लखनऊ में कैश ऑन डिलीवरी ऑर्डर बना डिलीवरी बॉय के मौत का कारण, कंपनियों की लापरवाही उजागर
लखनऊ के चिनहट थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति ने कैश ऑन डिलीवरी (COD) ऑप्शन से iPhone मंगवाया और डिलीवरी एजेंट की हत्या कर दी।
इस क्रूर घटना में ग्राहक और उसके दोस्त पर हत्या का आरोप है। मृतक का शव एक बोरी में भरकर नहर में फेंक दिया गया।
पुलिस के अनुसार, मृतक की पहचान भारत कुमार (30) के रूप में की गई है, जो लखनऊ के निशातगंज थाना क्षेत्र के महानगर इलाके का निवासी था।
यह मामला तब सामने आया जब भारत कुमार के घर न लौटने पर उनके भाई ने चिनहट थाने में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई।
घटना की पृष्ठभूमि
डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह ने बताया कि आरोपी का नाम गजानन है, जो चिनहट का निवासी है। गजानन ने ₹1.5 लाख कीमत का iPhone कैश ऑन डिलीवरी (COD) के माध्यम से ऑर्डर किया था।
23 सितंबर को भारत कुमार iPhone की डिलीवरी करने गए थे, लेकिन गजानन और उसके दोस्त आकाश ने मिलकर भारत कुमार की गला दबाकर हत्या कर दी।
हत्या के बाद आरोपियों ने मृतक का शव एक बोरी में भरकर इंदिरा नगर के पास एक नहर में फेंक दिया।
शव की तलाश के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) को बुलाया गया है। पुलिस लगातार शव की बरामदगी के प्रयास में जुटी हुई है।
मामले की जांच के दौरान पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और सर्विलांस डेटा की मदद से साक्ष्य जुटाए, जिसके बाद आकाश नामक एक संदिग्ध को हिरासत में लिया गया है। पुलिस ने बताया कि घटना से जुड़े अन्य पहलुओं की जांच की जा रही है।
भारत कुमार के परिवार को घटना की जानकारी दे दी गई है और वे इस दुखद घटना से स्तब्ध हैं। पुलिस इस मामले में और गहराई से जांच कर रही है और बाकी आरोपियों की तलाश जारी है।
इस गंभीर अपराध के मद्देनजर पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। मृतक के परिवार को न्याय दिलाने के लिए पुलिस लगातार प्रयास कर रही है।
लखनऊ में हुई इस घटना ने ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान होने वाली सुरक्षा चिंताओं पर सवाल खड़े करती है।
डिलीवरी एजेंट्स की सुरक्षा और उनके कामकाजी हालात
डिलीवरी एजेंट्स आज के ई-कॉमर्स और ऑनलाइन शॉपिंग सिस्टम की रीढ़ हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा और कामकाजी स्थितियां अक्सर बेहद दयनीय होती हैं।
वे लंबी दूरी तय करते हैं, ख़राब मौसम, ट्रैफिक और जोखिम भरे इलाकों में डिलीवरी करने के लिए मजबूर होते हैं।
इसके बावजूद, उन्हें पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं मिलते। हाल की घटनाएं, जैसे कि लखनऊ में डिलीवरी एजेंट की हत्या, इस समस्या की गंभीरता को उजागर करती हैं।
डिलीवरी एजेंट्स को समय सीमा के दबाव में काम करना पड़ता है, जिसके चलते वे मानसिक और शारीरिक रूप से थकावट का शिकार होते हैं।
उनका वेतन भी अक्सर बेहद कम होता है, जबकि उनसे उच्च प्रदर्शन की अपेक्षा की जाती है। दुर्घटनाओं और अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं का जोखिम भी उनके लिए एक बड़ा मुद्दा है।
‘हमें इन्सान नहीं समझती कंपनियां’
डिलीवरी के दौरान सुरक्षा के लिए कोई स्पष्ट प्रोटोकॉल नहीं होते। उन्हें अपराधियों, ठगी और हमलों का सामना करना पड़ता है, खासकर जब उन्हें बड़ी राशि के उत्पादों की डिलीवरी करनी होती है।
कैश ऑन डिलीवरी (COD) विकल्प के चलते जोखिम और भी बढ़ जाता है, क्योंकि इस दौरान वे बड़ी नकदी या महंगे सामान के साथ होते हैं।
एक डिलीवरी बॉय ने इस घटना के बाद वर्कर्स यूनिटी से बात करते हुए बताया ‘ कंपनियां सिर्फ अपने मुनाफे को प्राथमिकता देती हैं और डिलीवरी एजेंट्स की सुरक्षा और भलाई के बारे में ज्यादा नहीं सोचतीं। कंपनियां हमें सिर्फ एक साधन के रूप में देखती हैं, न कि इंसान के रूप में’।
‘हमारा वेतन भी बहुत कम होता है, जबकि हम पर मुनाफा बढ़ाने की पूरी जिम्मेदारी होती है। इससे साफ होता है कि कंपनियां सिर्फ अपने व्यापार को बढ़ाने में लगी हैं, हमारे हितों का ध्यान रखना उनकी प्राथमिकता नहीं होती’।
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