आजमगढ़ में पुलिस की बर्बरता, दलितों के घरों पर चलाया बुलडोजर, धरने पर बैंठी महिलाएं
आजमगढ़, रौनापार के पलिया गांव में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दलित परिवारों पर हमला करने घटना सामने आई है। वहां कई मकानों को तोड़ा गया, सैकड़ों पर मुकदमा दर्ज किया गया है।
कहा जा रहा है कि तनाव के बाद से पुरुष डर से भागे हुए हैं। आरोप लगाया कि घर में रखे सामानों को तोड़ने के साथ महिलाओं के साथ भी अभद्र व्यवहार किया गया।
अपने साथ हुई बदसलूकी के खिलाफ महिलाएं धरने पर बैठ गई हैं। महिलाओं की मांग है कि पुलिसवालों पर कार्रवाही हो।
दरअसल 29 जून को गांव में छेड़छाड़ की एक घटना की जांच करने दो पुलिस वाले आए। आरोप है कि उन्होंने प्रधान को थप्पड़ मार दिया। जवाब में प्रधान पक्ष से कुछ लोगों ने पुलिसकर्मियों से मारपीट की।
ग्रामीणों का आरोप है कि रात में दबिश देने आई पुलिस ने JCB से मुन्ना पासवान और पासी समाज के कुछ मकानों में को तहस नहस कर दिया और उनके जेवर और कीमती सामान लूट ले गए।
इस घटना के बाद से ही एक बार फिर से योगी सरकार पर आरोल लगने शुरू हो चुके हैं कि यह सरकारी अमले की दलित विरोधी मानसिकता का परिचायक है।
इस बारे में दलित विचारक चंद्र भान प्रसाद ने एक ट्वीट में कहा कि रुतबे वाले एक दलित परिवार को टारगेट किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई पुलिस थानों ने गांव में रेड मारी।
Tweet-https://twitter.com/cbhanp/status/1411138577602387978
एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, “इस मुन्ना पासी ने मनु विरोधी घर बनाया, इसके पास 4 ट्रैक्टर हैं, एक वैन, एक जीप, एक राइफल, एक बोर गन, एक ईंट की फैक्ट्री, हाल ही में लिया पेट्रोल पंप. वो काफी लोकप्रिय हैं, जाति के वर्चस्ववादी इनसे डरते थे।”
Tweet-https://twitter.com/cbhanp/status/1411543146387890177
यह घटना अब एक बड़ा रूप ले चुकी है और उत्तर प्रदेश की तमाम विपक्षी पार्टियां सक्रिय हो गई हैं। तत्काल दोषियों के ऊपर कार्यवाही हो और पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए।
वहीं पुलिस ने इस मामले में तीन केस दर्ज किए हैं। स्थानीय थानाध्यक्ष तारकेश्वर राय का कहना है कि 2 मुकदमों में अभी तक 2 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। गांव के अधिकांश पुरुष अभी गायब हैं।
पुलिस का कहना है कि पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए इन लोगों ने खुद ही अपने घरों में तोड़फोड़ की, ताकि पुलिस पर दबाव बनाया जा सके और मारपीट वाले मुकदमे में कोई कार्रवाई न हो।
आजमगढ़ पुलिस ने ट्वीट कर दावा किया है कि प्रधान और उनके साथियों ने दो पुलिसकर्मियों को बुरी तरह पीटा और वर्दी भी फाड़ दी। उसी मारपीट के केस से बचने के लिए पुलिस पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं और दबाव बनाया जा रहा है।
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