प्रयागराज में जानलेवा हमले के खिलाफ ग्राम चौकीदारों का प्रदर्शन
प्रयागराज में 10 अगस्त को जानलेवा हमले के खिलाफ ग्राम चौकीदारों ने पुलिस कार्यालय पर प्रदर्शन किया। कतार में जुलूस की शक्ल में पहुंचे चौकीदारों ने देहात में दबंगों की गुंडागर्दी का मुद्दा उठाकर कानून व्यवस्था ध्वस्त होने का आरोप लगाया।
पीडि़त चौकीदार बरनपुर गांव के आत्मा प्रसाद ने बताया स्थानीय दबंग माफिया ने जानलेवा हमला किया। थाने पर शिकायत की गई ,लेकिन कार्रवाई नहीं की गई।
हमें कोरांव के सरकारी अस्पताल ने इलाहाबाद रेफर कर दिया, लेकिन पुलिस हमें शहर ले जाने को तैयार नहीं हुई। चोट की वजह से ज्यादा तकलीफ होने लगी तो मजबूरी में चौकीदार साथी स्थानीय स्तर पर इलाज कराने को लेकर गए।
बार- बार पुलिस से कहते रहे कि कम से कम हमारा इलाज तो किसी अच्छे अस्पताल, जिला अस्पताल में करवाया दिया जाय, लेकिन हमें डांटकर भगा दिया गया।
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पुलिस कार्यालय पर प्रदर्शन करने वाले चौकीदारों ने कहा, हम अपने दर्जनों चौकीदार साथियों के साथ 70 किलोमीटर दूर से जैसे-तैसे प्रयागराज के एसएसपी से इंसाफ की गुहार लगाने पहुंचे हैं।
जमुनापार के सामाजिक कार्यकर्ता पंचम लाल ने कहा गांवों में गरीबों दलितों पर हमले बढ़ गएं हैं, लगता है गुंडाराज आ गया है। ऐक्टू राष्ट्रीय सचिव डॉ.कमल उसरी ने चौकीदारों की न्यायिक मांग का समर्थन किया।
प्रदर्शन करने वालों में प्रमुख तौर पर प्रयागराज के कोरांव तहसील के चौकीदार थे। पुलिस ढांचे में बेहम अहम माने जाने वाले प्रदर्शनकारियों से एसएसपी ने कहा कि मामले पर कार्रवाई होगी, लेकिन आपकी चौकीदारी समाप्त कर दी जाएगी।
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कौन हैं ग्राम चौकीदार
यहां बता दें, ग्राम चौकीदार दशकों से पुलिस व्यवस्था का अंग हैं। कभी इस व्यवस्था को ब्रिटिशकाल में बनाया गया था। आमतौर पर ग्राम चौकीदार वाल्मीकि समुदाय के हैं, अपवाद बतौर अन्य जाति के भी हो सकते हैं। इनको मामूली मानदेय दिया जाता है, जो बरसों में मिल पाता है।
पिछले साल मानदेय 2500 रुपये प्रति माह की घोषणा की गई। इसके अलावा सरकार ने साफा, साइकिल, जूता, जर्सी, कोट, धोती देने के साथ बीमा योजनाओं से जोडऩे का भी वादा किया था।
घोषणा के समय चौकीदारों ने प्रधानमंत्री के मैं भी चौकीदार अभियान की प्रशंसा की और खुद को गौरवान्वित महसूस किया था। सरकारी गणना के अनुसार प्रदेश में ग्राम प्रहरी या चौकीदारों की संख्या 68 हजार 337 है।
चौकीदार वेलफेयर एसोसिएशन उन्हें राज्य कर्मचारी का दर्जा देने की मांग कर रही है। जनवरी में इस मांग पर प्रदर्शन भी हो चुका है।
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