आज़ादी 75 साल की हुई पर लड़ाई 200 साल से जारी हैः उत्तराखंड के वनग्राम

आज़ादी 75 साल की हुई पर लड़ाई 200 साल से जारी हैः उत्तराखंड के वनग्राम

By मेघा आर्या, रामनगर

“हमारी तो पूरी जिंदगी ही अंधेरे में बीत गई, लेकिन कम से कम हमारे बच्चों को तो उजाला नसीब हो जाए।” यह शब्द आम डंडा खत्ता वन ग्राम निवासी नंदी देवी और बसंती देवी जी के हैं।

आजादी को 75 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन आज भी उत्तराखंड का रामनगर विधान सभा क्षेत्र का यह गांव बिजली, पानी इंटरनेट व पक्की सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। कच्चा रास्ता होने के चलते बरसात के दिनों में गांव तक पहुंचने का हर रास्ता कीचड़ बन जाता है।वन ग्राम की ही एक महिला गीता देवी जी बताती हैं कि” बरसात में हमारे बच्चों के घुटनों तक पानी भर जाता है। बच्चों का स्कूल आना जाना तक बाधित हो जाता है।”

सुरेश व गीता दोनों दंपत्ति मिल कर काम करते हैं। जैसे तैसे करके वह अपने बच्चों को गांव से चार-पांच किलोमीटर दूर प्राइवेट स्कूल (इंग्लिश मीडियम) में भेज रहे हैं। कोविड 19 महावारी के कारण स्कूल बंद होने के चलते उनके बच्चों की स्कूली पढ़ाई व मासिक परीक्षा भी मोबाइल द्वारा ऑनलाइन चल रही है।

लेकिन बरसात में मौसम खराब होने के कारण व जाड़े में कोहरे के कारण सौर पैनल की बैटरी चार्ज नहीं हो पाती। और इसी कारणवश बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई भी लगातार बाधित रहती है। इस बार बच्चों की मासिक परीक्षा भी छूट गई है।

गांव के ही एक बुजुर्ग बहादुर राम सवालिया अंदाज में कहते हैं, “सरकार की लगातार घोषणाएं होती रहती हैं कि वन ग्राम निवासियों को मूलभूत अधिकार व सुविधाएं दिए जाएं।लेकिन क्या सिर्फ घोषणाओं से हमारी जिंदगी में कोई बदलाव आ जाएगा? सरकार सिर्फ चुनाव जीतने के लिए घोषणाएं करती है व आश्वासन देती है, लेकिन जीतने के बाद कभी पलट कर भी नहीं देखती। जैसे बच्चे जब बहुत ज्यादा रोने लगते हैं तो उनको चुप कराने के लिए उनके हाथ में खिलौना थमा दिया जाता है । उसी तरह वक्त वक्त पर हमारी बगावत की आवाज को बंद कराने के लिए सरकार झुनझुनानुमा आश्वासन, घोषणाएं और सौर पैनल हमारे हाथ में पकड़ा देती है।”

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बहादुर राम जी बताते हैं कि “वनों को बनाए रखने के लिए व उनकी हिफाजत के लिए हम मवेशियों को यहां बसाया गया।वन विभाग द्वारा हम लोगों को पट्टे पर भूमि आवंटित की गई। 200 साल से हम वन विभाग की भूमि पर काबिज हैं।और सन 1991- 92 में उक्त क्षेत्र आम डंडा वन ग्राम, वन विभाग से कॉर्बेट टाइगर रिजर्व रामनगर नैनीताल के नियन्त्रणाधीन हो गया। नतीजा यह है कि हम लोग आज तक बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।”

गांव के निवासी प्रकाश थपलियाल और उनकी पुत्री मानसी थपलियाल बताती हैं कि ‘गर्मी से ऐसा बुरा हाल हो रखा है , बरसात में छत टपकती है ,लेकिन हम लोग अपनी छतों पर लिंटर तक नहीं डाल सकते हैं। आजकल बरसात के दिनों में सौर पैनल चार्ज नहीं हो पाते। यदि सौर ऊर्जा द्वारा चार्ज यह लाइट और पंखा(बिजली) हमने दिन में इस्तेमाल कर लिया तो रात तक बैटरी खत्म हो जाएगी जिससे खाना पकाना भी मुश्किल हो सकता है।’

“चुनाव के दौरान ये तमाम नेता हमसे वोट मांगने आते हैं, हमें मूलभूत अधिकार दिलाने का वादा कर हमसे वोट लेते हैं, लेकिन उसके बाद हमारे सैकड़ों ज्ञापन और प्रदर्शनों में शक्ल तक नहीं दिखाते हैं ।”

गांव के ही निवासी गणेश राम आर्य की बैटरी एक हफ्ते से खराब चल रही है, पूरा परिवार इस गर्मी और दिन रात के अंधेरे को झेल रहा है। ग्रामीणों को अपने फ़ोन चार्ज करवाने के लिए भी कितनी बार शहर जाना पड़ता है ।

काफी लंबे समय से लगातार लड़ते हुए थक चुके गांव के कुछ नाउम्मीद बुजुर्ग कहते हैं कि “सरकार सिर्फ चुनावी बयानबाजी करती है। जबकि पूरा कॉर्बेट पार्क विदेशियों के हाथ में है,अब ऐसे में सरकार भला क्या कर लेगी? हमारे अशिक्षित और कमजोर होने का फायदा उठाकर ,चुनाव जीतने के लिए सरकार बयानबाजियां करती है। जब तक वाइल्ड लाइफ बोर्ड की सहमति नहीं होगी, तब तक हम किसी कीमत पर अपने मूलभूत अधिकार नहीं पा सकते हैं।”

लेकिन इस नाउम्मीदी से कोसों दूर अभी भी गांव के अधिकतर लोग अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए काफी लंबे समय से बिना थके लगातार संघर्षरत हैं। वन ग्राम के ही संघर्षशील युवा नीलकमल, ललित थपलियाल व “ग्राम आम डंडा खत्ता संघर्ष समिति” के संयोजक चिंता राम लगातार इन परेशानियों से शासन-प्रशासन को ज्ञापन द्वारा अवगत कराते आ रहे हैं।

अब तक वे कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, कुमाऊं कमिश्नर ,उप जिलाधिकारी ,राज्यपाल महोदय ,डीएफओ, प्रमुख वन संरक्षक समेत कई आला अधिकारियों को सैकड़ों ज्ञापन दे चुके हैं।

“वन ग्राम आम डंडा खत्ता संघर्ष समिति” के संयोजक चिंता राम की अगुवाई में फरवरी माह की 8 तारीख को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व को मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर ज्ञापन दिया गया व घेराव भी किया गया।

वन ग्राम वासियों ने रामनगर कॉर्बेट पार्क रिजर्व कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन कर मूलभूत सुविधाओं की मांग रखते हुए साफ कहा है, “हम बरसों से इन जंगलों में रह रहे हैं व इनकी सुरक्षा कर रहे हैं। 200 साल से हम वन विभाग की भूमि पर काबिज हैं। लेकिन आज हमें ही बिजली ,पानी, इंटरनेट जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। देश के प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि जो जहां है, उसे वहां रहने की आजादी दी जाए ।लेकिन आजादी के इतने सालों बाद भी हमारे साथ सौतेला जैसा व्यवहार होता है।”

इस जुलूस व धरने में सबसे अधिक महिलाएं थीं, जिनमें ललिता देवी इंदिरा देवी, ममता देवी ,खष्टि देवी मंजू देवी, सुनीता समेत आदि महिलाएं थीं।

हाल ही में वन ग्राम निवासियों द्वारा अगस्त माह की 7 तारीख को रामनगर तहसीलदार के मार्फत राज्यपाल महोदय जी को मूलभूत सुविधाओं को लेकर ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया कि आम डंडा खत्ता वन निवासियों को सौर ऊर्जा के माध्यम से जीवन यापन करना पड़ रहा है,जो कि मौसम खराब या सर्दियों में कोहरे की वजह से चार्ज नहीं हो पाती। जिससे कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पूर्व में उन्हें सरकारी सस्ते गल्ले के माध्यम से मिट्टी का तेल उपलब्ध होता था लेकिन वर्तमान में यह भी बंद हो गया है। बाकी जंगली जानवरों का खतरा बरकरार है। दिन दहाड़े आबादी में बाघ नजर आ रहे हैं। ज्ञापन में ग्राम वासियों की मांग है कि बाघ को पकड़ने के लिए जल्द से जल्द आवश्यक कदम उठाए जाए वो झाड़ी कटान कार्य करना सुनिश्चित किया जाए ।

वन ग्राम निवासियों का ये भी कहना है कि तहसील रामनगर के विषय में मुख्यमंत्री द्वारा स्पष्ट घोषणा की गई है कि आम डंडा खत्ता, टेढ़ा खत्ता, सुंदरखाल आदि वन ग्रामों को मूलभूत सुविधा प्रदान की जाए 25 फरवरी को ग्राम निवासियों ने विधायक की मौजूदगी में तराई पश्चिमी वन प्रभाग के डीएफओ कार्यालय में अधिकारियों के साथ बैठक भी की।

बैठक में एससी एसटी आयोग के उपाध्यक्ष पी.सी.गोरखा ने वन विभाग, प्रशासन व बिजली अधिकारियों के साथ बातचीत कर रामनगर क्षेत्र के 24 वन ग्रामों को मूलभूत सुविधाएं दिलाने के निर्देश दिए हैं। निर्णय हुआ कि एक सप्ताह के अंदर संयुक्त सर्वे कर आवश्यक औपचारिकता पूरी कर प्रशासन को फ़ाईल भेजी जाएगी ।परंतु आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।

हाल ही के 7 अगस्त को वन ग्राम निवासियों ने एक ज्ञापन उप जिलाधिकारी द्वारा उत्तराखंड मुख्यमंत्री को भेजा है और उल्लेखित किया है कि वन ग्रामवासी होने के चलते भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार की योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान, स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय चंद्र सिंह गढ़वाली योजना के तहत स्वरोजगार, मनरेगा के तहत विकास एवं रोजगारआदि योजनाओं के लाभ से वंचित हो गए हैं वन ग्राम वासियों ने मांग रखी है कि हमें इन सारी योजनाओं का लाभ दिलाने की कृपा करें।

लेकिन अब तक वनग्राम वासियों को इन ज्ञापन और प्रदर्शन के बदले में सरकार, प्रशासनिक अधिकारियों ,विधायक आदि द्वारा सिर्फ आश्वासन ही दिया गया। रामनगर एक विधानसभा क्षेत्र है। रामनगर के तमाम राजनीतिक नेताओं ने अपनी चहल-पहल, लोगों से मिलना जुलना, व अपने संपर्क बनाना शुरू कर दिया है। अब देखना यह है कि चुनाव से पहले रामनगर के वनग्राम वासियों की समस्याओं का समाधान कौन करेगा? कौन उन्हें उनके मूलभूत अधिकार दिलाएगा?

आपको बता दें कि कुछ ही दिनों पहले आम आदमी पार्टी ने इस बार उत्तराखंड में मुफ्त बिजली देने का वादा और दावा किया है। क्या आम आदमी पार्टी (या फिर कोई और पार्टी भी) वनग्राम वासियों को बिजली देगी? ये वनग्राम वासियों के लिए अभी भी यक्ष प्रश्न बना हुआ है।

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Workers Unity Team

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