कारपोरेट हित वाली नीतियों की वजह से कोरोना का प्रचंड हमलाः संयुक्त किसान मोर्चा
राजधानी दिल्ली से लेकर देश के कोने कोने से खराब स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण बुरी खबरें आ रही है। देश में कॉरपोरेट पक्षीय नीतियों व सरकार के कारण आम लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं तक भी ध्यान नहीं दिया जाता।
सयुंक्त किसान मोर्चा ने उन सभी नागरिकों को श्रद्धांजलि अर्पित किया है जिन्होंने कोविड से जंग लड़ते हुए अपनी जान गवांंई है। एक खबर के मुताबिक, पटियाला मे स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण 31 मरीजों की मौत हो गयी।
मोर्चा ने एक बयान जारी कर कहा है कि केएमपी टोल प्लाजा फ्री कराने पर किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ व 140 किसानों पर पुलिस केस दर्ज किया गया है। सयुंक्त किसान मोर्चा इसकी कड़ी निंदा करता है।
सयुंक्त किसान मोर्चे ने कहा है कि जब तक किसान आंदोलन चल रहा है तब तक टोल प्लाजा भी फ्री रहेंगे।
मंगलवार को सयुंक्त किसान मोर्चा द्वारा शहीद भगतसिंह यूथ ब्रिगेड के सहयोग से राजा हरिश्चंद्र हॉस्पिटल के बाहर खाना वितरित किया गया और बुधवार को यहां 20 स्ट्रेचर भी हॉस्पिटल को दिये जायेंगे। सिंघु बॉर्डर पर सभी डॉक्टर्स की सयुंक्त किसान मोर्चा के नेताओं से बैठक हुई है और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की योजना बनाई गई।
किसान भी अपनी मूलभूत सुविधा MSP के लिए लड़ रहे हैं। किसान आंदोलन की जीत जनता की जीत होगी। गरीब लोगों की जरूरतों को कॉरपोरेट पक्ष की नीतियों ने व्यापार बना लिया है व इनसे संघर्ष करके ही व्यवस्था को बदला जा सकता है। हम सरकार से अपील करते है कि इस महामारी में ऑक्सिजन, दवाइयों, एम्बुलेंस के नाम पर हो रहे नाजायज व्यापार पर अंकुश लगाएं व स्वास्थ्य सम्बधी सारी जरूरते पूरी करते हुए स्वास्थ्य के अधिकार को लागू करें।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनो पर रोक लगाई हुई है परंतु सरकार अप्रत्यक्ष रूप से इन्हें लागू करवाना चाहती है। पंजाब की मंडियों में बारदाने की कमी की लगातार खबरें आ रही है। किसानों को मंडियो में अपनी फसल लिए कई दिनों तक बैठा रहना पड़ रहा है। किसानों को पेमेंट समय पर नहीं हो पा रही है।
सरकार द्वारा ये सब प्रयास मंडी व्यवस्था को खत्म करने के लिए किए जा रहे है। कृषि सेक्टर का निजीकरण भी एक बड़ी आपदा पैदा करेगा जिसमें किसानों की बर्बादी तय है। इसलिए किसान इन कानूनों को रद्द करवाकर MSP पर एक कानून चाहते है।
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