झारखंड: आईइएल कर्मचारी पर जानलेवा हमला, पुलिस पर लगा मारपीट का आरोप 

झारखंड: आईइएल कर्मचारी पर जानलेवा हमला, पुलिस पर लगा मारपीट का आरोप 
By रूपेश कुमार सिंह
झारखंड में सत्ता परिवर्तन हुए अब एक साल होने को है। भाजपा के गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री रघुवर दास की जगह पर झामुमो के आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सत्ता पर काबिज हैं, लेकिन झारखंड में आदिवासियों पर पुलिसिया दमन रूकने का नाम नहीं ले रहा है।
कभी अर्द्धसैनिक बल गांव में जाकर ग्रामीण आदिवासियों के साथ मारपीट करती है, तो कभी झारखंड पुलिस के ऑफिसर आदिवासियों को निशाना बनाते हैं।
हालिया मामला बोकारो जिला के पेंक-नारायणपुर थानान्तर्गत धावैया गांव निवासी बंशी मांझी के साथ पुलिस द्वारा निर्दयता के साथ मारपीट का है।
पुलिस की पिटायी से बंशी मांझी की नाक की हड्डी व दांत टूट गया और सिर में अंदरूनी चोट आई है। फिलहाल इनका चास (बोकारो) के मुस्कान अस्पताल में इनकी कम्पनी आईइएल (इंडियन एक्सप्लोसिव लिमिटेड), गोमिया द्वारा इलाज करवाया जा रहा है।
मामले पर झारखंड जनाधिकार महासभा के ट्वीट पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड पुलिस को मामले की गंभीरता से जांच करने व दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई कर सूचित करने का आदेश दिया है।

बंशी मांझी के भाई गोविंद हांसदा ने बताया कि “भाई आईइएल (इंडियन एक्सप्लोसिव लिमिटेड),  गोमिया के कर्मचारी हैं। प्रति दिन की तरह 12 दिसंबर को भी वे ड्यूटी से शाम में साईकिल से अपने गांव लौट रहे थे।”
“रास्ते में बुडगड्डा मोड़ के पास चेकिंग के नाम पर पेंक थाना की पुलिस ने उन्हें रोका और जातिसूचक शब्दों से गाली-गलौज करते हुए एएसआई सुमन कुमार सिंह ने उन्हें बुरी तरह से बंदूक के बट से पीटा, जिससे उनके मुंह और नाक से खून बहने लगा। फिर भी किसी तरह वे घर पहुंचे।”
उन्होंने बताया कि ‘जब घायलावस्था में भाई को लेकर आईइएल, गोमिया अस्पताल जा रहे थे, तो रास्ते में भी एएसआई सुमन कुमार सिंह ने हमें धमकाया कि अगर थाना में शिकायत करोगे तो पूरे परिवार को मार देंगे। पहले भी इसी ऑफिसर ने गांव के ही एक जमीनी विवाद में भैया को जान से मारने की धमकी दी थी।’
वहीं पुलिस अधिकारी का कहना है कि ‘वंशी नशे में थे और साईकिल से गिरकर घायल हो गए हैं। पुलिस ने इनके साथ मारपीट नहीं की है।’
लेकिन गोविंद हांसदा कहते हैं कि ‘अगर मेरे भैया साईकिल से गिरकर घायल हुए हैं, तो फिर एएसआई सुमन कुमार सिंह ने थाना नहीं जाने के लिए धमकी क्यों दी और जब उन्हें लगा कि हम उनके ख़िलाफ़ एक्शन लेंगे, तो फिर अपनी नौकरी बचाने की गुहार क्यों लगाने लगे?’
गोविंद आरोप लगाते हुए कहते हैं, ‘यहाँ तक कि उसने मेरी भाभी को 4000 रूपये भी दिये, ताकि हम उसके खिलाफ थाना में शिकायत नहीं करें। आखिर ये सब एएसआई सुमन कुमार सिंह क्यों कर रहा था?’
उपरोक्त घटना से स्पष्ट है कि झारखंड में सत्ता परिवर्तन हुए तो एक साल हो गया है, लेकिन सत्ता का चरित्र बिल्कुल भी नहीं बदला है।
अगर झारखंड में आदिवासियों पर पुलिस जुल्म इसी तरह होते रहा तो वह दिन दूर नहीं जब झारखंड के आदिवासी सरकार की मुख़ालफत के लिए सड़कों पर होंगे। एसपी बोकारो के नाम से इस बावत एक आवेदन भी तैयार किया गया है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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