पर बैठ गये थे। लेकिन 24 घंटे के अंदर ही मैनेजमेंट समझौते के लिए राजी हो गया था।
सत्यम ऑटो कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष इंद्रजीत ने बताया कि परमानेंट मज़दूरों के अगले चार साल का वेतन सेट्लमेंटस 11,900 रुपये जबकि साल 2019-20 के लिये 16,500 रुपये का वेतन समझौता हुआ है।
इसके मुताबिक पहले साल 35%, दूसरे साल 25% और तीसरे साल 20% और 20% की बढ़ोतरी मिलेगी।
वहीं ठेका मज़दूरों के छुट्टी और ओवरटाइम से जुड़े मामलों पर भी कंपनी ने कहा कि इस पर मज़दूर यूनियन के साथ अलग से बातचीत की जाएगी और उसके बाद ही कुछ निर्णय लिया जायेगा।
ठेका मज़दूरों के परमानेंट करने संबंधी मांगों को कंपनी प्रबंधन ने सिरे से खारिज कर दिया है। कंपनी का कहना है कि फिलहाल किसी भी मज़दूर को स्थायी करने का कोई प्लान नहीं है।
इंद्रजीत ने बताया कि ठेका वर्करों के ओवरटाइम का मामला अभी हल नहीं हुआ है हालांकि कंपनी ने आश्वासन दिया है कि मज़दूरों को डबल ओवरटाइम दिया जाएगा।
ज्ञात हो कि कोरोना जबसे शुरू हुआ है, ठेका मज़दूरों से 12-12 घंटे काम कराया जाता है लेकिन तर्कसंगत ओवरटाइम नहीं दिया जाता। सरकारी नियमों के मुताबिक छुट्टी नहीं दी जाती और अगर किसी ने छुट्टी कर ली तो उसका गेट बंद कर दिया जाता है।
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एक ठेका मज़दूर ने कहा कि ” कैजुअल वर्कर को कंपनी हर 5-6 महीनों पर निकालती रहती है। छुट्टियों का वेतन भी काटा जाता है, बाथरुम तक जाने पर नज़र रखी जाती है। यहां तक कि नौकरी से निकाले जाने की धमकी देकर ज्यादा काम कराया जाता है। ऐसे में प्रबंधन से स्थायी करने की उम्मीद करना बेमानी है।”
यूनियन प्रतिनिधि इंद्रजीत ने बताया कि “प्रबंधन ने मज़दूरों के साथ वार्ता के दौरान एक पेपर पकड़ाते हुए कहा कि इस पर साइन करते हुए आप लिखें कि कैजुअल वर्करों के बारे में कोई बातचीत नहीं की जायेगी। लेकिन यूनियन ने इससे इनकार करते हुए कह दिया कि हम उनकी मांगों को लेकर भी लडेंगे।”
ठेका मज़दूरों का कहना है कि कंपनी में उनसे से बेहद कम सैलरी देकर काम लिया जाता है। कुछ मज़दूरों को 10 हजार तो कुछ मज़दूरों को मात्र साढ़े सात हजार देकर ही उनसे काम लिया जाता है। उल्लेखनीय है कि जब एक मार्च को कंपनी में हड़ताल हुई थी तो साथ में ठेका मज़दूर भी हड़ताल में शामिल थे।
कंपनी के इस प्लांट में यूनियन, जोकि एचएमएस से संबद्ध है, और मैनजमेंट में काफ़ी तनाव रहा है। परमानेंट मज़दूरों की एक शिफ़्ट कर दी गई है और पूरी कंपनी को सिर्फ दो शिफ़्ट में चलाया जा रहा है। इसे भी लेकर मज़दूरों में आक्रोश है।
मज़दूरों के यूनियन के एक पदाधिकारी का आरोप है कि ‘कंपनी प्रबंधन से जुड़े केके सिन्हा नामक एक व्यक्ति मज़दूरों के वाजिब मांगों के सामने बड़ा रोड़ा है। उत्तराखंड के सिडकुल स्थित सत्यम ऑटो के मज़दूरों के छंटनी के पीछे भी इसी व्यक्ति का हाथ है।’
उल्लेखनीय है कि हरिद्वार औद्योगिक इलाके में स्थित सत्यम ऑटो प्लांट में चार साल पहले निकाले गए कर्मचारी अभी भी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इंद्रजीत का कहना है कि केके सिन्हा उस समय वहीं थे। इसके बाद उन्हें मानेसर लाया गया है।
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