नहीं रुक रहा कार्यस्थल पर मज़दूरों के मौत का सिलसिला, सप्ताह भर में 22 ठेका मज़दूरों की दुर्घटनाओं मौत
भारत में मज़दूरों के लिए कार्यस्थल पर सुरक्षा मानकों के इंतज़ाम न के बराबर होते हैं या फिर बेहद ही सीमित सुरक्षा उपकरणों के साथ मज़दूर काम करने को मज़बूर है.
मालिकों के मुनाफे बनाने के अंधी हवस के असली शिकार अंततः मज़दूर ही बनते है. आये दिन देश के अलग-अलग हिस्सों से मज़दूरों के कार्यस्थल पर हुए दुर्घटनाओं में मारे जाने या अंग-भंग की ख़बरें आती रहती है.
कार्यस्थल पर मज़दूरों की मौत के मामले में भारत कुख्यात होता जा रहा है. फैक्ट्रियों में स्थिति बदतर है, लेकिन अनौपचारिक या असंगठित क्षेत्र में, निर्माण स्थलों, खदानों या सीवेज की सफाई के दौरान होने वाली मौतों का सिलसिला लगातार भयावह स्थिति में है.
सबसे बड़ी बात की विभिन्न क्षेत्रों में मज़दूरों की मृत्यु का कोई संकलित डेटा नहीं है. लेकिन अधिकांश मृतक प्रवासी और ठेका मज़दूर होते हैं, जो सामाजिक सुरक्षा और अन्य लाभों से वंचित हैं. न्यूज़क्लिक ने पिछले सप्ताह हुई इनमें से कुछ मौत की घटनाओं को इकट्ठा किया है। इससे स्थिति की विकटता को समझ जा सकता है।
हैदराबाद: मैनहोल की सफाई के दौरान 3 मजदूरों की मौत
1 मार्च, 2024 को, हैदराबाद में एक मैनहोल की सफाई करते समय ज़हरीली गैस की चपेट में आने से तीन मज़दूरों की मौत हो गई.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कुलसुमपुरा इलाके में मैनहोल में 40 साल का एक मज़दूर सबसे पहले बेहोश हुआ, जब उसके अन्य दो साथियों ने उसे बचाने की कोशिश की तो वे भी बेहोश हो गए. बाद में तीनों ही मज़दूरों की मौत जहरीली गैस के कारण हो गई.
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) के आपदा प्रतिक्रिया बल (डीआरएफ) के कर्मियों ने समाचार एजेंसी को बताया कि तीनों लोगों को एक निजी एजेंसी ने सीवरेज की सफ़ाई करने के लिए काम पर रखा था.
बंगाल: कूचबिहार में पानी की टंकी के ढहने से 2 मज़दूरों की मौत
29 फरवरी, 2024 को, कूच बिहार में दो मज़दूरों की मौत और एक व्यक्ति तब घायल हो गया, जब 15 साल पुराना ओवरहेड टैंक उनके ऊपर गिर गया, यह घटना तब घटी जब वे जर्जर और कमज़ोर सीढ़ी पर चढ़ रहे थे.
मृतकों की पहचान 48 वर्षीय जियारुल हुसैन और 40 वर्षीय मदन गुप्ता के रूप में की गई है.
द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल ही में, पश्चिम बंगाल पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग विभाग ने टैंक की मरम्मत और सफाई का काम एक ठेकेदार को सौंपा था, जिसने बदले में एक उप-ठेकेदार को यह काम सौंप दिया था.
स्थानीय लोगों के एक वर्ग ने आरोप लगाया है कि ठेकेदार की ओर से चूक हुई है. रिपोर्ट में एक व्यक्ति के हवाले से कहा गया कि, “मजदूरों को पानी के टैंक के ऊपर तक पहुंचने के लिए सीढ़ी का इस्तेमाल करने से पहले, उन्हें पुरानी सीढ़ी की जांच करनी चाहिए थी.”
छत्तीसगढ़: एनएमडीसी खनन स्थल पर 4 श्रमिकों की मौत
27 फरवरी, 2024 को, छत्तीसगढ़ के दांतेवाड़ा में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी, राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) से संबंधित लौह अयस्क खनन स्थल पर एक दीवार गिरने से चार प्रवासी निर्माण श्रमिकों की मौत हो गई.
मृतकों की पहचान पश्चिम बंगाल के बिट्टू बाला, तुषार बाला और निर्मल बाला और बिहार के संतोष कुमार दास के रूप में की गई है. ये सभी ठेके पर काम करने वाले मज़दूर थे. घायल हुए दो अन्य मज़दूरों को अस्पताल में भर्ती कराया गया.
द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 के बाद से निर्माण स्थलों पर मज़दूरों की मौत सालाना लगभग तीन गुना बढ़ गई है.
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार भारत में निर्माण स्थलों पर प्रतिदिन कम से कम 38 दुर्घटनाएं होती हैं.
ओडिशा: नाल्को निर्माण स्थल पर 2 श्रमिकों की मौत
मंगलवार, 27 फरवरी, 2024 को कोरापुट के दामनजोड़ी में नाल्को (नेशनल एल्युमीनियम कंपनी) के लिए बनाए जा रहे निर्माण-स्थल पर भारी लोहे की छड़ें गिरने से कम से कम दो मज़दूरों की मौत हो गई और एक मज़दूर गंभीर रूप से घायल हो गया. मृतकों की पहचान झारखंड के समा राजबंशी (44) और सनत कुनाई (34) के रूप में की गई है. मजदूरों को ठेके पर रखा गया था.
सूत्रों के हवाले से द न्यू इंडियन एक्सप्रेस द्वारा की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि यह काम एक निविदा प्रक्रिया के माध्यम से निर्माण उपकरण आपूर्तिकर्ता ज़ेटवर्क को आवंटित किया गया था, जबकि एक अन्य स्थानीय अमूल्य कंस्ट्रक्शन कंपनी उक्त उप-अनुबंध के रूप में काम कर रही थी.
नाल्को के महाप्रबंधक (सुरक्षा) प्रभात कुमार दास ने अखबार को बताया कि निर्माण ठेकेदार ने सुरक्षा विभाग से कोई सामान्य वर्क परमिट नहीं लिया था.
यूपी: कौशांबी फैक्ट्री में विस्फोट में 8 मजदूरों की मौत, दर्जनों झुलसे
25 फरवरी, 2024 को यूपी के कौशांबी जिले के ब्यावर में एक पटाखा फैक्ट्री के अंदर विस्फोट होने से कम से कम आठ मज़दूरों की मौत हो गई और एक दर्जन मज़दूर घायल हो गए.
प्रयागराज जोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) भानु भास्कर ने एनडीटीवी को बताया कि, “पटाखा फैक्ट्री शाहिद (35) नामक व्यक्ति की थी. विस्फोट में छह अन्य लोगों के साथ वह भी मारा गया.”
यूपी राहत आयुक्त कार्यालय द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, मृतकों की पहचान शिव नारायण, शिवकांत, अशोक कुमार, जयचंद्र, हरिलाल और सोनेलाल के रूप में हुई है. मुन्नालाल नामक व्यक्ति की भी बाद में चोटों के कारण मौत हो गई.
एसपी कौशाम्बी ब्रिजेश कुमार श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया कि भरवारी स्थित फैक्ट्री के पास पटाखे बेचने और बनाने दोनों का लाइसेंस था.
यूपी: मेरठ टायर वर्कशॉप में बॉयलर फटने से 2 मजदूरों की मौत
25 फरवरी को, मेरठ में एक टायर वर्कशॉप, दुर्गा एंटरप्राइजेज के अंदर बॉयलर में विस्फोट होने से दो मज़दूरों की जान चली गई, और चार मज़दूर घायल हो गए.
मृतकों की पहचान इंचौली क्षेत्र के किशोरपुरा गांव निवासी शंकर सिंह (27) और प्रवीण कुमार (28) के रूप में की गई है.
प्रारंभिक रिपोर्टों में पाया गया कि कारखाना संभावित तौर पर सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहा था, जिसकी वजह से दुर्घटना हुई है और इस चूक में दो व्यक्तियों की मौत हो गई.
हिमाचल प्रदेश: चंबा सड़क निर्माण स्थल पर नेपाली मज़दूर की मौत
25 फरवरी, 2024 को चंबा जिले के भरमौर उपमंडल में एक निर्माणाधीन सड़क के किनारे एक दीवार गिरने से एक नेपाली मज़दूर की मौत हो गई और एक अन्य मज़दूर गंभीर रूप से घायल हो गया.
द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मृत श्रमिक की पहचान नेपाल के दीपेंद्र पुन्न और घायल की पहचान भरमौर के दापोटा गांव निवासी किशोरी लाल के रूप में हुई है.
पुलिस के अनुसार, एक निजी कंपनी के मज़दूर, निर्माणाधीन ग्रीमा-खानी लिंक रोड पर क्रेट की दीवार खड़ी करने में लगे हुए थे, तभी क्रेट कार्य को सपोर्ट करने वाला तार टूट गया, जिससे बोल्डर मजदूरों पर गिर गए और मज़दूर की मौत हो गई.
दिल्ली: पेंट फैक्ट्री में आग लगने से 10 मज़दूरों की मौत
राजधानी दिल्ली में भी अलीपुर स्थित एक पेंट फैक्ट्री में आग लगने से 10 मज़दूरों की दर्दनाक मौत हो गई.
रिहायशी इलाके में स्थित इस फैक्ट्री में सुरक्षा के कोई इंतज़ाम नहीं थे. यहाँ तक की फैक्ट्री से बाहर निकलने के लिए कोई एग्जिट गेट तक नहीं था. इस दुर्घटना में भी मारे जाने वाले ज्यादातार मज़दूर प्रवासी थे.
(मेहनतकश की खबर से साभार)
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