30 अक्टूबर को संसद मार्च पर निकलेंगी देशभर की आशा कार्यकर्त्ता
करनाल के सेक्टर-12 के हुड्डा ग्राउंड में ठेका प्रथा खत्म करने, न्यूनतम वेतन रिवाइज करके 26 हजार रुपये मासिक करने समेत विभिन्न मांगों के समर्थन में हरियाणा के मजदूरों की ललकार रैली आयोजित हुई. इसमें प्रदेश भर के विभिन्न संगठनों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया. रैली में आशा वर्कर यूनियन के प्रदेश कमेटी ने आगामी 30 अक्तूबर को देशभर की आशाकर्मियों के साथ संसद मार्च पर निकलने का निर्णय लिया. इसके बाद 26 से 28 नवंबर को चंडीगढ़ में महापड़ाव आयोजित किए जाने का निर्णय लिया गया. जिसमें राज्य से हजारों मजदूर हिस्सेदारी करेंगे.
हरियाणा के सिरसा में विभिन्न मांगों को लेकर आशा वर्कर्स का धरना 63वें दिन भी जारी रहा.
धरने की अध्यक्षता प्रधान दर्शना रानी ने बताया कि “सरकार के अडिय़ल एवं मांगों के प्रति घोर उपेक्षापूर्ण रवैए से नाराज हड़ताली आशा वकर्र्स ने हड़ताल को 20 अक्टूबर तक बढ़ा दिया है और 18 अक्टूबर को भारतीय जनता पार्टी व जेजेपी के मंत्रियों के आवास पर 24 घंटे के पड़ाव डालने का निर्णय लिया गया है. इसके बाद भी सरकार की हठधर्मिता जारी रही तो 30 अक्टूबर को संसद पर आक्रोश प्रदर्शन किया जाएगा.”
इससे पहले आशा वर्कर यूनियन हरियाणा की राज्य प्रधान सुरेखा ने कहा कि “प्रदेशभर की 20 हजार आशा कर्मी आठ अगस्त से हड़ताल पर हैं लेकिन अभी तक सरकार ने उनकी एक नहीं सुनी है. वार्ता करके अभी एक भी बात नहीं मानी है. अगर ऐसे ही चलता रहा तो प्रदेश भर से ही नहीं, बल्कि पूरे देश भर की आशा कर्मी संसद मार्च पर निकलेंगी.”
वहीं सीटू के राष्ट्रीय सचिव एआर सिंधु ने मंच से कहा कि “आशाओं को अपने मंजिल तक पहुंचाने के लिए कमेटी ने निर्णय लिया है कि प्रदेशभर के ग्रामीण सफाई कर्मी 10 अक्तूबर से तीन दिन के लिए हड़ताल पर रहेंगे. अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो यह हड़ताल ऐसे ही तीन-तीन दिन करके बढ़ती रहेगी, जो अनिश्चितकालीन में बदल सकती है. इसके साथ ही दूसरी ओर 26 से 28 नवंबर को चंडीगढ़ में महापड़ाव होगा. जिसमें राज्य से हजारों मजदूर हिस्सेदारी करेंगे.”
आगे उन्होंने कहा कि दो माह से अधिक समय हड़ताल को हो चुका है, लेकिन आज तक मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री के पास आशा वर्कर्स यूनियन हरियाणा के साथ बातचीत करने का समय तक नहीं है.एक तरफ तो मुख्यमंत्री जन संवाद कार्यक्रम कर रहे हैं और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा दिया जा रहा है. राज्य की बीस हजार आशा वकर्र भी बेटी है.”
आशा कार्यकर्ताओं ने बताया कि 29 सितंबर को मुख्यमंत्री के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी राजेश खुल्लर से मांगों पर विस्तृत बातचीत हुई है और उन्होंने आश्वासन दिया था कि अगले सप्ताह मुख्यमंत्री से बातचीत करवाई जाएगी, जिसमें आशा वकर्रों की मांगों पर अंतिम फैसला लिया जाएगा. लेकिन सोमवार को दूसरा सप्ताह शुरू हो गया है, पर अभी तक सरकार की ओर से कोई सूचना नहीं आई है.
रैली में इन प्रमुख मांगों को उठाया
राज्य में न्यूनतम वेतन रिवाइज करके 26 हजार रुपये मासिक किया जाए. स्कीम वर्कर्स, कच्चे कर्मचारियों, ठेका कर्मियों को स्थाई किया जाए. मजदूर विरोधी लेबर कोड्स रद हो और ठेका प्रथा खत्म की जाए. मनरेगा में सालाना 200 दिन काम और 600 मजदूरी लागू की जाए. निर्माण मजदूरों के बोर्ड में सभी मजदूरों का पंजीकरण हो और सभी सुविधाओं का समय पर भुगतान हो.
ग्रामीण और शहरी मजदूरों के लिए आवास के लिए 100 गज के प्लॉट तथा मकान बनाने के लिए अनुदान की गारंटी हो. राज्य के सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों पर स्थाई भर्ती की जाए. हरियाणा के सभी मजदूरों और गरीब किसानों के कर्ज माफ हो. परिवार पहचान पत्र के नाम पर जन सुविधाओं पर हमला बंद हो व बिजली बिल 2023 रद किया जाए.
ये भी पढ़ेंः-
- दत्ता सामंत की हत्या मामले में गैंगेस्टर छोटा राजन बरी, एक उभरते मज़दूर आंदोलन की कैसे हुई हत्या?
- एक ट्रेड यूनियन लीडर के वकील बनने की कहानी
- शंकर गुहा नियोगी की याद में शहादत दिवस
- 4 करोड़ मज़दूरों के नाम हटाए गए मनरेगा की सूची से, आखिर क्या है सरकार की मंशा
- मणिपुर दरिंदगी के ख़िलाफ़ सभा कर रहे कार्यकर्ताओं पर हमला, कई के सिर फूटे, आरएसएसएस-बीजेपी पर आरोप
- राजस्थान में पारित हुआ न्यूनतम आमदनी गारंटी कानून, मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा देश के लिए मॉडल होगा ये बिल
- आंध्र सरकार का नया पेंशन मॉडल क्या है, जिस पर मोदी सरकार की बांछें खिलीं
- अब मोदी खुद उतरे ओल्ड पेंशन स्कीम के विरोध में, राज्यों में बहाली को बताया ‘पाप’
वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें