बच्चों के बचपन पर लॉकडाउन, तस्वीरों में बिहार चुनाव
![बच्चों के बचपन पर लॉकडाउन, तस्वीरों में बिहार चुनाव](https://www.workersunity.com/wp-content/uploads/2020/10/DSC_2073.jpg)
By रितिक जावला
बिहार का ये वही इलाका है जहां प्रधानमंत्री अपने बिहार चुनाव अभियान की शुरुआत करेंगे। पढ़ाई लिखाई बंद है, स्कूल बंद हैं, विरोध प्रदर्शनों पर पाबंदी है लेकिन चुनावी रैलियों का ज़ोर बढ़ गया है।
इन सबका असर बच्चों पर बहुत अधिक है। स्कूल छूट गया और ऑनलाइन की कोई सूरत नहीं है।
रोहतास ज़िले के करहगर ब्लॉक में योगीपुर गांव है जहां महादलित समुदाय के 150 परिवारों का एक टोला है।
सासाराम जिले से महज़ 30 किलोमीटर दूर इस गांव तक पहुंचने के लिए एक पगडंडी है और इसी पगडंडी से जितना विकास जा सकता है गांव में पहुंच रहा है।
![bihar children, yogipur rohtas bihar](https://www.workersunity.com/wp-content/uploads/2020/10/yogipur.jpg)
यहां तक पहुंचते पहुंचते भी विकास एक मज़ाक बन कर रह जाता है।
लॉकडाउन के बाद से स्कूल बंद हैं। बच्चे घर पर हैं, न पढ़ने का इंतज़ाम न खाने का।
खाने और गुजारा करने लायक ज़रूरी चीजें भी मौजूद नहीं है। सीजनल खेती का काम ही एक आसरा है लेकिन धान की कटाई अभी शुरू नहीं हुई है।
परिवार भूखो मरने को मजबूर है जरूरी चीजों के अभाव के चलते आजकल ये लोग पास की नहर और खेतों से मछली का शिकार कर बाजार में बेचकर अपना गुजारा करने को मजबूर हैं।
![bihar children khadari, rohtas](https://www.workersunity.com/wp-content/uploads/2020/10/DSC_2047.jpg)
बस्ती में सभी लोगों के मकान ज्यादातर मिट्टी से बने हैं। इन लोगों को किसी भी तरह की आवासीय योजनाओं का लाभ अभी तक नहीं मिला है।
बहुप्रचारित उज्जवला योजना का गैस सिलेंडर तक इस बस्ती में नहीं पहुंचा। बच्चे दिन भर लकड़ी इकट्ठा करते हैं और शाम को लड़कियां चूल्हे पर खाना बनाती हैं।
![Girl cooking food](https://www.workersunity.com/wp-content/uploads/2020/10/DSC_2067.jpg)
प्रधानमंत्री कोरॉना महामारी में बड़ी – बड़ी रैलियों में व्यस्त हैं। 23 अक्टूबर को खुद बिहार के सासाराम में नरेंद्र मोदी की एक बड़ी रैली का आयोजन किया जा रहा है। चुनाव जीतना ही अहम हो गया है। लेकिन इन सबमें बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है।
धुएं से रंगी चूल्हे पर रखी काली पतीली में हमारे प्रधानमंत्री जी की उज्जवला योजना पक रही है। रोजाना पकवान खा कर गालों की हड्डियां उभर आयी है। ये बच्ची महादलित परिवार से आती है और रोहतास ज़िले के करहगर ब्लॉक में जोगीपुर की बस्ती में रहती है।
जोगीपुर में जाने तक का ढंग का रास्ता नहीं। अधिकांश घर छप्पर के हैं। जिन लोगों ने पक्के घर बनवाए, उनके पास इतना सामर्थ्य नहीं कि सीढ़ी बनवा सकें। बांस की बनी सीढ़ियों से ही बच्चे छत पर जाते हैं।
(सभी तस्वीरें रितिक ज्वाला, फ़ोटो जर्नलिस्ट)
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