Punjab: खेतिहर मज़दूरों की दिहाड़ी की लड़ाई, CM भगवंत मान का घर घेरा

Punjab: खेतिहर मज़दूरों की दिहाड़ी की लड़ाई, CM भगवंत मान का घर घेरा

By शशिकला सिंह

पंजाब के दलित और भूमिहीन खेतिहर मज़दूरों ने धान के सीज़न में दिहाड़ी बढ़ाए जाने, कर्ज माफ़ी, नजूल की ज़मीन का स्वामित्व समेत दर्जन भर मांग लेकर संगरुर में सीएम भगवंत मान के आवास का घेराव किया।

बीते रविवार को पंजाब से शेरपुर में क्रांतिकारी पेंडू मज़दूर यूनियन के नेतृत्व में हज़ारों खेतिहर मजदूरों ने धरना प्रदर्शन कर मान से तत्काल वार्ता बुलाने की मांग की।

खेतिहर मजदूरों ने जहां धान की रोपाई में दिहाड़ी बढ़ाने की मांग की, वहीं अपनी मर्जी से कम दिहाड़ी तय करने वाले जमीदारों के खिलाफ गुस्सा प्रकट किया।

साथ ही चेतावनी दी कि वह मजदूर किसान एकता में खटास पैदा करने का काम न करें।

वर्कर्स यूनिटी से बातचीत में क्रांतिकारी पेंडू मज़दूर यूनियन (केएमपीयू) के राज्य महासचिव लखवीर लोगोवाल ने कहा कि “पंचायत की एक तिहाई जमीन पाने के लिए कड़ा संघर्ष करना होगा और फिर कहीं जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा।”

केपीएमयू के नेता परगट सिंह कालाझार ने कहा कि ‘धान की बीजाई की मजदूरी बढ़ाना समय की मांग है।’

यूनियन की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में राम सिंह बेंद्रा ने कहा है, “ऐसे समय में जब महंगाई दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और मजदूरों के श्रम का सही मूल्य नहीं दिया जा रहा है , तब मजदूरों को संगठित होना होगा।”

नेताओं ने कहा कि “पंजाब सरकार खुद इस बात को मान रही है कि क्या इस बार गेहूं और भूसे की पैदावार कम हुई है, जिसके कारण सरकार ने किसानों को 500 रुपये प्रति क्विंटल मुआवजा देने की घोषणा की थी।”

“लेकिन यह प्राकृतिक आपदा मजदूरों पर भी पड़ी है जिससे गांवों में मजदूरों को न भूसा मिला है और न ही गेहूं। जिससे गांव के मजदूर अपने पशुओं को बेचने को मजबूर हो रहे हैं।”

बयान के अनुसार, “धान बीजाई के लिए प्रति किला 1500 रुपये देने की घोषणा की जा रही है। जबकि पंजाब सरकार रोजगार छिनने के बावजूद खेतिहर मज़दूरों को न तो मुआवज़ा दे रही है न कोई वैकल्पिक व्यवस्था कर रही है। इससे साफ होता है कि मान सरकार मजदूर विरोधी है।”

प्रदर्शनकारियों की मांगें

  • नेताओं ने मांग की कि धान की बुवाई की दर कम से कम 6,000 रुपये प्रति किला तय की जाये।
  • प्रमुख मांगों में पंचायत की एक तिहाई जमीन भूमिहीन ग्रामीण मजदूरों को कम दर पर देने की मांग भी शामिल है
  • बाकी भूमिहीन-गरीब-छोटे किसानों को जमीन दी जाए, चकबंदी कानून को सख्ती से लागू किया जाए
  • सीमांकन से ऊपर की ज़मीन भूमिहीन मजदूरों-किसानों में बांटी जाए।
  • नजूल भूमि का स्वामित्व दिया जाये।
  • 10 मरला भूखंडों का आवंटन और काम न मिलने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता दिया जाए।
  • सरकार दलित भूमिहीनों के सरकारी और गैर सरकारी कर्ज माफ करे।
  • सहकारी समितियों में बिना शर्त सदस्यों की भर्ती करे और ब्याज और सब्सिडी के तहत ऋण प्रदान करे।
  • वृद्धावस्था, विधवा, विकलांगता पेंशन काम से काम 5000 की जाये।
  • वृद्धावस्था पेंशन की आयु सीमा महिलाओं के लिए 55 वर्ष, पुरुषों के लिए 58 वर्ष किया जाए।
  • दलितों के उत्पीड़न को रोकने के लिए कानून का सख्ती से  पालन हो।
  • श्रम कानूनों में संशोधन को निरस्त करने और विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए।

नेताओं ने मांग की कि मुख्यमंत्री भगवंत मान एक बैठक बुलाकर इन मांगों पर चर्चा करें।

बीकेयू (क्रांतिकारी) पंजाब के राज्य सचिव बलदेव सिंह जीरा और लोक संग्राम मोर्चा पंजाब के महासचिव सुखमंदर सिंह बठिंडा ने कहा कि खेत मजदूरों की मांगें बहुत न्यायसंगत हैं और सरकार को तत्काल इस पर ध्यान देना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि पंजाब में दलित और भूमिहीन खेतिहर मज़दूरों की यूनियनें बीते एक साल से अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के घर तक दबिश देती रही हैं।

इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ़ भी बड़े बड़े प्रदर्शन हो चुके हैं। चन्नी तो दलित समुदाय से ही आते हैं, लेकिन उनसे भी सिवाय वादों और ज़ुबानी जमा खर्च के कुछ ठोस हासिल नहीं हुआ।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)

Workers Unity Team

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.