कुरुक्षेत्र में प्रदर्शन करने जा रहे किसानों को पुलिस ने घेर कर बरसाई लाठी
हरियाणा के कुरुक्षेत्र स्थित पिपली में दस सितंबर को किसानों की प्रदेशव्यापी रैली को रोकने के लिए खट्टर सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी। रैली में जाने से रोकने को नाकाबंदी की गई और किसानों को बेरहमी से लाठी डंडों से पीटा गया।
शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया, जिससे किसान भड़क गए। दमन की तमाम पुलिसिया कोशिशों के बाद भी हजारों किसान रैली में शामिल हुए।
यहां तक कि पुलिस के बीच सादे कपड़ों में ऐसे बाउंसर भी बुज़ुर्ग किसानों पर लाठी बरसाते हुए कैमरे में कैद हुए जो हेलमेट पहने हुए थे, ठीक उसी तरह जिस तरह सीएए एनआरसी प्रदर्शनो के दौरान जामिया में छात्राओं को पीटने वाले कुछ लोग।
सोशल मीडिया पर इसकी काफ़ी तीख़ी प्रतिक्रिया लोगों ने दी है। एक फ़ेसबुक यूज़र विमला मीना ने लिखा है, “हरियाणा कुरुक्षेत्र पिपली रैली में जा रहे किसानों पर लाठीचार्ज की में कठोर निंदा करती हूँ, किसान-जवान की आवाज को सरकार लाठी-गोली चला कर नही दबा सकती। किसान हमारे अन्नदाता है जो हम सब का पेट भरते है आप किसानों के साथ इस तरह का बरताव नहीं कर सकते।”
फ़ेसबुक यूज़र मंगी लाल गोदारा ने एक मीम शेयर किया है जिसमें लिखा है, “जो धरापुत्र का वध कर दे वो राजपुरुष नकारा है, जिस धरती पर किसान का रक्त गिरे उसका शासक हत्यारा है।”
घटना में कई किसानों गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जबकि कई किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया है।
किसानों की मांगें
किसानों की रैली केंद्र सरकार के किसान विरोधी तीन कानूनों के लिए ख़िलाफ़ आयोजित की गई थी।
एक कानून के मुताबिक पहले हर व्यापारी केवल मंडी से ही किसान की फसल खरीद सकता था, लेकिन अब व्यापारी को इस कानून के तहत मंडी के बाहर से फसल खरीदने की छूट मिल जाएगी।
दूसरा, अनाज, दालों, खाद्य तेल, प्याज, आलू आदि को जरूरी वस्तु अधिनियम से बाहर करके इसकी स्टॉक सीमा समाप्त कर दी गई है। तीसरा है, सरकार कांट्रेक्ट फॉर्मिंग को बढावा देने की बात।
विरोध में होने वाली रैली को रोकने के लिए पुलिस ने एक ओर कुरुक्षेत्र की अनाज मंडी में अनुमति दी, दूसरी ओर वहां के सभी रास्तों को सील कर दिया, जिससे किसान न पहुंच सकें।
हर रास्ते पर नाकाबंदी और रोके जाने को लेकर तनाव की खबरें आने लगीं तो किसानों में नाराजगी बढ़ती चली गई।
बाद में पता चला कि पूरे जिले की सीमाएं ही सील करके विरोध को दबाने की कोशिश हो रही है। इस पर किसानों ने पैदल या अन्य रास्तों को भी तय किया और हजारों लोग हाईवे तक जुट गए।
भीड़ को देखकर पुलिस के हाथ पांव फूल गए। सिरसा में पुलिस प्रदर्शनकारियों ने रोकने पर गिरफ्तारी देकर आक्रोश जताया।
गिरफ्तारियों की खबरें आईं तो किसान भड़क गए। भाकियू के प्रदेश प्रवक्ता की गिरफ्तारी के बाद पुलिस और किसानों के बीच झड़प के हालात बन गए।
किसानों ने नेशनल हाईवे पर जाम लगा दिया, जिससे कई किलोमीटर वाहनों की कतारें लग गईं।
पुलिस ने किसान को दबाव में लेने को लाठीचार्ज कर दिया, जिसमें कई किसान जख्मी हो गए।
जवाब में प्रदर्शनकारियों ने भी पथराव किया। किसानों के प्रदर्शन को लेकर पक्ष विपक्ष के राजनीतिक दल भी सक्रिय हो गए हैं।
वहीं किसानों ने सरकार की तानाशाही का जवाब देने को कमर कसने का ऐलान किया है।
- वर्कर्स यूनिटी को आर्थिक मदद देने के लिए यहां क्लिक करें
- वर्कर्स यूनिटी के समर्थकों से एक अर्जेंट अपील, मज़दूरों की अपनी मीडिया खड़ी करने में सहयोग करें
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)