संघर्ष से मिली जीत, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से निकाले गए सभी सफ़ाई कर्मचारियों की बहाली हुई
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली के छात्रों व सफाई कर्मियों का संघर्ष आखिरकार जीत बनकर दर्ज हो गया।
दिल्ली के श्रम मंत्री गोपाल राय ने मामला सुलझाने को वार्ता बुलाई, जिसमें काम से हटाए गए 55 कर्मचारियों को दोबारा रखने के साथ नए ठेकेदार से अनुबंध समाप्त करने का फैसला लिया गया।
श्रममंत्री के साथ बैठक में उनके सचिव, विशेष कार्याधिकारी अनिल घिल्डियाल के अलावा यूनिवर्सिटी प्रतिनिधि सहायक रजिस्ट्रार सिद्धार्थ दहिया, उप रजिस्ट्रार एससी लाठर और कर्मचारियों व छात्रों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
दोनों पक्षों के दस्तावेजों और दलीलों को सुनने के बाद श्रम मंत्री ने श्रमिकों व छात्रों के मोर्चे की मांग को जायज ठहराया।
उल्लेखनीय है कि जब इन सफ़ाई कर्मियों को निकाला गया तो यूनिवर्सिटी के छात्र और छात्राएं और शिक्षकों ने मिलकर एक सॉलिडैरिटी कमेटी बनाई।
इस कमेटी के बैनर तले क़रीब डेढ़ सौ दिन तक आंदोलन चला और अंत में कर्मचारियों की जीत हुई।
श्रम मंत्री ने निर्देश दिया कि सेवाओं के लिए विश्वविद्यालय और नए ठेकेदार राजेंद्र प्रबंधन समूह (आरएमजी) के बीच अनुबंध को तुरंत रद्द कर दिया जाए।
इसके अलावा नई निविदा शुरू करने से पहले पीडब्ल्यूडी के मानकों के अनुसार श्रमिकों को रखने की प्रक्रिया को पूरा किया जाए।
सबसे अहम बिंदु ये रहा कि जिन 55 कर्मचारियों को गलत तरीके से हटाया गया, उनकी सेवाओं को बहाल करने का निर्देश भी दिया गया।
नई प्रक्रिया शुरू होने से पूरी होने से पहले का भुगतान विश्वविद्यालय करेगा।
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