तमिलनाडु की सरकारी डेयरी में फ़ैक्ट्री वर्कर की दर्दनाक मौत

तमिलनाडु की सरकारी डेयरी में फ़ैक्ट्री वर्कर की दर्दनाक मौत

30 वर्षीय उमरानी जो तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के बाहरी इलाके तिरुवल्लूर में स्थित राज्य सरकार द्वारा संचालित कक्कलुर आविन दूध फैक्ट्री में बतौर महिला ठेका मजदूर काम करती थीं।

बीते 20 अगस्त को उमरानी जब प्लांट में काम कर रही थीं तभी उनके बाल और दुपट्टा कन्वेयर बेल्ट में फंस जाते हैं और महिला मज़दूर की मौके पर ही बेहद दर्दनाक स्थिति में मौत हो जाती है।

उमरानी की मौत ये बताने के लिए काफी है कि मज़दूर किस तरह न सिर्फ निजी बल्कि सरकार संचालित प्रतिष्ठानों में भी बहुत ही असुरक्षित और घातक स्थिति में काम करने को मज़बूर हैं।

तीन बच्चों की माँ उमरानी तमिलनाडु के सलेम जिले के बमियमपट्टी की रहने वाली थीं और लगभग छह महीने पहले इस फैक्ट्री में काम करना शुरू किया था।

उमरानी के पति कार्थी, चेन्नई के एक अन्य औद्योगिक उपनगर इरुंगाट्टुकोट्टई में एक निजी फैक्ट्री में काम करते हैं।

‘समय पर स्विच बंद होता तो जिन्दा होती’

प्लांट में उस वक़्त उमरानी के साथ काम कर रहे मज़दूरों ने घटना की जानकारी देते हुए बताया , ‘ उमरानी दूध के पैकेट कन्वेयर बेल्ट से उठा रही थीं और उन्हें ट्रे में डाल रही थीं। तभी उनका दुपट्टा और फिर उनके बाल दूध वेंडिंग मोटर के कन्वेयर बेल्ट में फंस गए। उमरानी का सिर मोटर में खिंच गया और वह कट गया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई’।

‘ उसकी चीख अभी भी हमारे कानों में गूंज रही है। उसके चीखने से हम समझ गए थे कि कोई हादसा हुआ लेकिन
पास में रखे कई टबों के कारण हम जल्दी से स्विच तक नहीं पहुँच सके। अगर समय पर स्विच बंद हो जाता तो शायद उमरानी की जान बचाई जा सकती थी’।

इसके साथ ही कुछ मज़दूरों ने जानकारी दी कि, ‘ यह हादसा टल सकता था अगर उसने हेडबैंड पहना होता, लेकिन फैक्ट्री में इसके पहने जाने की अनिवार्यता पर ध्यान नहीं दिया जाता था और न ही कोई निरीक्षण किया जाता था । इसके अलावा कोई स्विच पास में नहीं था जिससे धीमी गति से चल रहे कन्वेयर बेल्ट को रोका जा सके’।

घटना के बाद फैक्ट्री पहुंची पुलिस ने शव को बरामद कर तिरुवल्लूर जिला सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

पुलिस ने बताया, ‘ घटना के वक़्त वहां लगभग 15 ठेका मजदूर काम कर रहे थे, जिनमें से 10 ऑफिस में प्रबंधन सम्बन्धी कार्यों में लगे थे ।

वही घटना के बाद से कक्कलुर डेयरी के कर्मचारियों और मज़दूरों में डर और सदमे का माहौल बना हुआ है। फिलहाल फैक्ट्री से दूध की आपूर्ति अस्थायी रूप से बंद कर दी गई।

aavin biscuit
फैक्ट्री मे निर्मित बिस्कुट

ठेकेदार से अब तक कोई पूछताछ नहीं

आविन तमिलनाडु सहकारी दुग्ध उत्पादक महासंघ लिमिटेड (टीसीएमपीएफ), दुग्ध और डेयरी विकास मंत्रालय और तमिलनाडु सरकार के स्वामित्व में एक राज्य सरकार सहकारी है।

“आविन” ट्रेडमार्क के तहत काम कर रहे इस प्रतिष्ठान द्वारा दूध और दूध उत्पादों जैसे पाउडर दूध, घी और आइसक्रीम , प्रसंस्करण, पैकेजिंग और उपभोक्ता बिक्री शामिल है।

इस दुर्घटना के अगले दिन स्थानीय तिरुवल्लूर पुलिस ने कक्कलुर डेयरी इकाई के पर्यवेक्षक वरुण कुमार को कार्यस्थल पर लापरवाही बरतने के कारण मौत का आरोप लगाते हुए गिरफ्तार कर लिया।

वही कक्कलुर क्षेत्र में स्थित आविन मिल्क फैक्ट्री के लिए ठेका मजदूरों की आपूर्ति करने वाले ठेकेदार जेयसीलन, जो द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके, तमिलनाडु राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी) के स्थानीय सरकारी निकाय में पार्षद भी हैं, से फैक्ट्री में मज़दूरों के असुरक्षित परिस्थितियों में काम करने करने की जानकारी को लेकर किसी तरह की कोई पूछताछ नहीं की गई है।

ये पूछताछ इसलिए भी बेहद जरुरी है क्योंकि आविन के मुनाफे का बड़ा हिस्सा ये ठेकेदार उमरानी जैसे मजदूरों की जान की कीमत पर सुनिश्चित करवाते हैं।

तमिलनाडु मिल्क डीलर्स वेलफेयर एसोसिएशन के एस.ए. पन्नुसामी ने कहा कि, ‘ उमरानी के परिजनों को मुआवजे के रूप में कम से कम 10 लाख रुपये तुरंत जारी किए जाने चाहिए। लेकिन राज्य सरकार की तरफ से इस मामूली सी रकम को लेकर भी अभी तक कोई बयान नहीं आया है कि वो परिवार वालों को मुआवज़ा दे रहे या नहीं।

मामूली वेतन पर मज़दूरों की जान से खिलवाड़

वही कक्कलुर आविन दूध फैक्ट्री के मज़दूरों ने बताया कि, ‘ फैक्ट्री में तीन शिफ्ट काम होती हैं, जिनमें प्रत्येक शिफ्ट में लगभग पंद्रह ठेका मजदूर काम करते हैं’।

गौर करने वाली बात है कि इन मज़दूरों से प्रति माह मात्र 10 से 15 हज़ार जैसे मामूली वेतन के एवज पर काम लिया जाता है।

आश्चर्य की बात है कि घटना के बाद मिडिया के सवालों पर डीएमके राज्य सरकार के दूध और डेयरी विकास मंत्री मनो थंगराज ने महिला मज़दूर की मौत का दोष सीधे उमरानी पर ही मढ़ दिया।

जब एक रिपोर्टर ने पूछा कि, ‘क्या यह कर्मचारी की गलती थी या मशीन में कोई समस्या थी ‘?

dairy minister tamilnadu

मज़दूर की मौत उसकी लापरवाही से – मंत्री

तो इसका जवाब देते हुए मंत्री ने कहा, ” यह निश्चित रूप से मज़दूर की लापरवाही है। ऐसा पहली बार हुआ है और साफ़ दिख रहा की यहाँ महिला मज़दूर ने लापरवाही दिखाई। हालाँकि हम जाँच करेंगे और ध्यान किया जायेगा की आगे ऐसी घटना नहीं ‘।

यह पहली बार नहीं है जब पीड़ितों को उनकी खुद की मौतों के लिए दोषी ठहराया गया है। इससे से पहले 31 अक्टूबर, 2010 को एक महिला कर्मचारी जिसकी उम्र सिर्फ बाईस साल थी, को दक्षिण भारत के ही एक नोकिया फैक्ट्री की असेंबली लाइन पर उस वक़्त मरने के लिए छोड़ दिया गया था जब उसका सिर और गर्दन एक रोबोटिक लोडिंग मशीन में फंस कर कुचल गया था ।

उस वक़्त डीएमके से संबद्ध ट्रेड यूनियन महासंघ, लेबर प्रोग्रेसिव फ्रंट (एलपीएफ), जो तत्कालीन कांग्रेस-नेतृत्व वाली यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) केंद्र सरकार का भागीदार था, के नेताओं ने उसे भी लापरवाह कहकर पीड़िता को ही दोषी ठहराया था।

उन्होंने कहा कि, ‘उसकी मृत्यु इसलिए हुई क्योंकि वह कर्मचारी काम के दौरान अपने सहकर्मी के साथ बातें कर रही थी’।

डीएमके मंत्री ने मीडिया से बात करते हुए अपना पल्ला छुड़ाते ही दिखे। उन्होंने कहा, ‘ हर चीज के लिए एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोसीजर) लागू हैं। मशीनें 25 साल से चल रही हैं, और हमने कभी ऐसा हादसा नहीं देखा है। हम जांच कर रहे हैं कि यह दुर्घटना कैसे हुई’।

इस दौरान वो इस बात पर चुप रहे कि फैक्ट्री में मज़दूरों के लिए बाल कवर कैप या यूनिफॉर्म अनिवार्य क्यों नहीं हैं।

अतीत में हुई ऐसी घटनाओं की जांच का जो पैटर्न दिखता है वो यही है कि ऐसे मामलों में जाँच को जल्द से जल्द बंद कर दिया जायेगा या फिर मज़दूर पर ही पूरी घटना का दोष डाल मामले को रफा-दफा कर दिया जायेगा।

अभी तक मंत्री के बयान साफतौर पर मुनाफाखोर दूध कंपनी को बचाने के ही रहे हैं और इसकी वाजिब वजह है ।

द हिन्दू से बात करते हुए दूध और डेयरी उत्पाद मंत्री थंगराज ने जानकारी दी कि, ‘ दूध उत्पादों की बिक्री से होने वाली आय डेढ़ करोड़ रुपये से बढ़कर प्रतिदिन ढाई करोड़ रुपये के आंकड़े छूने वाली है’।

मंत्री की बात में सच्चाई भी दिखती है क्योंकि मई, 2023 में आविन ने केवल चेन्नई में दूध की बिक्री को प्रतिदिन 1,430,000 लीटर से बढ़ाकर 1,500,000 लीटर से अधिक कर दिया था।

हादसों का कोई सटीक आंकड़ा नहीं

औद्योगिक दुर्घटनाएँ पूरे भारत में रोजाना होती हैं ,क्योंकि केंद्रीय और राज्य सरकारें लालची निवेशकों को बिना किसी रोक-टोक के मज़दूरों का शोषण करने देती हैं। कारखानों और अन्य कार्यस्थलों में बुनियादी सुरक्षा उपायों की अनदेखी की जाती हैं।

केंद्र की मोदी सरकार की मंशा भी इस मामले में साफ़ नज़र आती है कि वो कॉर्पोरेट घरानों के साथ खड़ी है। तभी 2020 इस सरकार ने खुले तौर पर कॉर्पोरेट समर्थक श्रम “सुधारों” को राष्ट्रीय संसद में जबरदस्ती पारित किया।

महाराष्ट्र में स्थित एक राज्य निकाय, निदेशालय सामान्य कारखाना सलाह सेवा और श्रम संस्थान (डीजीएफएएसएलआई), जो औद्योगिक दुर्घटनाओं की निगरानी करता है, के अनुसार राज्य में प्रतिदिन औसतन तीन मज़दूरों की मौत और 11 मज़दूर घायल होते हैं।

हालाँकि, भारत में उद्योगों के बीच इन दुर्घटनाओं पर कोई सार्वभौमिक डेटा संग्रह प्रणाली नहीं है, और नियोक्ता जुर्माने या सख्त निरीक्षण के डर से चोटों को छिपाते रहते हैं।

इसलिए किसी के पास सटीक अनुमान या यूँ कहे कि कोई आँकड़ा नहीं है कि एक सप्ताह, महीने या वर्ष की एक निश्चित अवधि में पूरे भारत में काम के दौरान कितने मज़दूर मारे गए या गंभीर रूप से घायल हुए।

इस वर्ष अब तक मीडिया में रिपोर्ट की गई कुछ औद्योगिक दुर्घटनाएं :-

* मई में, महाराष्ट्र के डोंबिवली एमआईडीसी में एक रासायनिक कारखाने में बॉयलर विस्फोट में कम से कम 13 मज़दूरों की मौत हो गई जबकि 60 से अधिक मज़दूर आसपास के निवासी घायल हो गए। दुर्घटना के बाद यह पता चला कि कारखाना मालिक सुरक्षा उपायों का लम्बे समय से उल्लंघन कर रहा था।

* बीते 2 मई को न्यूज़क्लिक ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि ‘ बीते सप्ताह भर में राज्यों में कार्यस्थल
दुर्घटनाओं में 22 ठेका मज़दूरों की मृत्यु हो गई। यहाँ तक कि मौत के बाद मज़दूरों के परिवार वालों को
सामाजिक सुरक्षा और अन्य लाभ भी नहीं मिले। इन मौतों में मैनहोल साफ करने वाले 3 मज़दूर , एक कारखाने
में विस्फोट में मारे गए 8 मज़दूर और एक खनन दुर्घटना में मारे गए 4 मज़दूर शामिल थे।

* 21 अगस्त को, यानी उमरानी की हत्या के अगले दिन, आंध्र प्रदेश के अच्युतापुरम में एसिएंटिया एडवांस्ड
साइंसेज फार्मास्युटिकल इंग्रेडिएंट्स फैक्ट्री में विस्फोट में 17 मज़दूरों की मृत्यु हो गई और 40 से अधिक घायल
हो गए। समाचार रिपोर्टों के अनुसार, मज़दूरों ने बार-बार रासायनिक रिसाव की शिकायत की थी, जिसके कारण
विस्फोट हुआ, लेकिन प्रबंधन ने उनकी चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया था।

https://i0.wp.com/www.workersunity.com/wp-content/uploads/2023/04/Line.jpg?resize=735%2C5&ssl=1

https://i0.wp.com/www.workersunity.com/wp-content/uploads/2023/04/Line.jpg?resize=735%2C5&ssl=1

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।

 

 

 

Abhinav Kumar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.