अडानी बनाम धारावी: क्या पुनर्विकास की आड़ में हो रही है जमीन की लूट?
By विद्याधर दाते
6 सितंबर को मुंबई प्रेस क्लब में जाने का अवसर मिला, जहां प्रतिष्ठित पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता की डॉक्यूमेंट्री ‘धारावी का दादा कौन’ दिखाई गई।
इस फिल्म ने धारावी पुनर्विकास परियोजना के पीछे अडानी समूह की भूमिका पर प्रकाश डाला है। इसमें आर्किटेक्ट्स, सामाजिक कार्यकर्ताओं के इंटरव्यू और कुछ सांस्कृतिक झलकियाँ शामिल थीं, जो धारावी और उसके निवासियों की जमीनी सच्चाई को उजागर करती हैं।
भूमि हड़पने का भयावह पहलू
धारावी पुनर्विकास परियोजना, जिसे अडानी समूह चला रहा है, भारत के सबसे बड़े भूमि अधिग्रहण प्रयासों में से एक मानी जा रही है।
झुग्गी पुनर्विकास के नाम पर सैकड़ों एकड़ भूमि, जो पहले सार्वजनिक उपयोग के लिए थी, अमीरों के आवास के लिए हड़प ली जाएगी। इससे न केवल आम जनता अपने रहने और सांस लेने की जगह से वंचित हो जाएगी, बल्कि शहर की सामाजिक और आर्थिक धारा पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा।
ऊंची इमारतें: गरीबों के लिए एक असफल मॉडल
ग्रेनफेल टावर्स की त्रासदी ने हमें यह दिखा दिया है कि गरीबों के लिए बनाई गई ऊंची इमारतों का मॉडल कितना असफल हो सकता है। लंदन में हुई इस भयावह आग में 72 गरीब निवासियों की जान चली गई।
भ्रष्टाचार और लापरवाही के चलते बनाई गई ये इमारतें गरीबों के लिए एक जाल साबित हो रही हैं, जिसमें वे सुरक्षा और सम्मान की तलाश में घिर जाते हैं। मुंबई की योजनाओं में भी ऐसी ही गड़बड़ियाँ हो सकती हैं, यदि सावधानी नहीं बरती गई।
धारावी: पुनर्विकास या पुनर्गठन?
धारावी का विकास और पुनर्गठन पूरी तरह संभव है, जैसा कि नॉर्मन फोस्टर, चार्ल्स कोरिया और पी.एम. आप्टे जैसे योजनाकारों ने सुझाया है।
धारावी की विशेषताएं—जैसे रोज़गार सृजन, पर्यावरण के अनुकूल रीसाइक्लिंग, और समुदाय-केंद्रित अर्थव्यवस्था—पूरे विश्व में प्रशंसा पाती हैं। कई शहर ऐसे मॉडल अपनाने की कोशिश कर रहे हैं, जहां लोग काम और घर के बीच लंबी यात्राओं से बचें और एक ही जगह पर जीवनयापन करें।
धारावी इस मॉडल का जीता-जागता उदाहरण है, जिसे विध्वंस की नहीं, बल्कि कुछ सुधार और पुनर्गठन की आवश्यकता है।
सौंदर्य के नाम पर बदसूरत खेल
धारावी को अक्सर ‘बदसूरत’ कहकर बदनाम किया जाता है, लेकिन यह सच नहीं है।
मैं खुद धारावी के कुछ हिस्सों से गुजरा हूं, और वहां के कई इलाके साफ-सुथरे और व्यवस्थित हैं। हां, कुछ हिस्सों में सफाई की समस्या हो सकती है, पर यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, जिसे हल नहीं किया जा सके।
वास्तव में, मुंबई में आजकल बनने वाली पॉश इमारतें भी सौंदर्य की दृष्टि से ज्यादा आकर्षक नहीं हैं। वे बड़े-बड़े पार्किंग स्पेस और ऊंची इमारतों में इंसानों की जगह सिर्फ कारें दिखाती हैं।
पॉड कार परियोजना: एक और असफलता का खतरनाक संकेत
बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) में पॉड कार परियोजना को लेकर भी गंभीर चिंताएं हैं। यह योजना जनता की सुविधा के बजाय उसकी समस्याओं को बढ़ाने का काम कर सकती है।
पॉड कारें बहुत महंगी होंगी और आम जनता की पहुंच से बाहर होंगी। इससे न केवल यातायात में बाधा आएगी, बल्कि वहां के निवासियों की दैनिक जीवनशैली भी प्रभावित होगी।
अडानी की अतिरिक्त भूमि की मांग
धारावी पुनर्विकास परियोजना में अडानी रियल्टी ने मुंबई के पूर्वी उपनगरों में 552 एकड़ अतिरिक्त जमीन की मांग की है।
यह जमीन मदर डेयरी कुर्ला, देवनार, भांडुप-कांजुरमार्ग और मुलुंड के इलाकों में स्थित है।
अडानी रियल्टी का कहना है कि यह भूमि अपात्र धारावी निवासियों के पुनर्वास के लिए इस्तेमाल की जाएगी, जिन्हें “नव धारावी” में स्थानांतरित किया जाएगा।
धारावी की आत्मनिर्भरता: एक प्रेरणादायक मॉडल
धारावी का पुनर्विकास एक संवेदनशील मामला है, क्योंकि धारावी अपने आप में आर्थिक गतिविधि का एक केंद्र है।
धारावी के निवासियों ने बिना किसी बाहरी सहायता के खुद को गरीबी से बाहर निकाला है और हजारों छोटे-बड़े व्यवसाय स्थापित किए हैं।
सेंटर फॉर एनवायरनमेंटल प्लानिंग एंड टेक्नोलॉजी के अध्ययन के अनुसार, धारावी में करीब 5,000 औद्योगिक इकाइयाँ हैं, जो कपड़ा, मिट्टी के बर्तन और चमड़ा उत्पादन में लगी हुई हैं। यह जगह विकेंद्रीकृत, घर-आधारित और श्रम-गहन उत्पादन के लिए जानी जाती है, जो इसे अद्वितीय बनाता है।
ग्रेनफेल टावर्स से सीखे सबक
लंदन के ग्रेनफेल टावर्स की त्रासदी एक गंभीर चेतावनी है। आग लगने के सात साल बाद, जाँच रिपोर्ट ने स्थानीय सरकार, ठेकेदारों और निर्माण सामग्रियों की आपूर्ति करने वाली कंपनियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार को इस आपदा के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
बेईमानी से किए गए निर्माण और ज्वलनशील क्लैडिंग के कारण यह त्रासदी हुई, जिसमें 72 लोग मारे गए। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि धारावी पुनर्विकास में ऐसी कोई गलती न दोहराई जाए।
विकास के नाम पर विनाश?
धारावी पुनर्विकास परियोजना को लागू करने से पहले इसके सभी पहलुओं को ध्यान में रखना जरूरी है।
धारावी एक आर्थिक और सामाजिक मॉडल है, जिसे नष्ट करने के बजाय बेहतर बनाने की जरूरत है।
इसका पुनर्विकास तभी सार्थक होगा जब यह वहां के निवासियों की भलाई, सुरक्षा और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देगा।
बुलडोजर चलाने और नए सिरे से शुरुआत करने का दृष्टिकोण विफल हो चुका है। विकास का सही रास्ता वही है जो समुदाय की वास्तविक आवश्यकताओं को ध्यान में रखे और उनकी विशिष्टता का सम्मान करे।
( काउन्टर करेंट की ख़बर से साभार )
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