कोयला खदान में विस्फोट , 7 मज़दूरों की मौत

कोयला खदान में विस्फोट , 7 मज़दूरों की मौत

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में सोमवार को एक कोयला खदान में हुए विस्फोट में कम से कम सात मज़दूरों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।

यह घटना गंगारामचक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड की खदान में हुई, जो बीरभूम के लोकपुर इलाके में स्थित है। जब कोयला निकालने के लिए विस्फोट किया जा रहा था, तभी यह दुर्घटना हुई।

विस्फोट के बाद, खदान में काम कर रहे कई मज़दूर और अधिकारी अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थानों की ओर भागे।

घटनास्थल से प्राप्त तस्वीरों में शवों को जमीन पर पड़े हुए देखा गया, और खदान के पास खड़ी गाड़ियाँ भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थीं।

स्थानीय पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर घायलों को नजदीकी चिकित्सा केंद्र में भर्ती कराया।

कोयला खदानों में मज़दूरों की अनदेखी

यह घटना एक बार फिर से कोयला खदानों में मज़दूरों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की अनदेखी को उजागर करती है।

कोयला खदानों में काम करने वाले मजदूर अक्सर खराब सुरक्षा उपायों, अपर्याप्त सुविधाओं और जोखिमपूर्ण परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर होते हैं।

मज़दूरों की सुरक्षा के लिए बनाए गए मानकों का पालन कई बार नहीं किया जाता, जिससे ऐसी दुर्घटनाएं होती हैं।

इससे पहले, जनवरी 2023 में भी पश्चिम बंगाल के कुल्टी में एक खदान की छत गिरने से कई लोग फंस गए थे।

ये लोग अवैध रूप से कोयला निकाल रहे थे और खदान भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) की थी।

खदानों में अवैध खनन और सुरक्षा उपायों की कमी मज़दूरों के जीवन को गंभीर खतरे में डाल देती है।

इसके बावजूद, इस क्षेत्र में मज़दूरों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन और खनन कंपनियों की ओर से पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है।

कोयला खदानों में मज़दूरों के हितों और उनके अधिकारों की अनदेखी एक बड़ी समस्या है।

मज़दूरों को उचित प्रशिक्षण और सुरक्षा उपकरण मुहैया कराने में लापरवाही बरती जाती है। साथ ही, दुर्घटनाओं के बाद पीड़ितों को मुआवजा और उनके परिवारों को सहायता प्रदान करने में भी ढिलाई देखी जाती है।

यह स्थिति मज़दूरों को लगातार खतरनाक परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर करती है, जो मानवाधिकारों के उल्लंघन का एक बड़ा उदाहरण है।

बीरभूम की इस दुखद घटना ने एक बार फिर कोयला खदानों में मज़दूरों की सुरक्षा की गंभीर अनदेखी को उजागर किया है।

जब तक सरकार और कंपनियाँ मिलकर इस समस्या का समाधान नहीं करतीं और मज़दूरों के लिए बेहतर सुरक्षा उपाय लागू नहीं किए जाते, तब तक इस तरह की घटनाएँ होती रहेंगी और मज़दूरों का जीवन खतरे में रहेगा।

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Abhinav Kumar

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