अब मोदी खुद उतरे ओल्ड पेंशन स्कीम के विरोध में, राज्यों में बहाली को बताया ‘पाप’
कई महीनों से पुरानी पेंशन स्कीम के बारे में अपने मंत्रियों, अधिकारियों, आरबीआई के मार्फ़त विरोधी माहौल बनाने के बाद आखिरकार खुद पीएम नरेंद्र मोदी के मुंह से ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर चेतावनी के बोल निकल ही पड़े।
गुरुवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब देते हुए राज्यसभा में खुद को प्रधान सेवक करने वाले नरेंद्र मोदी ने ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने को पाप कहा।
उन्होंने बिना ओल्ड पेंशन स्कीम का नाम लिए, इसे लागू करने वाले राज्यों को कोसा और चेतावनी भी जारी की।
मोदी ने कहा , “जो लोग सिर्फ राजनीतिक खेल खेलना जानते हैं, अर्थ नीति को अनर्थ नीति में बदल दिया है, मैं उन्हें चेतावनी देना चाहता हूं कि वे अपने अपने राज्यों को जाकर समझाएं कि वे गलत रास्ते पर न चले जाएं। हम पड़ोसी देशों का हाल देख रहे हैं कि वहां पर क्या हाल हुआ है, अनाप शनाप कर्ज लेकर किस तरह देशों को डुबो दिया गया। आज हमारे देश में भी तत्कालीन लाभ के लिए ये नज़रिया है कि भुगतान करना होगा तो आने वाली पीढ़ी करेगी। कर्ज लेकर घी पियो वाला खेल जिसे आने वाला देखेगा। ये रवैया कुछ राज्यों ने अपनाया है। ये अपने राज्य को तो तबाह करेंगे ही देश को भी बर्बाद कर देंगे।”
उन्होंने पड़ोसी देशों के बारे में कहा, “कुछ पड़ोसी देश कर्ज के तले दबते जा रहा हैं, उन्हें दुनिया में कोई देश कर्ज देने को तैयार तक नहीं है। ये देश मुसीबतों से गुजर रहे हैं।”
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‘ऐसा पाप मत कीजिए’
“मैं राजनीतिक वैचारिक मतभेदों को अलग रख कर कहना चाहता हूं कि देश की आर्थिक सेहत से खिलवाड़ मत कीजिए। आप कोई ऐसा पाप मत कीजिए जो आपके बच्चों के अधिकारों को छीन ले।”
“आज मौज कर लें और बच्चों के नसीब में बर्बादी छोड़ जाएं। हो सकता है कि आपको ये पालिटिकली सूट करता हो। मैंने तो देखा कि एक मुख्यमंत्री ने बयान दिया कि ठीक है मैं तो निर्णय करता हूं मुसीबत मुझे कहां आएगी, 2030-32 के बाद आएगी और जो आएगा भुगतेगा। कोई देश ऐसे चलता है क्या? लेकिन ये जो वृत्ति बन रही है चिंताजनक है।”
ओल्ड पेंशन स्कीम का नाम बिना लिए पीएम मोदी ने कहा कि देश की आर्थिक सेहत के लिए राज्यों को आर्थिक अनुशानसन का रास्ता चुनना पड़ेगा और तभी ये राज्य भी इस विकास का लाभ ले पाएंगे।
गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन और आरबीआई ने भी ओपीएस को लेकर अपनी चिंता ज़ाहिर की थी।
हाल ही में बीजेपी नेता और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने कहा था कि अगर ओपीएस लागू हुआ तो देश 2030 तक बर्बाद हो जाएगा।
ओपीएस को लेकर बढ़ रहा दबाव
पूरे देश में NSP का विरोध हो रहा है और OPS कि बहाली की मांग हो रही है, जिसको लेकर कई ट्रेड यूनियनें लगातार प्रदर्शन कर रही हैं।
दरअसल, नई पेंशन योजना पूरी तरह से शेयर बाजार पर आधारित है। NPS के तहत कर्मचारी द्वारा पूरे कार्यकाल में इकट्ठा किए गए पैसे को शेयर बाज़ार में सट्टे पर लगा दिया जाता है। जिसके बाद पेंशन भोगियों को इस बात का पता ही नहीं होता को उनको कितनी पेंशन मिलेगी।
कुछ आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि NPS में पेंशन भोगियों को कई बार भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है।
कर्मचारियों का दावा है कि NPS के तहत पेंशन पाने वाले पूर्व कर्मचारियों को महज दो तीन हजार मिलते हैं जिसमें उनकी दवाएं भी पूरी नहीं पड़ती हैं। यही कारण है जिसको लेकर लगातार OPS को बहाल करने की मांग की जा रही है।
जिन राज्यों में ओपीएस बहाल हुआ
तीन कांग्रेस शासित राज्यों, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश ने ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल कर दिया है। जबकि गैर कांग्रेस शासित राज्य झारखंड और पंजाब की सरकारों ने अपने राज्यों में ओपीएस को लागू करने का फैसला ले लिया है।
हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस ने अपना चुनावी वादा पूरा करते हुए पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल किया है।
वहीं छत्तीसगढ़ ओपीएस को लागू करने वाला पहला राज्य है। और हाल ही में पंजाब में ‘आप’ सरकार ने OPS लागू करने का नोटफिकेशन जारी किया है।
हैरानी की बात यह है कि अब तक, फडणवीस को छोड़कर किसी भी भाजपा नेता ने OPS के पक्ष में बात नहीं की है। महाराष्ट्र पहला भाजपा शासित राज्य है जिसने सार्वजनिक रूप से ओपीएस को वापस लाने के प्रति सकारात्मक रवैया दिखाया किया है।
जहां एक महीने पहले ही फडणवीस ने पुरानी पेंशन योजना को वापस लेने से इनकार किया था। वहीं अब फडणवीस का बयान उनकी पार्टी के स्टैंड के विपरीत है।
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