बेलसोनिका कम्पनी में हड़ताल, बर्खास्त और निलंबित वर्करों के परिवारों के क्या हैं हालात?
By Riddhi
पिछले 28 दिनों से मानेसर गुड़गाँव की बेलसोनिका कंपनी के यूनियन और वर्करों का बेलसोनिका कम्पनी के गेट पर धरना लगातार जारी है।
बीते सोमवार 29 मई 2023 को, 25 दिन की क्रमिक भूख हड़ताल के बाद, यूनियन पदाधिकारी और सभी बर्खास्त एवं निलम्बित वर्करों ने 48 घंटों की भूख हड़ताल का निर्णय लिया।
इसके साथ ही 30 मई को कम्पनी के अंदर कार्यरत मज़दूरों ने हड़ताल कर दी है। फिलहाल मैनेजमेंट की ओर से वार्ता की कोई पहल नहीं हुई है।
अनशन और भूख हड़ताल में वर्करों के परिवार भी शामिल हो गए हैं और सभी मौजूद महिलाओं ने सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक इस भूख हड़ताल का समर्थन किया।
परिवारों का पक्ष: “धरने में शामिल होकर हम अपने ही अधिकारों की बात कर रहे हैं”
बेलसोनिका प्रबंधन द्वारा की जा रही खुली-छिपी छटनी के कारण वर्करों के परिवारों को भी काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जो वर्कर बीते महीनों में बर्खास्त एवं निलम्बित किए गए, उनके परिवारों को अपने घरों का किराया, क़र्ज़ की किश्त, बच्चों के स्कूल की फ़ीस, दवाई का खर्च आदि देने में परेशानी हो रही है। रीना, जिनके पति बेलसोनिका कम्पनी में काम करते हैं और अभी निलम्बित हैं, ने अपने सम्बोधन में बताया कि उन्हें पता चला है की एक अन्य वर्कर के बच्चों को फ़ीस ना दे पाने के कारण उनके स्कूल से ही निलम्बित कर दिया गया है।
धरने स्थल पर मौजूद परिवारों का मानना है कि कम्पनी केवल वर्करों को ही नहीं बल्कि उनके परिवारों को भी जवाबदेह है। प्लांट को सुचारु रूप से चलाने में वर्करों के साथ-साथ उनके परिवारों, ख़ासकर महिलाओं, की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उपस्थित महिलाओं ने बताया की उनकी पूरी दिनचर्या कम्पनी की शिफ़्टों के अनुसार बंधी रहती है और उनका अधिकतर समय कम्पनी में कार्यरत परिवार के सदस्यों की ज़रूरतों को पूरा करने में जाता है। ऐसे में जब छटनी होती है, तो उसका प्रभाव भी सीधे महिलाओं और परिवारों पर पड़ता है। इसलिए छटनी के ख़िलाफ़ विरोध करना उनके लिए ज़रूरी हो गया है। उनका मानना है की “धरने में शामिल होकर हम अपने ही अधिकारों की बात कर रहे हैं”।
प्रबंधन ने परिवारों से मिलने से इनकार किया
सोमवार को जब भूख हड़ताल पर बैठे वर्करों के परिवार धरना स्थल पर पहुँचे, तो उन्होंने कम्पनी के मैनेजिंग डाईरेक्टर एवं कम्पनी के प्रबंधन से मिलने की माँग करी और उन्हें अपना ज्ञापन सौंपना चाहा। मगर कम्पनी के प्रबंधन ने ना तो परिवारों को प्लांट के अंदर आने की अनुमति दी, और ना ही ख़ुद उनसे मिलने के लिए गेट पर आए। प्रबंधन ने परिवारों का ज्ञापन लेने से भी इनकार किया।
कम्पनी के ऐसे व्यवहार को देखकर परिवारों का कम्पनी के प्रति रोष और भी बढ़ गया। उपस्थित परिवारों ने बताया की यह वही प्रबंधन है जो पहले “फ़ैमिली डे” और “मन्थ्ली बर्थ्डे सेशन” में उन्हें कम्पनी के परिसर में अभिनंदन करने के लिए आमंत्रित करता था और वर्करों को शिफ़्ट में समय से पहुचाने के लिए उनके परिवारों की महिलाओं के योगदान की सराहना करता था। मगर आज जब यही महिलाएँ और उनके परिवार प्रबंधन से मिलना चाहते हैं और उनके सामने अपना पक्ष रखना चाहते हैं तो प्रबंधन उनसे मिलने के लिए कम्पनी के गेट पर भी आने को तैयार नहीं है। परिवारों का कहना था की प्रबंधन को कम से कम एक बार उनसे मिलकर बात तो करनी चाहिए थी।
अंत में मौजूद परिवारों ने कम्पनी के मैनेजिंग डाईरेक्टर के नाम अपना ज्ञापन मारुति सुज़ुकी मज़दूर संघ के पदाधिकारियों को सौंपा। परिवारों की उम्मीद है की वे उनका ज्ञापन बेलसोनिका के प्रबंधन तक पहुँचा सकेंगे।
https://www.facebook.com/photo/?fbid=1103704653921670&set=pcb.1103705523921583
पापा घर कब आएँगे
धरना स्थल पर मौजूद वर्करों के परिवारों ने बताया की पिछले चार हफ़्तों से धरने एवं क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे वर्कर अपने घर और परिवार के साथ समय नहीं बिता पाए हैं।
वर्करों के परिवारों से मौजूद महिलाओं ने बताया की उनके छोटे-छोटे बच्चे घर पर अपने पिता की कमी महसूस करते हैं और अक्सर पूछते रहते हैं की “पापा घर कब आएँगे”। उन्होंने बताया की बीते हफ़्ते तेज गर्मी और समय-समय पर बारिश के कारण धरना स्थल पर मौजूद वर्करों को काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। ऐसे में धरने पर मौजूद वर्करों के परिवारों के मन में लगातार चिंता बनी रही की धरना स्थल पर वर्कर किस हाल में होंगे। इसके साथ ही धरना स्थल पर मौजूद वर्करों के मन में भी अपने घर, परिवार, और बच्चों की चिंता लगातार बनी रहती है।
25 दिनों तक लगातार अपने परिवार के सदस्यों से अलग रहने के बाद जब वर्करों के परिवार धरने में उनका साथ देने के लिए आए, तो उनका कहना था की यदि कम्पनी जल्द ही यूनियन से वार्ता करने के लिए नहीं तैयार होगी, तो वे भी वर्करों के धरने में शामिल होने के लिए मजबूर हो जाएँगे। सोमवार को धरना स्थल पर मौजूद महिलाओं का कहना था की अब वे अपने परिवार के पुरुषों से और अलग नहीं रहना चाहते, और आज से वे अपने बच्चों के साथ धरने में बैठने के लिए मजबूर हो गए हैं।
वर्तमान की स्थिति
मंगलवार, 30 मई 2023 को दोपहर तीन बजे के बाद से बेलसोनिका कम्पनी के 2 शिफ़्टों के वर्कर हड़ताल पर चले गए हैं, जो अब भी जारी है।
रात को 9 बजे से सुबह 4 बजे तक सहायक श्रमायुक्त व श्रम निरीक्षक की मध्यस्थता में यूनियन और प्रबंधन के बीच सात घंटे तक वार्ता हुई जो विफल रही।
बेलसोनिका प्रबंधन बिना धरना हटाए और हड़ताल खोले कोई भी बात करने को राज़ी नहीं है। वहीं दूसरी तरफ़ यूनियन भी किसी भी मज़दूर की नौकरी नहीं जाने देना चाहती है।
बुधवार, 31 मई 2023 को दोपहर 1.30 बजे से फिर से वार्ताएँ चालू हैं। यूनियन नेताओं का कहना है कि कम्पनी के परिसर में पुलिस फ़ोर्स बड़ी संख्या में मौजूद हैं। तनावपूर्ण स्थिति के बीच वर्करों के परिवार उनके साथ फैक्ट्री गेट पर धरने में मौजूद हैं।
ये भी पढ़ेंः-
- वन गुर्जरों के घरों के बाहर खाई खोदे जाने से आक्रोश, वन विभाग कार्यालय पर प्रदर्शन की चेतावनी
- भारत में सुपर अमीरों की संख्या बढ़ी, 1.44 करोड़ रुपये वाले भी 1% अमीरों के क्लब में
- मानेसर प्रोटेरिअल वर्कर कंपनी में धरने पर बैठे, गेट के बाहर दो शिफ़्ट के वर्कर
- नागपुर: मोराराजी टेक्सटाइल्स के वर्कर पानी की टंकी पर चढ़े, चार महीने से बकाया है सैलरी
- बेलसोनिका: ठेका मज़दूर को यूनियन सदस्य बनाने का मामला इतना तूल क्यों पकड़ा?
वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें