‘अन्ना की मौत ने बता दिया श्रम कानूनों का कितना है महत्व,केरल में कंपनियों को श्रम कानूनों का पालन करना अनिवार्य ‘ – केरल सीएम

‘अन्ना की मौत ने बता दिया श्रम कानूनों का कितना है महत्व,केरल में कंपनियों को श्रम कानूनों का पालन करना अनिवार्य ‘ – केरल सीएम

हाल ही में एक घटना ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है, जब 26 वर्षीय चार्टर्ड एकाउंटेंट अन्ना सेबास्टियन की पुणे में काम करते हुए निधन हो गया। यह घटना केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि यह भारतीय आईटी उद्योग में कामगारों के लिए बढ़ती चुनौतियों और श्रम अधिकारों के प्रति उपेक्षा की एक स्पष्ट तस्वीर भी प्रस्तुत करती है।

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इस घटना के बाद श्रम कानूनों के पालन पर गंभीरता से विचार करने का आह्वान किया है, जो इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की सुरक्षा और कल्याण के लिए अत्यंत आवश्यक है।

श्रम कानूनों को लेकर सख़्ती की जरुरत

विजयन ने विधानसभा में अपने संबोधन में कहा कि, ‘सभी क्षेत्रों में श्रम कानूनों का पालन अनिवार्य है’।

उन्होंने यह भी कहा कि आईटी उद्योग में काम करने वाले कर्मचारी अधिकतर तनावपूर्ण कामकाजी माहौल का सामना कर रहे हैं, जिसमें न केवल लंबी कार्य घड़ियाँ शामिल हैं, बल्कि बर्खास्तगी की धमकियाँ और श्रम अधिकारों का अतिक्रमण भी है।

यह एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि ये कर्मचारी न केवल अपनी नौकरी की सुरक्षा के लिए लड़ रहे हैं, बल्कि अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी उन्हें काफी मशक्क्त करनी पड़ रही है।

केरल में कंपनियों की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी

मुख्यमंत्री ने कहा कि केरल में आईटी पार्कों में काम करने वाली कंपनियों को श्रम कानूनों का पालन करना अनिवार्य है।

इन कंपनियों के साथ किए गए लीज समझौतों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि उन्हें सभी राज्य के श्रम कानूनों का पालन करना होगा।

यदि कंपनियाँ इन कानूनों का उल्लंघन करती हैं, तो कर्मचारियों को मौजूदा कानूनी प्रावधानों के तहत न्याय पाने का अधिकार है।

यह न केवल श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि एक स्वस्थ कार्य वातावरण भी सुनिश्चित करता है।

वर्क फ्रॉम होम के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश की कमी

कोविड-19 महामारी के बाद, कई कंपनियों ने घर से काम करने के मॉडल ( वर्क फ्रॉम होम) को अपनाया है।

मुख्यमंत्री ने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि, ‘ वर्तमान श्रम कानून ऐसे कार्यप्रणाली को नियंत्रित करने के लिए कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं देते हैं। यह आवश्यक है कि श्रम कानूनों में सुधार किया जाए ताकि नए कार्य वातावरण को ध्यान में रखा जा सके और कर्मचारियों के अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके ‘।

परिवार की पीड़ा

मालूम हो अन्ना सेबास्टियन की मां ने ईवाई इंडिया के अध्यक्ष राजीव मेमानी को पत्र लिखकर अपनी बेटी की कठिनाइयों का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा की कैसे अत्यधिक कार्यभार और लंबे समय तक काम करने की बाध्यताएँ उनकी बेटी की मौत का कारण बनी।

हालांकि, ईवाई ने इन आरोपों का खंडन किया। लेकिन यह प्रश्न उठता है कि क्या कंपनियाँ अपने कर्मचारियों की भलाई और मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी कर रही हैं?

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Abhinav Kumar

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