कोरोना की आड़ में ग्रोज़ कंपनी ने निकाले 37 परमानेंट वर्कर, वर्करों ने कहा ग़ैरकानूनी छंटनी
कोरोना की महाआपदा में कंपनियों में परमानेंट मज़दूरों की सैलरी कटौती से लेकर शट डाउन और छंटनी भी धड़ल्ले से जारी है।
चंडीगढ़ के इंडस्ट्रियल एरिया फेस -1 में स्थित ग्रोज़ बैकर्ट एशिया प्राइवेट लिमिटेड में 37 परमानेंट वर्करों को कंपनी ने अचानक निकाल दिया। तबसे ये वर्कर कंपनी के सामने धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
वर्करों ने बताया कि चंडीगढ़ के इंडस्ट्रियल एरिया फेस -1 प्लॉट नंबर- 133 -135 में वे पिछले 10 से 15 सालों से काम कर रहे हैं। ये सभी वर्कर परमानेंट हैं।
कंपनी ने इन्हें 1 दिसंबर 2020 को कोविड-19 का बहाना लगाकर कंपनी से बाहर कर दिया और बोल दिया कि कल से आने की जरूरत नहीं है।
एक वर्कर धीरज ने वर्कर्स यूनिटी को प़ोन पर बताया, “हमारी कंपनी में लगभग 1000 कर्मचारी हैं, जिन की तनख्वाह 20,000 से लेकर 15 लाख तक है।”
धीरज ने कहा कि, “हमारी तनख्वाह कंपनी में सबसे कम है। हमारी कंपनी की शाखाएं विश्व के कई देशों में हैं। इसका 2019 में टर्नओवर 60 अरब रुपये से ज्यादा का वेबसाइट पर दिखा रहा है।”
इन वर्करों ने एक चिट्ठी भेजी है जिसमें लिखा है, “माननीय हमारे ऊपर भारी-भरकम लोन चल रहे हैं हमारी सैलरी से ही हमारे परिवार का गुजारा चलता है अब हमारी स्थिति ऐसी हो चुकी है कि हम सभी वर्कर्स सड़क पर आ गए हैं।”
कंपनी ने नोटिस में कहा है कि वर्करों को तीन महीने की छुट्टी दी जा रही है और एक मार्च से उनकी नौकरी ख़त्म हो जाएगी।
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