झारखंड में सिपाही भर्तीः मना करने पर भी सात घंटे भूखे रहकर लगाई 10 किमी की दौड़, पूरा करने से पहले ही गिर पड़ा अभ्यर्थी

झारखंड में सिपाही भर्तीः मना करने पर भी सात घंटे भूखे रहकर लगाई 10 किमी की दौड़, पूरा करने से पहले ही गिर पड़ा अभ्यर्थी

By अभिनव कुमार

झारखंड में सिपाही भर्ती के दौरान जान गंवाने वाले युवाओं के परिजनों ने वर्कर्स यूनिटी से साझा की ग़रीबी, बेरोज़गारी की दर्दनाक दास्तां.

28 अगस्त के अहले सुबह ढाई बजे दीपक पासवान डाल्टनगंज स्थित अपने कमरे से चियांकी हवाई अड्डा ग्राउंड में हो रहे उत्पाद सिपाही के लिए दौड़ में शामिल होने के लिए निकलते हैं।

3 बजे तक वो ग्राउंड के गेट पर पहुँच जाते हैं। 5 बजे सुबह गेट खोला जाता है और सभी अभ्यर्थियों को दौड़ के लिए कतार में खड़ा कर दिया जाता है।

दीपक के दौड़ की बारी सुबह 10:30 बजे के करीब आती है जब धूप और गरमी काफी तेज हो चुकी थी।

दीपक के बड़े भाई धीरज ने फ़ोन पर वर्कर्स यूनिटी को बताया कि, “उसके दौड़ के वक़्त मैं वहाँ मौजूद था। 10 किलोमीटर लंबे दौड़ में से 9 किलोमीटर वो पूरा कर चूका था। ऐसा लग रहा था उसका चयन तय है। आखिरी किलोमीटर बचा था, लेकिन लम्बे इंतज़ार के बाद भी जब वो डेड लाइन तक नहीं पहुंचा तब मैंने वहां मौजूद पुलिस वालों से पूछताछ की। पता चला आखिरी राउंड पूरा करने के दौरान वो बेहोश हो कर गिर गया था, जिसके बाद पुलिस वालों ने उसे स्थानीय सदर अस्पताल में भर्ती करा दिया है।”

उन्होंने बताया कि, “जब हम अस्पताल पहुंचे तो उसे मास्क के जरिये ऑक्सीजन दिया जा रहा था ,लेकिन वो काफी छटपटा रहा था। परिवार ने तुरंत उसे एक स्थानीय निजी क्लिनिक में भर्ती करा दिया। जहाँ वो 24 घंटे ICU में रहा। लेकिन सुधार होता न देख हमने उसे राजधानी रांची के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया, जहाँ 30 तारीख की रात उसकी मौत हो गई।”

deepak paswan
 दीपक पासवान

वह पलामू जिला के पांडु के रहने वाले थे और पलामू अम्बेडकर छात्रावास में रहकर पढ़ाई करते थे।

फिलहाल दीपक का पूरा परिवार सदमे में है और बात करने की स्थिति में नहीं है।

धीरज बताते हैं, “हम तीन भाइयों में वो सबसे होनहार था। भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में भी उसका चयन लगभग तय था बस स्किल टेस्ट बचा था। हमने उसे मना किया इस दौड़ में शामिल होने से, लेकिन उसने कहा क्या पता स्किल टेस्ट न निकाल पाऊं।”

“पिता की मौत के बाद हमने बहुत संघर्ष देखा है, इसलिए परिवार को एक अदद नौकरी की सख्त ज़रूरत थी।”

दीपक के पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि उनकी मौत मल्टी ऑर्गन फेलियर के कारण हुई है।

दौड़ लगाने वाले 8 युवाओं की मौत, 200 अस्पताल में भर्ती

ख़बरों की माने तो राज्य भर के अलग-अलग अस्पतालों अभी 200 से ज्यादा अभ्यर्थियों का इलाज चल रहा है, जबकि रांची से निकलने वाले अख़बारों की रिपोर्टों में कहा गया है कि आठ युवाओं की मौत हो गई है।

इसी दौड़ के दौरान रांची के नामकुम के रहने वाले विकास लिंडा की मौत भी जैप -9 साहिबगंज ग्राउंड में हो गई।

विकास की छोटी बहन अनुराधा जो खुद भी दौड़ में शामिल होने के लिए भाई के साथ साहिबगंज गई थीं।
वो बताती हैं, “दौड़ने के क्रम में ही भाई अचानक गिर गया। मौके पर मौजूद एक युवक ने बताया मेरे भाई को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।”

“मैं जब अस्पताल पहुंची तो देखा भाई लंबी-लंबी सांसे ले रहा था। उसे ऑक्सीजन की सख्त जरुरत थी, लेकिन उसे सिर्फ सैलाइन चढ़ाई जा रही थी। उसे देखने न कोई डॉक्टर आ रहा था न कोई नर्स। जब मैंने अस्पताल के लोगों से ऑक्सीजन चढ़ाने के लिए कहा तो बोला गया वो हमारा डिपार्टमेंट नहीं है। अगले दिन भाई की मौत हो गई।”

अनुराधा कहती हैं, “भाई की मौत के बाद उसके शव को प्लास्टिक से ढंक कर हमें दे दिया गया, न ही शव को गांव तक पहुँचाने में कोई मदद की गई। वहां मौजूद किसी अधिकारी ने हमारे प्रति थोड़ी भी संवेदना नहीं दिखाई।”

वो कहती हैं, “हमारे पिता की मौत भी पिछले साल कैंसर की वजह से हो गई थी। पिता के इलाज में लगभग हमारी सारी जमा पूंजी खर्च हो गई थी, तब से मेरे और भाई की कोशिश थी कि ये नौकरी निकाल किसी तरह घर के हालात सुधरे जाये।”

ख़बरों की माने तो झारखण्ड में चल रहे उत्पाद सिपाही बहाली के दौड़ के दौरान अब तक एक दर्जन से भी ज्यादा अभ्यर्थियों की मौत हो चुकी है।

पलामू ज़िले के ही छतरपुर के रहने वाले अरुण कुमार (30 वर्ष) की मौत भी इसी दौड़ के दौरान हो गई थी।

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क्रेडिट : साहिबगंज पुलिस

583 पदों पर सवा लाख अभ्यर्थी

आपको बतातें चले JSSC (झारखण्ड स्टाफ़ सिलेक्शन कमिशन) द्वारा आबकारी कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2024 के माध्यम से उत्पाद सिपाही के 583 पदों पर बहाली हो चल रही है।

जानकारी के मुताबिक अब तक 1 लाख 27 हज़ार 572 अभ्यर्थी फिटनेस टेस्ट में शामिल हो चुके हैं, जिनमें 78,023 अभ्यर्थी सफल हुए हैं । इन सफल लोगों में 55 हज़ार पुरुष और 21 हज़ार से थोड़ा ज्यादा महिला अभ्यर्थी हैं।

इस भर्ती के लिए फ़िटनेस टेस्ट में लड़कों को एक घंटे में 10 किलोमीटर दौड़ना है, वहीं लड़कियों को 40 मिनट में 5 किलोमीटर दौड़ना है।

फ़िटनेस टेस्ट 22 अगस्त से राज्य के सात केंद्रों रांची स्थित झारखण्ड जगुआर, पुलिस केंद्र गिरिडीह, टेंडर ग्राम रातू, जेएपीटीएस पदमा, चियांकी हवाई अड्डा मेदनीनगर, सीटीसी सयासपुर मुसाबनी और जैप-9 परिसर साहिबगंज में चल रहा है।

अभ्यर्थियों के मौत का सिलसिला दौड़ के पहले दिन यानि 22 अगस्त से ही शुरू है। दौड़ के पहले ही दिन जेएपीटीएस पदमा स्थित ग्राउंड और सीटीसी सयासपुर मुसाबनी ग्राउंड में एक-एक युवक की मौत हो गई थी।

बीजेपी के नेता बाबू लाल मरांडी ने सोमवार को ट्वीट कर दावाा किया कि उत्पाद सिपाही भर्ती परीक्षा के 500 सीटों की बहाली में 11 होनहार युवा अब तक अपनी जान गंवा चुके हैं।

उन्होंने मृतकों के परिजनों को 50-50 लाख रुपये मुआवज़ा देने की मांग की।

दौड़ के नियमों पर सवाल

हज़ारीबाग के रहने वाले रजनीश कुमार जो खुद इस बहाली दौड़ की तैयारी कर रहे थे, घरवालों ने उन्हें इस दौड़ में शामिल होने से मना कर दिया।

वर्कर्स यूनिटी से बात करते हुए रजनीश कहते हैं, “सरकार को दौड़ के नियमों में फेरबदल करने की सख़्त ज़रूरत है। हमारे प़ड़ोसी राज्य बिहार और उत्तरप्रदेश को ही देख लें। बिहार में कांस्टेबल बहाली के लिए पुरुषों को 6 मिनट में 1.6 किमी और महिलाओं को 5 मिनट के अंदर 1 किमी की दौड़ पूरी करनी होती है। वहीं यूपी में पुरुषों को 25 मिनट में 4.8 किमी और महिलाओं के लिए 2.4 किमी की दौड़ 14 मिनट में पूरी करनी होती है। फिर झारखण्ड में इतने कठोर नियम क्यों?’

वो आगे कहते हैं, “आवेदन के समय ही अभ्यर्थियों ने आयोग के समक्ष दौड़ से सम्बंधित नियमों को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी, लेकिन आयोग ने छात्रों के मांग की अनदेखी की। सरकार को जल्द से जल्द इन नियमों में फेरबदल करने चाहिए।”

एक अन्य अभ्यर्थी मुकेश बताते हैं, “अगस्त 2023 में उत्पाद सिपाही का फॉर्म भरवाया गया। उसके बाद अक्टूबर, नवंबर और दिसम्बर में शारीरिक परीक्षा ले ली जानी चाहिए थी। लेकिन अगस्त 2024 में शारीरिक परीक्षा शुरू हुई। अगस्त में गर्मी बहुत होती है। 3 महीने बाद होने वाले चुनाव को देखते हुए हड़बड़ी में इस गर्म मौसम में सरकार दौड़ करा रही है।”

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हजारीबाग और देवघर मे जान गंवाने वाले बेरोजगार छात्रों को श्रद्धांजलि दी गई

डीजीपी के बयान पर परिजनों के सवाल

अभ्यर्थियों की मौत के सवाल पर डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कहा कि, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है और हम मामले की जाँच कर रहे हैं। फ़िलहाल हमने यूडी केस दर्ज कर दिया और पोस्टमार्टम करवा रहे हैं। हम जानने का प्रयास कर रहे हैं कि ये मौतें किसी बीमारी की वजह से हुई हैं या फिर व्यवस्था में कमी की वजह से।”

उन्होंने दावा किया कि सभी सेंटरों पर पानी, शौचालय, डॉक्टर, नर्स और मेडिसिन की पूरी व्यवस्था है। हमारी कोशिश होती है कि दौड़ को जितनी जल्दी हो सके शुरू कर लिया जाये।

लेकिन अभ्यर्थियों और मारे गए युवकों के परिवार वाले कुछ और ही कहानी बयां कर रहे।
मृतक विकास लिंडा की बहन अनुराधा बताती हैं, “हमें धूप और गरमी के बीच दौड़ाया जा रहा है। अगर आप हमारी दौड़ 10 बजे कराने वाले हो तो फिर सुबह 5 बजे बुलाने का क्या मतलब है। अभ्यर्थी दौड़ से पहले लगातार 5-6 घंटे बिना कुछ ढंग से खाये पिए खड़े रहते हैं। सेंटर पर कुछ भी ढंग के इंतज़ाम नहीं है।”

मृतक दीपक के भाई ने भी कुछ इसी तरह का दावा किया था।

वहीं मौत के इन मामलों के बाद प्रदेश की राजनीती गरम हो गई है।

अभ्यर्थियों की मौत पर राजनीति शुरू

नेता प्रतिपक्ष भाजपा नेता अमर बाउऱी ने कहा, “भारत के इतिहास में किसी भी बहाली में इतनी मृत्यु नहीं हुई, जितनी उत्पाद सिपाही बहाली में हो रही है। हेमंत सोरेन की इस सरकार ने झारखंडी बेरोजगार युवाओं का जेनोसाइड किया है। झामुमो-कांग्रेस-राजद सरकार ने पिछले 5 वर्षों में पहले मानसिक रूप से युवाओं को मारा अब शारीरिक रूप से उनकी मृत्यु का कारण बन रही है।”

इसी बीच लगातार झारखण्ड के दौरे पर रहे भाजपा नेता और आसम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि वे इस मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में ले जायेंगे।

इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग किया कि, बहाली को तत्काल अगले 15 दिनों के लिए रोक दिया जाये साथ ही मृतक के परिवार को 50 लाख मुआवजा और एक आश्रित को सरकारी नौकरी दी जाये।

असम के सीएम और झारखंड प्रदेश बीजेपी के चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि बीजेपी उत्पाद सिपाही की दौड़ में मरनेवालों अभ्यर्थियों के परिजनों को को एक-एक लाख रुपये की सहायता राशि देगी।

बीजेपी की रघुवर सरकार ने बदला था दौड़ का नियम

राज्य सरकार में मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि ‘अभ्यर्थियों की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है, ऐसा नहीं होना चाहिए था। हम जाँच कर रहे है। कोताही करने वालों को बख़्शा नहीं जायेगा। इस मामले में बीजेपी को राजनीति नहीं करनी चाहिए क्योंकि दौड़ के नियमों को उनकी सरकार ने ही बदला था।’

मालूम हो 2016 में रघुवर दास के नेतृत्व वाली तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा नियमावली में बदलाव कर 1600 मीटर के दौड़ को बदल कर 1 घंटे में 10 किमी के दौड़ वाले नियम को बनाया गया था।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भर्ती दौड़ को रोक दिया है। ये भर्ती 3, 4 और 5 सितंबर को सात केंद्रों पर होनी थी।

हेमंत सोरेन ने कहा की अभ्यर्थियों की मौत पर बीजेपी इसका राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। मृतक परिवार को एक-एक लाख रुपये की मदद बीजेपी का दिखावा है। सच्चाई यह है कि बीजेपी स्थिति की गंभीरता को नहीं समझती है, केवल चुनावी लाभ के लिए बीजेपी नेता इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं।

बहाली रोके जाने पर गिरिडीह पहुंचे अभ्यर्थियों ने सरकार के इस फैसले के बाद वहीं सड़क पर बैठ गए।
अभ्यर्थियों ने बताया, “हम दूर-दूर से बहाली में भाग लेने आए हैं, कई लोग तो कर्ज लेकर पहुंचे हैं। हमें पता रहता कि दौड़ नहीं होनी है तो यहां आते ही नहीं। सुविधा बढ़ाने की जगह सरकार हमें परेशान कर रही है।”

 

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Abhinav Kumar

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