दिल्ली नगर निगमों में कोरोना से सबसे अधिक सफ़ाई कर्मचारियों की जान गई

दिल्ली नगर निगमों में कोरोना से सबसे अधिक सफ़ाई कर्मचारियों की जान गई

कोरोना से कुल मरे 95 कर्मचारियों में 49 सफाई कर्मचारी हैं, इनमें सिर्फ एक या दो को केजरीवाल द्वारा घोषित 1 करोड़ की क्षतिपूर्ति राशि मिली, शेष इसके लिए दर-दर भटक रहे हैं।

दिल्ली के अमीरों- मध्यवर्गीय लोगों के घरों के कूड़े उठाने वाले और उनकी गलियां-सड़कें साफ करने वाले सफाई कर्मचारियों के बारे में मैं सुनता रहा हूं कि देखो इन लोगों को कोरोना नहीं होता, इनका इम्युन सिस्टम इतना मजबूत है कि इनको कुछ नहीं होता।

तथ्य इसके उलट हैं, आज के दी इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के तीन मुंसिफल कार्पोरेशन ( MCD) के मरने वाले कुल 94 कर्मचारियों में 49 सफाई कर्मचारी हैं।

आंकड़ों के अनुसार, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में हुई 29 मौतों में 16, उत्तरी दिल्ली नगर निगम में 49 में से 25 और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में 16 मौतों में से आठ मौतें सफ़ाई कर्मचारियों की हुईं।

दिल्ली के तीनों नगर निगमों में परमानेंट और ठेके पर क़रीब 50,000 सफ़ाई काम करते हैं। कचरे को इकट्ठा करने से लेकर साफ़ सफ़ाई करने वाले इन कर्मचारियों को भयंकर कोरोना आंधी में भी काम पर लगाया गया था।

दिल्ली नगर निगमों में सफ़ाई कर्मचारियों के बाद दूसरे नंबर पर स्वास्थ्यकर्मी और हेल्थ वर्कर्स हैं जिनमें 13 की मौत हो गई।

डॉ. सिद्धार्थ ने अपने फ़ेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि जब अमीर और मध्यमवर्गीय लोग अपने-अपने घरों में दुबके हुए किसी भी सूरत में अपनी जान बचाने में लगे हुए थे, दबा कर खा-पी रहे थे, उसके बाद जो कूड़ा निकाल रहे थे, उसे कोई उसे उठा रहा था और साफ कर रहा था। वे यही सफाई कर्मचारी थे- जिसमें स्त्री-पुरुष दोनों शामिल थे।

अमीरों-मध्यवर्ग को यह भी नहीं पता चलता कि उनकी गली में आने वाला या उनके सोसायटी को साफ करने वाला कौन सफाई कर्मचारी कब मर गया या गायब हो गया, क्योंकि अक्सर वे उनके चेहरों से नहीं, उसके झाडू और कचरे ठेले जानते और पहचानते हैं और एक के मरने के बाद कोई दूसरी झाडू वाली और कचरे का ठेला वाला तो, आ ही जाता है। एक मर जाता है, उसकी जगह कोई दूसरा ले लेता है। अमीरों और मध्यवर्ग का काम तो नहीं रुकता न।

अखबार की रिपोर्ट से यह तथ्य भी सामने आया कि इन 49 कर्मचारियों में सिर्फ इसमें सिर्फ एक या दो को केजरीवाल द्वारा घोषित 1 करोड़ की क्षतिपूर्ति की धनराशि मिली। केजरीवाल द्वारा एक सफाई कर्मचारी के परिवार को 1 करोड़ देते हुए फोटो देखकर लगा था कि सबको शायद 1 करोड़ मिल गया होगा।

भारत में सफाई कमर्चारी अपने काम के स्वरूप ( श्रम) और सामाजिक श्रेणी दोनों आधारों पर तलछट के लोग माने जाते रहे हैं और आज भी हैं, तथ्य इसे प्रमाणित कर रहे हैं।

ब्राह्मणवाद उन्हें उनकी सामाजिक हैसियत के आधार पर और पूंजीवाद उन्हें उनके श्रम के स्वरूप के आधार अंतिम दर्जे का मानता है। तथ्य यही प्रमाणित कर रहे हैं। ब्राह्मणवाद-पूंजीवाद का नाश हो!

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Workers Unity Team

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