UFBU ने 30-31 जनवरी को किया हड़ताल का ऐलान, लगातार चार दिन बंद रहेंगे बैंक
देश भर के सभी सरकारी बैंकों के कर्मचारी 30 और 31 जनवरी को हड़ताल पर रहेंगे। गुरुवार,12 जनवरी को मुंबई में आजोजित एक बैठक में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (UFBU) ने इस बात की घोषण की। यूएफबीयू देश के अधिकतर बैंक कर्मियों और अधिकारियों की यूनियनों का प्रतिनिधित्व करती है।
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के एक शीर्ष अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी ।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन बीते लम्बे समय से बैंक कर्मियों के लिए सप्ताह में पांच कार्य दिवस, पेंशन अपडेशन, नई पेंशन स्कीम को खत्म करने, वेतन में वृद्धि, कर्मचारियों की नई भर्ती और मांग पत्र पर तुरंत चर्चा की मांग कर रही है।
लेकिन जब सरकार की और से इन मांगों पर कोई जवाब नहीं आया तो यूनियन ने दो दिवसीय हड़ताल करने का ऐलान किया।
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United Forum of Bank Unions (#UFBU), an umbrella body of several bank unions, decided to go on two-day strike from January 30 to press for their various demands, a top All India Bank Employees' Association (AIBEA) official said. pic.twitter.com/fpDoHcu3xY
— IANS (@ians_india) January 12, 2023
दो दिन छुट्टी, दो दिन हड़ताल
प्राप्त जानकारी के मुताबिक UFBU के संयोजक संजीव के. बंदलिश का कहना है कि यूनियन की मांगों को लेकर आइबीए का रवैया नकारात्मक है। जिसके विरोध ने देश भर के सभी सरकारी बैंकों के कर्मचारी 30 और 31 जनवरी को हड़ताल पर रहेंगे।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन ने उन दिनों हड़ताल करने का फैसला किया है जब बैंक लगातार चार दिनों तक बंद रहेंगे। 28 जनवरी को महीने का चौथे शनिवार और 29 जनवरी को रविवार की छुट्टी है। इसके बाद 30 और 31 जनवरी को सभी बैंक कर्मी हड़ताल पर रहेंगे। लगातार चार दिन बैंक बंद रहने के कारण ग्राहकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि है कि मोदी सरकार लगातार इस योजन में है कि जल्द से जल्द बाकि बचे बैंकों को भी निजी हाथों में सौंप दिया जाये। शायद यही कारण है कि तत्कालीन सरकार यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन कि मांगों को अनदेखी कर रही है।
बैंकों के निजीकरण को लेकर जहां एक तरफ National Council of Applied Economic Research (NCAER) की पूनम गुप्ता और नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष, अरविंद पनगढ़िया ने सरकारी बैंकों को लेकर एक रिपोर्ट तैयार किया है, जिसमें मोदी सरकार को सुझाव दिया गया है कि SBI को छोड़कर सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण कर देना चाहिए।
अगर सरकार इस पर अमल करती है तो पंजाब नैशनल बैंक (PNB) और बैंक ऑफ बड़ोदा (BoB) जैसे बैंकों की हिस्सेदारी भी बेच देगी।
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Economic Times में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार, सरकारी बैंकों से अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने से जुड़ा नया बिल आगामी संसद सत्र में लाने की तैयारी कर रही है। बिल के पारित होने के बाद सरकारी बैंकों में अपनी पूरी हिस्सेदारी खत्म करने का रास्ता खुल जाएगा।
वहीं दूसरी तरफ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपने एक लेख में आगाह करते हुए सरकार को इस मामले में ध्यान से आगे बढ़ने की सलाह दी है।
RBI के बुलेटिन में ‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण: एक वैकल्पिक नजरिया’ शीर्षक से प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि निजी क्षेत्र के बैंक (PBV) लाभ को अधिकतम करने में अधिक कुशल हैं, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में बेहतर प्रदर्शन किया है।
लेख में कहा गया, ‘निजीकरण कोई नई अवधारणा नहीं है और इसके फायदे और नुकसान सबको पता है।’
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