उत्तर प्रदेशः दलितों के धरने में भाषण देने पर श्रवण निराला, दारापुरी और रामू सिद्धार्थ समेत छह को जेल भेजा
उत्त प्रदेश में हर भूमिहीन को एक एकड़ ज़मीन की मांग को लेकर गोरखपुर कमीश्नरी पर अम्बेडकर जन मोर्चा के धरने में समर्थन देने पहुंचे बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और लेखक पत्रकारों को यूपी पुलिस ने गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया है।
गिरफ़्तार होने वालों में फ्रांस के नागरिक वैलेंटाइन जीन, अम्बेडकर जनमोर्चा के नेता श्रवण कुमार निराला, जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी, लेखक-पत्रकार रामू सिद्धार्थ, ऋषि कपूर आनंद, जय भीम प्रकाश और नीलम बौद्ध का नाम शामिल है।
जबकि योगी की पुलिस ने अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं पर एफ़आईआर दर्ज किया है जिनमें सीमा गौतम, राजेंद्र प्रसाद, सविता बौद्ध, दीदी निर्देश सिंह, अयूब अंसा्री, देवी राम और सुधीर कुमार झा के अलावा करीब एक दर्जन अन्य लोग शामिल हैं।
गिरफ़्तारी से पहले दारापुरी ने अपने फ़ेसबुक पेज पर 11 अक्टूबर को लिखा, “मैं कल गोरखपुर अम्बेडकर जन मोर्चा की तरफ से दलित एवं नागरिक अधिकार के मुद्दों को लेकर आयोजित जनसभा में भाग लेने के लिये आया था तथा सभा बिल्कुल शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई थी। आज सुबह गोरखपुर की पुलिस मुझे थाने पर ले जाने के लिये आई है।”
गिरफ़्तारी के बाद तमाम बुद्धिजीवियों, पत्रकारओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसकी कड़ी निंदा की है और इसे तानाशाही भरा कदम बताया है।
आईपीएफ़ ने भेजा राष्ट्रपति को पत्र
ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की राष्ट्रीय कार्यसमिति ने भारत के राष्ट्रपति को पत्र भेजकर पूरी घटना की न्यायिक जांच कराने और दारापुरी और उनके साथ अन्य गिरफ्तार लोगों को ससम्मान रिहा करने की मांग की गई है।
पत्र में कहा गाय है कि ‘कोई कारण नहीं है कि 10 अक्टूबर 2023 को गोरखपुर कमीश्नरी परिसर में शांतिपूर्वक सम्पन्न हुई सभा को सम्बोधित करने वाले दारापुरी जैसे जिम्मेदार नागरिक को दूसरे दिन गिरफ्तार करके 307 के तहत जेल भेजा जाता।’
पत्र में कहा गया है कि उन्हें विदेशी ताकतों से सांठ गांठ करने वाले के बतौर भी पेश करने की कोशिश हो रही है।
आईपीएफ़ ने कहा है कि सभा को संबोधित करने वालों के ख़िलाफ़ धारा 307 जैसे अपराध में गिरफ्तार किया गया और 82 वर्षीय दारापुरी जी जो पार्किंसन जैसी गम्भीर बीमारी से ग्रस्त हैं, उन्हें जेल भेज दिया गया। लोकमत के लिए चीजें कितनी भयावह होती जा रही हैं वह इसी बात से साफ होता है कि सरकार के उच्च ओहदों पर बैठे हुए लोगों के निर्देशन पर बिना तथ्य और प्रमाणिकता के आधार पर गम्भीर आपराधिक मुकदमे लगाए गए और जेल भेज दिया गया।
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