संजयनगर मजदूर बस्ती में फिर उजाड़े गए 300 घर, विकलांग- गर्भवती महिलाएं एवं बच्चों को भी नहीं बख्शा
न्यू टाउन फरीदाबाद रेलवे स्टेशन के समीप बसी संजयनगर मजदूर बस्ती को रेलवे ने बुलडोजर लेकर धराशाई कर दिया।
इस बस्ती में दलित समुदाय के 500 से ज्यादा मजदूर परिवार पिछले 50 वर्ष से निवास कर रहे हैं और उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि यह बस्ती मलबे के ढेर में तब्दील हो जाएगी।
गौरतलब है कि संजय नगर में पहली तोड़फोड़ 29 सितंबर 2021 को की गई थी।
मजदूर आवास संघर्ष समिति संजय नगर की ओर से एक मामला सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया किंतु सुप्रीम कोर्ट ने केवल याचिकाकर्ताओं को ही स्टे देने का आर्डर जारी किया।
इसके पश्चात मजदूर आवाज संघर्ष समिति संजय नगर ने फिर से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक एप्लीकेशन फाइल की जिसकी सुनवाई 4 अक्टूबर की प्रातः काल 10:00 बजे हुई आज की सुनवाई में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने स्टेट को नोटिस जारी किया।
किंतु मजदूर बस्ती को राहत नहीं मिली यह देखकर रेलवे की भुजाएं और भड़कने लगी और पूरी ताकत के साथ रेलवे प्रशासन ने 300 घरों को धराशाई कर दिया।
तोड़फोड़ के दौरान रेलवे प्रशासन ने मानवाधिकारों को ताक में रखकर विकलांग, गर्भवती महिलाएं एवं बच्चों को भी नहीं बख्शा।
मजदूर आवास संघर्ष समिति राष्ट्रीय कन्वीनर निर्मल गोराना ने बताया कि हरियाणा सरकार ने संजय नगर मजदूर बस्ती के परिवारों को बिना पुनर्वास किए विस्थापित किया है जो सरासर मानवाधिकारों का उल्लंघन है और यह हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना है।
दिल्ली हाईकोर्ट के द्वारा दिए गए अजय माकन के फैसले में पुनर्वास को आवश्यक बताया गया है विस्थापन से पहले पुनर्वास की बात की गई है किंतु इस आदेश की भी घोर अवमानना रेलवे प्रशासन ने आज संजय नगर बस्ती में की है।
4 अक्टूबर को फिर से मजदूर आवास संघर्ष समिति संजय नगर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एप्लीकेशन मूव करते हुए अर्जेंट मेंशनिंग की गई है ताकि सुप्रीम कोर्ट पूरी बस्ती पर संज्ञान ले सके। हरियाणा सरकार द्वारा लगातार बस्तियों की तोड़फोड़ का अभियान चलाया जा रहा है जिसकी मजदूर आवाज संघर्ष समिति कड़ी निंदा करता है।
दलित राइट्स नेता दीनदयाल गौतम ने बताया कि दलितों की बस्ती को टारगेट किया गया और दलित होने की वजह से प्रशासन पुनर्वास भी नहीं दे रहा है यह दलित परिवारों के साथ भेदभाव है जिसकी भीम आर्मी कड़ी निंदा करता है कि आज भी फरीदाबाद जैसे शहर में पुनर्वास को लेकर एवं आश्चर्य को लेकर प्रशासन द्वारा भेदभाव किया जा रहा है।
कचरा कामदार कामगार सीता देवी बताती है कि पिछले 60 वर्ष पूर्व उसका जन्म इन्हीं झुग्गियों में हुआ था और उसने अपना बचपन, जवानी और बुढ़ापा यहां बिता दिया किंतु बुढ़ापे में वह अपने पूरे परिवार को लेकर कहां जाएं जबकि सरकार पुनर्वास के मुद्दे पर कुंभकरण की नींद सो रही है।
संजय नगर की रहने वाली सीमा देवी ने बताया कि मेरा घर सरकार ने तोड़ दिया है किंतु मेरा हौसला नहीं तोड़ा है मैं अपने नट समुदाय के साथ सरकार से आवास की मांग करूंगी और अगर सरकार मुझे आवास प्रदान नहीं करेगी तो मैं आगामी चुनाव में मौजूदा सरकार की पार्टी के खिलाफ प्रचार प्रचार करूंगी।
सतीश कुमार ने बताया कि जिला अधिकारी फ़रीदाबाद को तत्काल ही बेदखल हुए परिवारों को अस्थाई आश्रय प्रदान करना चाहिए।
(मजदूर आवास संघर्ष समिति के प्रेस नोट से साभार)
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