पिछले पांच वर्षों में ड्यूटी के दौरान 361 रेलवे कर्मचारियों की ट्रैक पर हुई मौत
मंगलवार को संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि पिछले 5 साल में रेलवे ट्रैक पर काम करते हुए 361 रेलवे कर्मचारियों की मौत दुर्घटनाओं की वजह से हुई हैं.
रेल मंत्रालय द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में रेलवे ट्रैक पर रखरखाव के काम के दौरान ट्रेन दुर्घटनाओं के कारण ड्यूटी करते हुए 361 रेलवे कर्मचारियों की मौत हुई है.
इसके साथ ही रक्षा मंत्री ने संसद को बताया कि “रक्षक उपकरण, वॉकी टॉकी जैसा उपकरण जो ट्रैक पर श्रमिकों को पहले से चेतावनी देता है. उसकी सीमाएं हैं, इसलिए हम नई चेतावनी प्रणाली को विकसित करने के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं.”
रेल मंत्रालय ने राज्यसभा को बताया कि पिछले पांच वर्षों में ड्यूटी के दौरान 361 रेलवे कर्मचारियों की मौत हो गई
संसद में पेश किये गए आंकड़ों के अनुसार सबसे अधिक 44 मौतें मध्य रेलवे में हुई हैं.
इसके बाद उत्तर रेलवे में 40 मौतें और उत्तर मध्य रेलवे में 31 मौतें हुई हैं. जबकि पूर्व मध्य रेलवे में 30 मौतें दर्ज की गई हैं.
इसके बाद दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे और उत्तर पश्चिम रेलवे में 24-24 मौतें हुई हैं. दक्षिणी रेलवे में 20 मौतें दर्ज की हैं.
इसके साथ ही पश्चिम मध्य रेलवे, पश्चिम रेलवे और पूर्वी तट रेलवे में 19 मौतें दर्ज की गई हैं.
इसके अलावा, पूर्वी रेलवे में 23, दक्षिण मध्य रेलवे में 18, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे में 16, दक्षिण पूर्व रेलवे में 15, उत्तर पूर्व रेलवे में 13, दक्षिण पश्चिम रेलवे में 6 मौतें दर्ज की गई.
बढ़ती दुर्घटनाओं के कारण बताते हुए रेल मंत्रालय ने कहा ‘कम ध्वनि, बढ़ी हुई गति और पटरियों पर मोड़ के कारण ट्रैक मैन और चाबी वाले लॉक और विशेष रूप से तेज रफ्तार ट्रेनों से टकराने के ये घटनाएं ज्यादा बढ़ी हैं.’
मालूम हो कि भारतीय रेलवे ने ट्रैक मेंटेनर्स के लिए उच्च आवृत्ति (वीएचएफ) आधारित अप्रोचिंग ट्रेन वार्निंग सिस्टम (रक्षक) के प्रावधान के लिए 12 जोनल रेलवे के लिए ₹91.61 करोड़ तक की मंजूरी दी है.
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ‘रक्षक प्रणाली पहाड़ी इलाकों, गहरी कटाई, सुरंगों और तीखे मोड़ों पर प्रभावी नहीं है. जहां दृष्टि की रेखा में बाधा होती है’.
रेल मंत्री ने कहा ” हम रक्षक प्रणाली को और एडवांस्ड बनाने पर जोर दे रहे हैं , जो ट्रैक पर मौजूद कर्मचारियों को आने वाली ट्रेनों के बारे में पहले से सचेत कर सकता है.”
सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने बताया “सिस्टम स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग क्षेत्र में पूरी तरह से काम नहीं करता है ,जहां एकल ब्लॉक सेक्शन में कई ट्रेनें निकट अंतराल पर चलती हैं और सिग्नल 1 किमी दूर रखे जाते हैं. इसके अलावा सिस्टम दो से अधिक लाइनों वाले अनुभागों पर काम नहीं करता है.”
रेल मंत्री ने सूचित किया कि इन्ही खामियों कि वजह से रक्षक प्रणाली को अभी तक भारतीय रेलवे के 55 डिवीजनों पर उपलब्ध नहीं कराया गया है.
मालूम हो कि व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण जैसे चमकदार जैकेट, सुरक्षा हेलमेट, माइनर लाइट, ट्राई-कलर टॉर्च, सुरक्षा जूते, रेट्रो-रिफ्लेक्टिव, उच्च दृश्यता जैकेट और हल्के वजन वाले उन्नत उपकरण और ट्रैक मेंटेनर्स को दिए गए उपकरणों के बावजूद मौत के आंकड़ों में कोई कमी नहीं आई हैं.
( द हिन्दू कि रिपोर्ट से साभार)
Do read also:-
- उत्तरकाशी सुरंग हादसाः बचाव में लगे मज़दूरों के पैरों में चप्पल, कर रहे गम बूट के बिना काम
- उत्तराखंडः दिवाली से ही सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं 40 मज़दूर, सैकड़ों मज़दूरों ने शुरू किया प्रदर्शन
- मौत से लड़ते कटे टनल के वो सात घंटे, उत्तराखंड हादसे में बचे कर्मियों की आपबीती
- “हम मर जायेंगे लेकिन वेदांता को अपनी 1 इंच भी जमीन खनन के लिए नहीं देंगे” – ओडिशा बॉक्साइट खनन
- विश्व आदिवासी दिवस: रामराज्य के ‘ठेकेदारों’ को जल जंगल ज़मीन में दिख रही ‘सोने की लंका’
- “फैक्ट्री बेच मोदी सरकार उत्तराखंड में भुतहा गावों की संख्या और बढ़ा देगी “- आईएमपीसीएल विनिवेश
- “किसान आंदोलन में किसानों के साथ खड़े होने का दावा करने वाले भगवंत मान आज क्यों हैं चुप “
- ओडिशा पुलिस द्वारा सालिया साही के आदिवासी झुग्गीवासियों पर दमन के खिलाफ प्रदर्शन पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज
Subscribe to support Workers Unity – Click Here
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)