किसान संगठनों के भारत बंद के दौरान 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनें भी लेंगी प्रदर्शन में हिस्सा

किसान संगठनों के भारत बंद के दौरान 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनें भी लेंगी प्रदर्शन में हिस्सा

किसान संगठनों की ओर से 25 सितम्बर को बुलाए गए भारत बंद का 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने समर्थन किया है।

एक बयान जारी कर इन ट्रेड यूनियनों ने सम्बद्ध यूनियनों से कहा है कि वो किसानों के विरोध प्रदर्शन में सक्रिय रूप से भागीदारी करें।

किसान संगठनों और खेतिहर मज़दूर संगठनों ने संसद में दो कृषि अध्यादेशों के पास किए जाने को लेकर आक्रोषित हैं। राज्यसभा में रविवार को ये दोनों अध्यादेश ध्वनिमत से पास कर दिए गए।

फ़ॉर्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कमर्स (प्रमोशन एंड फ़ेसिलिटेशन) बिल, 2020 और फ़ार्मर्स (एम्पॉवरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ़ प्राइस एश्योरेंस एंड फ़ार्म सर्विसेज बिल 2020 के पास होने के बाद अब राष्ट्रपति की मुहर के लिए भेजा जाएगा।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चे और विभिन्न क्षेत्रों की फ़ेडरेशनों ने 234 किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चे और खेतिहर मज़दूर संगठनों के विरोध प्रदर्शन की पहलकदमी का पूरी तरह समर्थन करने की घोषणा की।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि, ‘विनाशकारी बिजली संशोधन बिल 2020 के ख़िलाफ़ बुलाए गए विरोध प्रदर्शन में भी किसानों के साथ हम शामिल होंगे।’

इन केंद्रीय ट्रेड यूनियनों में  NTUC, AITUC, HMS, CITU, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF और UTU शामिल हैं।

खेतिहर आबादी का सर्वनाश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दोनों क़ानूनों को ऐतिहासिक क़रार देते हुए कहा है कि कृषि क्षेत्र में इससे क्रांतिकारी बदलाव आएगा। कृषि अध्यादेशों के विरोध को लेकर मोदी का कहना है कि ये किसानों के लिए फायदे का सौदा है और विपक्ष किसानों को बरगलाने का काम कर रहा है।

ट्रेड यूनियनों के बयान में कहा गया है कि पास किया गया क़ानून कृषि अर्थव्यवस्था के प्रबंधन को पूरी तरह बदल देगा और कृषि उत्पाद के व्यापार को पूरी तरह विशाल कार्पोरेट कंपनियों के गठजोड़ के हवाले कर देगा।

नया क़ानून खेती से जुड़ी आबादी के अधिकारों को पूरी तरह ख़त्म कर देगा क्योंकि आवश्यक वस्तु अधिनियम और इससे संबंधित जमाखोरी विरोधी, ब्लैक मार्केटिंग विरोधी नियम रद्दी हो जाएंगे।

ट्रेड यूनियनों का कहना है कि कृषि उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसे सकारात्मक हस्तक्षेपों की भूमिका ख़त्म हो जाएगी और सरकार इससे अपने हाथ खींच लेगी।

बयान में कहा गया है कि कृषि पर निर्भर देश की 60 प्रतिशत आबादी का वजूद पूरी तरह संकट में है। नए क़ानून से अडानी, विमार, रिलायंस, वालमार्ट, बिड़ला, आईटीसी जैसे बड़े कारपोरेट घरानों को फ़ायदा पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।

भारत बंद का सर्वाधिक असर पंजाब और हरियाणा में पड़ने के आसार हैं।

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Workers Unity Team

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