कर्फ्यू लगाकर हसदेव जंगल में कटाई शुरू, काटे गए 20 हजार से ज्यादा पेड़

कर्फ्यू लगाकर हसदेव जंगल में कटाई शुरू, काटे गए 20 हजार से ज्यादा पेड़

छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में तमाम विरोधों के बाद आज दोपहर करीब तीन बजे फिर से पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई है। सूचना मिलने तक 20 हजार से ज्यादा छोटे-बड़े पेड़ों को काट दिया गया है।

मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस बल से भी ज्यादा पुलिस के संरक्षण में दस से ज्यादा स्कार्पियो में अडानी के गुंडे खुलेआम ग्रामीणों को धमकाते घूम रहे हैं।

परसा और अन्य गांव के ग्रामीणों को उनके घरों में ही कैद कर दिया गया है।

जंगल के पास मौजूद पत्रकार सुनील शर्मा ने बताया कि इलाके में दहशत का माहौल है । किसकी भी पत्रकार को अंदर जाने या फोटो खींचने की बिलकुल भी अनुमति नहीं दी रही है। कटाई का विरोध करने वालो की अंधांधुंद गिरफ्तारियां की जा रही हैं । उनका कहना है कि मैं खुद ही बड़ी मुश्किल से जान बचा कर वहां से आया हूँ।

सुनील का कहना है कि घटना से दो दिन पहले ही क्षेत्र के सरपंचों को यहां के एक नेता द्वारा रायपुर ले जाने की खबर है। पूरे क्षेत्र में कर्फ्यू का माहौल है।

राहुल गांधी हैं चुप

सोशल मीडिया पर राहुल गांधी को लेकर जमकर बयानबाजी की जा रही है। आप को बता दें कि इस सम्बद्ध में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2015 में वादा किया था कि वह जल-जंगल-जमीन बचाने के संघर्ष में आदिवासियों के साथ हैं। लेकिन तमाम विरोध प्रदर्शनों के बावजूद राहुल गांधी चुप हैं।

क्या है विवाद?

छत्तीसगढ़ की मौजूदा सरकार ने 6 अप्रैल 2022 को एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके तहत, हसदेव क्षेत्र में स्थित परसा कोल ब्लॉक परसा ईस्ट और केते बासन कोल ब्लॉक का विस्तार होगा।

जंगलों को काटा जाएगा और उन जगहों को पर कोयले की खदानें बनाकर कोयला खोदा जाएगा। सरकार ने यह खदानें देश के सब से बड़े पूँजीपतियों में से एक अडानी को दिया है। स्थानीय लोग और वहां रहने वाले आदिवासी इस विरोध कर रहे हैं।

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पिछले 10 सालों में हसदेव के अलग-अलग इलाकों में जंगल काटने का विरोध चल रहा है। कई स्थानीय संगठनों ने जंगल बचाने के लिए संघर्ष किया है।

विरोध के बावजूद कोल ब्लॉक का आवंटन कर दिए जाने की वजह से स्थानीय लोग और परेशान हो गए हैं। आदिवासियों को अपने घर और जमीन गंवाने का डर है।

खदान के लिए काटे जाएंगे लाखों पेड़

कोल ब्लॉक के विस्तार की वजह से जंगलों को काटा जाना है। पेड़ काटने के बारे में अलग अलग अनुमान है। एक सरकारी अनुमान के मुताबिक, लगभग 85 हजार पेड़ काटे जाएंगे।

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वहीं स्थानीय लोगों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि हसदेव इलाके में कोल ब्लॉक के विस्तार के लिए 2 लाख से साढ़े चार लाख पेड़ तक काटे जा सकते हैं।

इससे न सिर्फ़ बड़ी संख्या में पेड़ों का नुकसान होगा बल्कि वहां रहने वाले पशु-पक्षियों के जीवन पर भी बड़ा खतरा खड़ा हो जाएग।

हसदेव अरण्य के बारे में?

दुनिया के सबसे घने जंगलों में से एक हसदेव अरण्य है। पौने दो लाख एकड़ में फैला ये घना जंगल जैव विविधता का एक तरह से संग्रहालय है।

यहां 82 तरह के पक्षी, दुर्लभ प्रजाति की तितलियां और 167 प्रकार की वनस्पतियां पाई जाती हैं।

हसदेव अरण्य गोंड, लोहार और ओरांव जैसी आदिवासी जातियों के 10 हजार लोगों का घर है।

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WU Team

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