तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पूरे देश में फूंका मोदी-अम्बानी का पुतला
By पुनीत सेन, प्रयागराज
एक तरफ़ किसानों और मोदी सरकार के बीच पांचवें दौर की वार्ता बेनतीजा रही, दूसरी तरफ़ दिल्ली घेर कर बैठे किसान नेताओं के आह्वान पर पांच दिसम्बर को पूरे देश में मोदी अडानी अंबानी के पुतले दहन कर विरोध प्रदर्शन किया गया।
किसान संगठन, खेत मज़दूर यूनियनें, महिला और छात्र संगठन, कम्युनिस्ट पार्टियों और वामपंथी संगठनों ने पूरे देश में पुतला दहन के कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
इलाहाबाद में कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) तथा सोशलिस्ट यूनिटी सेण्टर आफ इण्डिया (कम्युनिस्ट) के संयुक्त तत्वाधान में ज़िला कचहरी में धरना दिया गया।
प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति को सम्बोधित तीन सूत्रीय मांगपत्र जिलाधिकारी के माध्यम से भेजा गया। धरने के बाद वामदलों के कार्यकर्ताओं ने लक्ष्मी चैराहे पर प्रधानमंत्री का पुतला फूंका।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने पूरे देश में तीन कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ अम्बानी, अडानी और नरेन्द्र मोदी का पुतला फूंकने का आह्वान किया था।
प्रदर्शन में शामिल नेताओं ने कहा कि केन्द्र सरकार किसान विरोधी काले कानूनों को थोपना चाहती है और उसका विरोध कर रहे किसानों का बर्बर दमन कर रही, साथ ही तमाम झूठा दुष्प्रचार कर उन्हें बदनाम करने का असफल प्रयास कर रही है।
वामपंथी दल किसानों के इस आन्दोलन में उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े हैं। केन्द्र सरकार ने बिना संसद में समुचित बहस कराये एकतरफा तरीके से कृषि सम्बन्धी तीन कानूनों को पारित कर दिया।
इन तीन कानूनों में से पहले कानून, मण्डी कानून में संशोधन के चलते देश में किसानों की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारण्टी समाप्त हो जायेगी। इसके चलते किसान अपने फसल को बिचैलियों को औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर हो जायेंगे।
मौजूदा समय में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार फसल की लागत का 1.5 गुना नहीं होता। उस पर भी क्रय केन्द्रों के दूर होने और उनमें व्याप्त अनियमिताओं के कारण किसान उससे कहीं कम दामों पर फसल बेचने के लिए मजबूर होगा।
इससे उसकी हालत और खराब हो जायेगी। ठेका खेती से सम्बन्धित दूसरे कानून के चलते किसान या तो अपने ही खेत में एक बंधुआ मज़दूर बन कर रह जायेगा या बड़ी-बड़ी कम्पनियों के हाथों अपनी ज़मीन से ही हाथ धो बैठेगा।
कम्पनी और किसान के बीच में विवाद की स्थिति में न्यायालय में जाने की सम्भावना के समाप्त कर उसे ट्रिब्यूनल तक सीमित करने के फैसले से किसान अपनी आजीविका छिनने तक की स्थिति में भी न्याय के सर्वोच्च दरवाज़े को खटखटा नहीं पायेगा।
भण्डारण की सीमा को बढ़ाने वाले तीसरे कानून के चलते जमाखोरी को बढ़ावा मिलेगा जिससे मंहगाई बढ़ेगी और देश की खाद्य सुरक्षा भी खतरे में आ जायेगी।
यही कारण है कि समूचे देश का किसान इन तीनों कानूनों का लगातार पुरज़ोर विरोध कर रहा है। विशेषकर कि 26-27 नवम्बर को अपने दिल्ली मार्च के अभियान के बाद से यह विरोध और तीखा होता जा रहा है।
वक्ताओं ने कहा कि किसानों की वाजिब समस्याओं को सुनने की बजाय केन्द्र सरकार हठधर्मिता अपनाते हुए दमन का सहारा ले रही है। किसानों को दिल्ली में जाने से रोका जा रहा है। इतनी ठंड में उन पर वाॅटर कैनन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
वक्ताओं ने कहा कि इन कानूनों के वापस होने तक ये आन्दोलन जारी रहेगा। सभा की अध्यक्षता भाकपा के जिला सचिव नसीम अंसारी तथा संचालन माकपा के जिला मंत्री अखिल विकल्प ने की।
विरोध प्रदर्शन में भाकपा-माले के जिला सचिव डाॅ. कमल उसरी, एसयूसीआई के ज़िला सचिव राजवेन्द्र सिंह, माकपा के राज्य सचिवमण्डल सदस्य रवि मिश्रा के अतिरिक्त भाकपा के आनन्द मालवीय, राम सागर, अन्नू सिंह, मुस्तकीम, खालिद, समर सिंह पटेल, ज्ञान सिंह पटेल, माकपा के विकास स्वरूप, प्रदीप, समीर, आशुतोष, जेबी यादव, भाकपा-माले के अनिल वर्मा, प्रदीप ओबामा, मंजू देवी, गीता देवी, श्याम पाल, अशोक धुरिया, एसयूसीआई के एसडी शर्मा, पी के गुप्ता, योगेनद्र, हरि शंकर, घनश्याम आदि लोग उपस्थित रहे।
इसके अतिरिक्त कोरांव में बरनपुर तथा बहियारी गांव में, फूलपुर में असराॅवलडीह, झूंसी में तुलापुर में, मऊ आइमा में किंगिरिया का पूरा तथा कटाता में, बहरिया में सरायगनी, नूरपुर तथा करनाईपुर आदि गांवों में भी किसानों-मज़दूरों द्वारा विरोध कार्यवाहियां आयोजित की गईं।
इन विरोध कार्यवाहियों में मुख्य रूप से सुभाष पटेल सुनील मौर्या, त्रिलोकी, देवानन्द, धनचन्द्र, भूपेन्द्र पाण्डेय, दिग्विजय, पृथ्वी पाल, मोहन लाल, राम कैलाश, प्रेमी, जंगी, रिज़वान, महादेव, शीलवन्त, राम लाल गुड्डू, पंचम लाल, नन्द जी, प्रेम चन्द रामदेव, लवकुश पाल, सोनू सिंह मिथुन आदि लोग मौजूद रहे।
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