दिल्ली-एनसीआर में बढ़ा वायु प्रदूषण से निर्माण मजदूरों की सेहत और रोजगार पर खतरा
By शशिकला सिंह
दिल्ली-एनसीआर में हर बार की तरह दिवाली के बाद वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर को पार कर चुका है और इसकी वजह से कामगार वर्ग अपने स्वास्थ्य की कीमत पर काम करने को मजबूर है।
हालांकि एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के “ख़तरनाक” श्रेणी को छूने के बाद दिल्ली में कुछ चलताऊ किस्म के प्रतिबंध लगाए गए हैं जिनमें निर्माण कार्यों पर रोक आदि है, लेकिन केंद्र और दिल्ली की सरकार के पास इसका कोई नीतिगत समाधान है, ऐसा दिखता नहीं है।
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने काफी हो हल्ला के बाद ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का तीसरा चरण लागू किया है, लेकिन इमरजेंसी की हालत होने के बावजूद न तो फैक्ट्रियों को बंद किया गया ना ही कोयले से संचालित पावर प्लांटों पर रोक लगाई गई।
निर्माण गतिविधियों पर रोक लगने से लाखों निर्माण मजदूरों के बेरोजगार होने की स्थिति में क्या करेंगे, इस पर केजरीवाल सरकार चुप्पी लगा गई है।
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‘ठोस नीति बनाने की ज़रुरत’
हरियाणा CITU के नेता सतबीर सिंह का कहना है कि पर्यावरण का मसला काफी चिंताजनक है। इसका सीधा असर मज़दूरों के रोज़गार और स्वास्थ्य पर देखने को मिलता है। उनका कहना है कि सरकार को इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस नीति बनानी चाहिए।
सतबीर में चिंता जताते हुए कहा कि अगर कोयले से जुड़ी इंडस्ट्री, ईटों के भट्टों और निर्माण कार्यों को बंद कर दिया जायेगा तो वहां काम करने वाले मजदूर कहां जाएंगे?
बेरोज़गारी
उनका आरोप है कि असल में प्रदूषित होते पर्यावरण के जिम्मेदार बड़े पूंजीपति और बड़ी कंपनियां हैं। यहां नियमों का सही से पालन होना चाहिए। वायु पर्यावरण के सुधार के नाम पर मज़दूरों को बेरोज़गार नहीं किया जाना चाहिए।
सतबीर का कहना है कि “सरकार को कुछ ऐसी पॉलिसी बनानी चाहिए, जिसमें वायु प्रदुषण बढ़ने से मज़दूरों के रोज़गार पर कोई प्रभाव न पड़े।”
वो कहते हैं, “जब केजरीवाल सरकार आई थी तो उसने ऑड इवन का नियम लागू किया था, लेकिन इस बार गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण पर कोई बात नहीं हुई है।”
गौरतलब है कि दिल्ली-NCR में हर साल दिवाली के बाद वायु प्रदूषण में इजाफा देखने को मिलता है। लेकिन सरकार द्वारा इस समस्या पर कोई ठोस नीति नहीं बनायी जाती है। उल्टा सरकार इसके पीछे पटाखे फोड़े जाने और पराली जलाने के अलावा, मौसमी परिस्थितियों को ही जिम्मेदार ठहरा देती है। इतना ही नहीं मज़दूरों का हमदर्द बनने का दिखावा करते हुए निर्माण कार्यों, कारखानों और भट्टों को ही बंद कर दिया जाता है।
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बीते शुक्रवार को दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 357 था, जबकि शनिवार सुबह 9 बजे दिल्ली का एयर इंडेक्स 396 दर्ज किया गया, जो बेहद खराब श्रेणी में उच्च स्तर पर है। दिल्ली में 36 जगहों पर मौजूद प्रदूषण निगरानी के लिए केंद्र बनाए गए हैं। इन केंद्रों के डाटा के अनुसार 18 जगहों पर एयर इंडेक्स 400 से अधिक दर्ज किया गया। जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
लगातार खराब होती हवा का सबसे ज्यादा प्रभाव उन मज़दूरों के स्वास्थ्य और रोज़गार पर पड़ता है, जो दिहाड़ी मज़दूर के तौर पर काम करते हैं या फिर कहें कि ऐसे मज़दूर को जो दिन-रात खुले में साँस लेते है। इसमें निर्माण मज़दूर, रेड्ड़ी-पिटारी वाले, रिक्शा चालक आदि आते हैं।
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