जेल में सुधा भारद्वाज की बिगड़ी तबीयत, वर्करों ने उनकी रिहाई और उचित इलाज की मांग की
महाराष्ट्र के बायकुला जेल में बंद ट्रेड यूनियन लीडर और एडवोकेट सुधा भारद्वाज की तबीयत बिगड़ रही है। उन्हें पिछले सप्ताह से शरीर में दर्द और डायरिया की शिकायत है।
इसके अलावा उन्हें पहले से डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां हैं। उनकी यूनियन के सदस्यों और परिवार के मुताबिक, सुधा को सांस लेने में दिक्कत हो रही है।
कोविड के लक्षण होने के बावजूद उनका कोविड के नियमों के तहत इलाज नहीं किया जा रहा जबकि इस जेल में 40 कोविड पॉजिटिव मरीज पाए गए हैं।
इस बारे में जेल अधिकारियों का कहना है कि कोविड की जांच में सुधा भारद्वाज की आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव आई है। गौरतलब है कि सुधा भारद्वाज को दो साल पहले भीमा कोरेगांव में हुए दंगे के मामले में अरेस्ट किया गया था।
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा की सदस्य के तौर पर सुधा भारद्वाज पिछले कई दशक से आदिवासियों के हितों के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने जेलों में बंद आदिवासियों पर राज्य सरकार के उत्पीड़न के खिलाफ भी आवाज उठाई है। यही वजह है कि सरकार उन्हें जेल में डालना चाहती थी।
उन पर प्रतिबंधित माओवादी पार्टी से संपर्क रखने का आरोप है। पुलिस का आरोप है कि एक अन्य आरोपी रोना विल्सन के पास पाए गए दस्तावेजों से सुधा भारद्वाज के पार्टी से संपर्क रखने के सुबूत मिले हैं।
हालांकि अमेरिका की एक साइबर जांच टीम ने कुछ समय पहले यह साफ किया था कि रोना के कंप्यूटर में वे दस्तावेज हैकर ने प्लांट किए थे।
पुलिस ने इसकी जांच से इंकार किया कि वह हैकर कौन हो सकता है।
भीमा कोरेगांव में हुए दंगे के मुख्य केस में भी अभी तक पुलिस सबूत पेश नहीं कर सकी है। सुधा भारद्वाज समेत 14 अन्य लोगों को इस मामले में अरेस्ट किया गया था। 2020 में भी कोविड के आधार पर उनकी जमानत की अपील खारिज कर दी गई थी।
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