असम सरकार दे रही झूठा आश्वासन, मज़दूर यूनियन ने लगाया आरोप
वर्तमान समय में यदि देश में कोई सच में प्रताड़ित है तो वह मज़दूर वर्ग है । हाल ही में असम के कछार जिले के डोलू चाय बागान की जमीन को आदिवासी मजदूरों से राज्य सरकार द्वारा हड़प लिया गया। दरअसल , असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने घाटी में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट बनाने का फैसला लिया गया था। जिसके बाद चाय के बाघों को बुलडोज़र की मदद से नस्ट कर दिया गया था।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डोलू गार्डन की 2500 बीघा भूमि पर एयरपोर्ट निर्माण करने का निर्णय लिया गया है । इस अभियान के कारण चाय बागानों में काम करने वाले लगभग 2000 आदिवासी मज़दूरों के परिवारों को अपनी आजीविका होनी पड़ेगी । मजदूरों का कहना है कि यदि सरकार अपने फैसले पर जमी रही तो इससे उनकी आजीविका पर गहरा प्रभाव पड़ेगा और भुखमरी की नोबत आजायेगी।
असम मजदूरी श्रमिक यूनियन की ओर से “घटित बागान बचाओ” नामक अभियान शुरू किया गया है। मजदूरों का कहना है कि बागान की जमीन अधिग्रहण करने के फैसले से पहले सरकार द्वारा उनकी कोई राय नहीं ली गई। वही सरकार राजनीतिक खेल खेलते हुए मजदूरों को मुआवजे का आश्वासन तो दे रही है, लेकिन मजदूरों को सरकार के वादों पर बिलकुल भरोसा नहीं है।
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साथ ही समिति का कहना है कि सरकार द्वारा चुनी गई चाय बागान ज़मीनों के आस-पास काफी सरकारी जमीन खाली पड़ी है और राज्य में कई ऐसे बागान भी हैं जहां चाय कि उत्पादन न के बराबर होता है, फिर भी सरकार ने उन बागानों का चयन क्यों किया जिसके कारण मज़दूरों को रोज़गार मिलता है। यह तो सीधे सीधे मज़दूरों को परेशान करने की नीति लग रही है।
सरकार के इस फैसले का राज्य कि चाय मजदूर असम मजूरी श्रमिक संघ ने कड़ा विरोध में प्रदर्शन शुरू किया है। समिति ने प्रमुख मजदूर संगठनों पर मजदूरों को धोखे में रखने और बागान प्रबंधन से डील करने का आरोप लगाया है। अब फोरम फॉर सोशल हार्मनी और असम टी ट्राइब्स स्टूडेंट्स एसोसिएशन समेत कई अन्य संगठन भी मजदूरों के समर्थन में सामने आ गए हैं ।
असम श्रमिक मजदूर यूनियन के कछार जिला सचिव धारित्री शर्मा का दावा है कि बागान प्रबंधन ने मजदूरों को सूचित किए बिना ही सरकार को एयरपोर्ट के लिए जमीन देने का फैसला कर लिया। वह कहते हैं, कि यदि यह परियोजना राज्य में लागू होगी तो दो हजार से ज्यादा मजदूरों की नौकरियां छिन जाएंगी।
यूनियन के कछार जिला समिति के अध्यक्ष मृणाल कांति सोम कहते हैं, कि “बागान प्रबंधन झूठे वादों के जरिए मजदूरों का समर्थन हासिल करने का प्रयास कर रहा है। लेकिन मजदूरों से उनका हक छीना जाये हम इसको बिलकुल भी बर्दाश नहीं करेंगे।
आल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी) की कछार जिला समिति ने कहा है कि राज्य सरकार को इस परियोजना पर आगे बढ़ने से पहले मजदूरों के रोजगार और दूसरे अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। मजदूरों की चिंता की वजह यह है कि उनको सरकार की ओर से नौकरी के बारे में अभी तक कोई आश्वासन नहीं मिला है।
असम सरकार का दावा है कि बाग की ज़मीन पर किसी भी प्रकार कि कार्रवाही होने से पहले बागान प्रबंधन और तीन प्रमुख मजदूर यूनियनों के साथ समझौता किया गया था जबकी सभी मज़दूर यूनियनों ने इस बात को नकारा है। सरकार ने मजदूरों के समुचित पुनर्वास और उनकी नौकरियों की गारंटी का वादा किया है।
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