अमेरिका में मंदिर बनाने को भारत से ले जाए गए दलित, बंधुआ बनाकर कराया जाता रहा 13-13 घंटे काम
अमेरिका के न्यूजर्सी में एक हिंदू मंदिर निर्माण के लिए ले जाए गए भारतीय मजदूरों ने वहां श्रम कानूनों के उल्लंघन और वेतन में कटौती का आरोप लगाया है।
इसमें कहा गया कि उनसे एक सप्ताह में 87 घंटों से ज्यादा काम लिया जा रहा है। काम के बदले उन्हें साढ़े चार सौ डालर प्रति माह यानी 1.20 डालर प्रति घंटे का भुगतान किया जा रहा है।
न्यू जर्सी में एक घंटे के काम के लिए न्यूनतम वेतन 12 डॉलर तय है। इसके साथ ही वहां यह नियम है कि अगर आप किसी से एक सप्ताह में 40 घंटे से ज्यादा काम कराते हैं तो आपको प्रति घंटे के हिसाब से अतिरिक्त भुगतान करना होगा।
दायर मुकदमे में कहा गया कि मजदूरों को कड़ी निगरानी में रखा जाता था और उनका वेतन काटने की धमकी दी जाती थी। उनसे कहा जाता था कि अगर वे किसी को इस बारे में बताएंगे तो उन्हें अरेस्ट कर वापस भारत भेज दिया जाएगा।
ये भी बात सामने आई है कि इन मजदूरों को कांटेदार तारों के अंदर लोहे के कंटेनरों में गर्मी में जानवरों की तरह कैद कर रखा जाता था। इन्हें खाने में बहुत खराब दाल और आलू दिए जाते थे।
मंगलवार को अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई के एजेंटों ने राॅबिंसविले में तैयार हो रहे इस आर्नेट मंदिर का दौरा किया। यह ट्रेंटाॅन के पूर्व में स्थित है।
एफबीआई के प्रवक्ता डोरेन होल्डर ने बताया, ‘हम कोर्ट के आदेश के बाद वहां किसी तरह की जबरदस्ती की जांच के लिए गए थे। ’
दूसरी ओर खुद को सामाजिक-आध्यात्मिक हिंदू संगठन कहलाने वाले बैप्स के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हमें इन आरोपों के बारे में आज सुबह ही पता चला है। हम इस मामले को गंभीरता से लेकर इस पर विचार कर रहे हैं। ’
उल्लेखनीय है कि अपने दोस्त और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उभरते भारत की छवि प्रचारित करने के लिए अमेरिका में कई बड़ी रैलियां कर चुके हैं जिसमें भारत को अपने कार्यकाल में विश्वगुरू का दर्ज़ा दिलाने के लिए एड़ी चोटी का पसीना एक कर चुके हैं।
जानकारों का कहना है कि इस घटना से न केवल हिंदू संस्था बल्कि भारत और पीएम मोदी की साख पर धब्बा लगा है बल्कि एक आपराधिक कृत्य के लिए अमेरिकी नागरिक समाज की नज़र में ये और नीचे गिर गए हैं।
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