OPS पर PM मोदी के आर्थिक सलाहकार के बयान पर AITUC नाराज़, जताया विरोध
अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) ने ओल्ड पेंशन स्कीम के खिलाफ EAC-PM के आर्थिक सलाहकार द्वारा जारी बयान का विरोध किया है।
संगठन ने पीएम नरेंद्र मोदी के इकोनॉमिक एडवायजरी काउंसिल के सदस्य द्वारा नेशनल पेंशन सिस्टम को लेकर दिए बयान पर आपत्ति और विरोध जताते हुए इसे कॉर्पोरेट का समर्थन करने वाला बताया है।
ज्ञात हो कि सोमवार, 26 दिसंबर को मीडिया एजेंसी PTI से बात करते हुए सान्याल ने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी में मौजूदा तनाव और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की तरफ से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर को बार-बार कम करने के मद्देनजर यह साफ है कि 2023 एक मुश्किल साल होने वाला है।
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उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल साफ होना चाहिए कि गैर योगदान वाली पेंशन योजनाएं अंतत: भावी पीढ़ियों पर टैक्स का बोझ डालेंगी। बीते कुछ दशक में बहुत ही कठिनाई के साथ जो पेंशन सुधार किए गए हैं उनसे हटकर कदम उठाते वक्त बहुत ही ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।”
इस बयान के खिलाफ़ AITUC द्वारा जारी विज्ञप्ति से मिली जानकारी के मुताबिक, एटक के सचिव सी. श्रीकुमार ने संजीव सान्याल द्वारा एनपीएस को वापस लेने के खिलाफ दिए गए बयान के बाद, ट्रेड यूनियनों ने उनके बयान को मज़दूर विरोधी और कॉर्पोरेट के समर्थक के रूप में बताया है। जिसके बाद संगठन ने विरोध करना शुरू कर दिया है।
संगठन का कहना है कि वह प्रधान मंत्री (EAC-PM) के सदस्य संजीव सान्याल के बयान का विरोध करता है।
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AIDEF के महासचिव और AITUC के राष्ट्रीय सचिव सी.श्रीकुमार का कहना है कि जो लोग NPS को जारी रखने की बात कर रहे हैं दरअसल वे सभी लोग ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ उठा रहे हैं।
उनका आरोप है कि वे लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि NPS के तहत पेंशनधारकों को अपनी पूरी सेवा के दौरान हर महीने अपने वेतन का 10% अंशदान करने के बाद 2000 रुपये से 5000 रुपये की मामूली पेंशन मिल रही है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि 4 लेबर कोड, फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट, ईपीएस-95 मिनिमम पेंशन बढ़ाने की मांग को खारिज करना, ये सभी तथाकथित सुधार हैं। दूसरी ओर ये तथाकथित सुधार कॉरपोरेट्स की कर देनदारी को कम कर रहे हैं। “व्यापार करने में आसानी” के लिए विभिन्न कानूनों को कम कर रहे हैं।
AITUC की मांग है कि सभी पेंशन योजनाओं को पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा कॉर्पोरेट कर, आयकर, संपत्ति कर बहाल करके, उत्तराधिकार कर आदि द्वारा वित्त पोषित किया जाये।
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