तमिलनाडु के सैमसंग कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त, क्या निलंबित मज़दूरों को बहाल करेगी कंपनी?

तमिलनाडु के सैमसंग कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त, क्या निलंबित मज़दूरों को बहाल करेगी कंपनी?

सैमसंग फैक्ट्री के खिलाफ विरोध प्रदर्शन सात मार्च को समाप्त हो गया। ख़बरों में कहा गया है कि निलंबित किए गए मज़दूरों पर अंदरूनी जांच करेगी कंपनी।

सैमसंग ट्रेड यूनियन बनने कुछ दिन बाद ही पिछले महीने 20 से अधिक मज़दूरों को कंपनी ने निलंबित कर दिया था।

तमिलनाडु में सैमसंग इंडिया के घरेलू उपकरण बनाने वाले प्लांट में क़रीब 500 वर्कर बीते पांच फ़रवरी से ही धरने पर बैठकर प्रदर्शन कर रहे थे, उनकी मांग थी कि जिन वर्करों को मैनेजमेंट ने मनमाने तरीक़े से निलंबित किया था, उन्हें बहाल किया जाए।

द हिंदू के अनुसार, सैमसंग प्रबंधन ने लिखित में जवाब दिया है, जिसमें कहा गया है कि “आज से, समूहों में उनके ईमेल पते पर जानकारी भेजी जाएगी, प्रशिक्षण दिया जाएगा, और फिर उन्हें काम पर वापस बुलाया जाएगा।”

ग़ौतलब है कि इससे पहले सीटू ने पूरे औद्योगिक क्षेत्र में आठ मार्च को एक व्यापक हड़ताल का आह्वान किया था।

यह फ़ैक्ट्री तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के पास कांचीपुरम ज़िले के सुंगुवर चत्रम क्षेत्र में स्थित है और यहां क़रीब एक साल से सीटू की संबद्ध ट्रेड यूनियन को मान्यता दिए जाने की मांग हो रही थी और पिछले साल सितम्बर और अक्टूबर में एसआईडब्ल्यूयू को मान्यता देने के लिए वर्करों ने 37 दिनों की हड़ताल की थी।

यूनियन पंजीकरण किए जाने पर समझौता होने के बाद यह हड़ताल ने 15 अक्टूबर को समाप्त हो गई थी।

वर्कर्स यूनिटी तमिल ने सैमसंग में हुई हड़ताल पर विस्तृत रिपोर्टिंग की है और यूट्यूब पर कई मज़दूरों और नेताओं के साक्षात्कार लिए हैं, उन्हें यहां देखा जा सकता है।

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ताज़ा हड़ताल कैसे शुरू हुई

कंपनी की ओर से भारी विरोध के बावजूद यूनियन का गठन तो हो गया, जिसका नाम है सैमसंग इंडिया वर्कर्स यूनियन (एसआईडब्ल्यूयू) और 27 जनवरी को श्रम विभाग ने आधिकारिक रूप से पंजीकरण नंबर जारी कर दिया था।

लेकिन कंपनी ने इस यूनियन को मान्यता देने से आनाकानी करती रही।

यहां तक कि कंपनी ने मैनेजेमेंट की एक पॉकेट यूनियन वर्कर्स कमेटी बनाई और उसमें वर्करों को शामिल होने के डराया धमकाया और लालच दिया, हालांकि यह तरकीब कामयाब नहीं हुई।

ताज़ा मामला तब उछला जब इस यूनियन के तीन पदाधिकारियों मोहनराज, गुनासेकरन और देवानेसान को 31 जनवरी को निलंबित कर दिया क्योंकि वे मज़दूरों की विभिन्न समस्याओं को उठाने के लिए सैमसंग के मैनेजिंग डायरेक्टर से बात करने की मांग की थी।

एचआर ने इनकार किया और इसे लेकर क़रीब एक घंटे तक हंगामा होता रहा। बाद में चार और पांच फ़रवरी को उन तीनों पर उत्पादन ठप करने का आरोप लगाते हुए निलंबित कर दिया।

निलंबन की ख़बर आते ही वे तीनों वर्कर वहीं हड़ताल पर बैठ गए और प्रदर्शन शुरू कर दिया। देखते देखते बाकी परमानेंट वर्करों ने टूल डाउन कर दिया।

अचानक वर्करों के धरने पर जाने से सकते में आए मैनेजमेंट ने कंपनी की सुविधाएं बंद कर दीं यहां तक कि बिजली तक काट दी। लेकिन भारी दबाव के बाद शौचालय खोले गए और बिजली बहाल की गई।

इस बीच शिफ़्टों में आने वाले वर्कर भी अपनी शिफ़्ट में धरने पर बैठते रहे। हालांकि ठेका मज़दूरों के सहारे प्लांट चलता रहा और उत्पादन जारी रहा।

तनाव के बीच  20 फ़रवरी को 14 अन्य वर्करों को निलंबित कर दिया गया। 21 फ़रवरी की शाम को, चेन्नई के ठीक बाहर स्थित ओरागाडाम-कांचीपुरम औद्योगिक क्षेत्र में कई उद्योगों के मज़दूरों ने सैमसंग के हड़ताली वर्करों के समर्थन में प्रदर्शन किया।

यूनियन के बनने के बाद से निलंबित किए जाने वाले वर्करों की संख्या 23 पहुंच गई थी और फिर पांच मार्च को ये वर्कर अपने निलंबित साथियों की बहाली की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए।

कंपनी ने क्या कहा?

आठ मार्च को कंपनी के गेट पर एक नोटिस चस्पा किया गया था, जिसमें लिखा गया है कि मैनेजमेंट को पता चला है कि अवैध हड़ताल जिसमें कुछ वर्करों ने हिस्सा लिया था, वह 7 मार्च से वापस ले ली गई है।

नोटिस के अनुसार, जैसा कि वर्करों की ओर से पांच मार्च को भेजे गए मेल और आईडी अनब्लॉक किए जाने की अपील पर मैनेजमेंट का सकारात्मक रुख है और आठ मार्च से इन वर्करों का एक ट्रेनिंग सेशन आयोजित किया जाएगा।

200 दिनों के संघर्ष के बाद बन पाई थी यूनियन

फ़ैक्ट्री में लगभग 1800 वर्कर हैं, जो विभिन्न श्रेणियों में बंटे हुए हैं। एसआईडब्ल्यूयू केवल परमानेंट वर्करों का प्रतिनिधित्व करती है और इस बंटवारे का इस्तेमाल करके सैमसंग ने सितम्बर अक्टूबर में तीन सप्ताह लंबे चले हड़ताल में भी फ़ैक्ट्री में उत्पादन जारी रखा था।

यूनियन पंजीकरण कराने को लेकर मज़दूरों को क़रीब 200 दिनों तक संघर्ष करना पड़ा, पुलिस की प्रताड़ना सहनी पड़ी, कई मुकदमों का सामना करना पड़ा और राज्य और कंपनी के डराने धमकाने की कार्रवाई से होकर गुजरना पड़ा।

(वर्कर्स यूनिटी तमिल के इनपुट के साथ।)

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Workers Unity Team

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