किसानों को गुमराह करना अब मोदी सरकार के बस की बात नहीं – एआईपीएफ 

किसानों को गुमराह करना अब मोदी सरकार के बस की बात नहीं – एआईपीएफ 
By एसआर दारापुरी
किसान सम्मान निधि के वितरण के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को देश ने सुना है, इसमें कितना झूठ है और सच इसे किसान जानते है इसलिए अब उन्हें गुमराह करना मोदी सरकार के बस की बात नहीं है।
यह विचार विर्मश राष्ट्रीय कार्यसमिति में हुआ और उसने यह माना कि ठिठुरती सर्दी में भी भारी पैमाने पर सड़कों पर आंदोलन के लिए बाध्य किए गए किसानों की मांग के प्रति मोदी सरकार कतई गम्भीर नहीं है और घोर संवेदनहीन व झूठे प्रचार की सरकार साबित हो रही है।
मोदी ने किसान आंदोलन के बारे में बोलते हुए इसे जो राजनीतिक दल द्वारा संचालित बताया वह सच्चाई से कोसो दूर है। बेशक ये किसान आंदोलन सरकार के किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ है और देश की खाद्य सुरक्षा और सम्प्रभुता की रक्षा के लिए होने के नाते अपनी अंतर्वस्तु में राजनीतिक है।
लेकिन इसका चुनावी राजनीति से कुछ लेना देना नहीं है और यह विपक्ष के समर्थन के लिए तो कतई मोहताज नहीं है। ये पूरी तौर पर जमीन से उठा हुआ संगठित किसान आंदोलन है, जो राष्ट्रीयस्तर पर भी व्यवस्थित है।

यह आंदोलन आम जन की भावना से जुड गया है व किसानों की आवाज बनकर उभरा है, जिसे समाज का हर तबका दिल से समर्थन दे रहा है। मोदी सरकार चाहकर भी इस आंदोलन को बदनाम नहीं कर पा रही है और खुद किसानों से अलग थलग होती जा रही है।
अपने लम्बे भाषण में मोदी जी ने यह बताने का कष्ट नहीं किया कि किसानों के फल, सब्जी समेत सभी उपज के खरीद और भुगतान की गारंटी के लिए वह न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून को क्यों नहीं बना पा रही है, सरकार कारपोरेट से इतनी डरी हुई क्यों है और कृषि लागत मूल्य आयोग को संवैधानिक दर्जा क्यों नहीं दे पा रही है।
मोदी ने अपने स्वभाव के अनुरूप पुनः झूठ का प्रचार करके देश को गुमराह किया है कि उन्होंने स्वामीनाथन कमीशन की संस्तुति के अनुरूप किसानों की फसलों का भुगतान किया है जबकि देश का हर जागरूक नागरिक यह जानता है कि 2015 में सुप्रीम कोर्ट में उनकी सरकार ने यह हलफनामा दिया है कि स्वामीनाथन कमीशन के सुझाव के आधार पर वह किसानों को भुगतान नहीं कर सकती।
केरल का उदाहरण भी प्रधानमंत्री ने गलत संदर्भ में दिया है और इसका जबाब सीपीएम के लोगों को देना है लेकिन जहां तक एआईपीएफ की जानकारी है केरल की सरकार फल और सब्जी की भी एमएसपी देती है।
वहां बड़े पैमाने पर महिलाएं ‘कुडुम्ब श्री’ सहकारी कार्यक्रम को सफलता के साथ चला रही है। एआईपीएफ ने किसान आंदोलन में पुनः अपना विश्वास व्यक्त किया है और यह उम्मीद जताई है कि किसानों का आंदोलन जन विरोधी तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराने, एमएसपी पर कानून बनवाने और कृषि लागत मूल्य आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने में सफल होगा।
(लेखक, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं।)

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Workers Unity Team

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